अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: आजादी के अमृत महोत्सव की कड़ी मे भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अधीन अरुण जेटली राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान द्वारा वित्तीय क्षेत्र पर राष्ट्रीय प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया जा रहा है। इसके संदर्भ मे, संस्थान मे प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया । प्रेस को संबोधित करते हुए प्रोफेसर डॉक्टर आलोक मोहन शैरी ने कहा की इस राष्ट्रीय प्रश्नोत्तरी का मुख्य उदेश्य आजादी के 75 साल मे वित्तीय क्षेत्र मे हुई प्रगति के बारे मे राष्ट्रीय प्रश्नोत्तरी के मध्याम से लोगों को जागरूक करना है।उन्होंने कहा की देश का कोई भी नागरिक जिसकी उम्र 18 वर्ष की आयु से ज्यादा हो, वो इस प्रतियोगिता मे भाग ले सकता है और हर एक प्रतिभागी को आनलाइन सर्टिफिकेट भी प्राप्त होगा ।
डॉक्टर शैरी ने बताया की इस प्रतियोगिता में देश मे प्रथम आने पर गोल्ड मेडल के साथ एक लाख पचास हजार नकद, दूसरे स्थान के लिए सिल्वर मेडल और एक लाख नकद एवं तीसरे स्थान पर कांस्य पदक के साथ पचास हजार नकद का इनाम भारत सरकार ने रखा है। इसके अतरिक्त हर राज्य के प्रथम विजेता को पंद्रह हजार नकद राशि का इनाम दिया जाएगा। इसके साथ साथ उन्होंने वित्तीय शिक्षा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दिल्ली एनसीआर से हजारों छात्र एमबीए करने के लिए पूरे देश मे जाते है परंतु बहुत कम लोगों को पता है की इसी दिल्ली एनसीआर के फरीदाबाद मे एक भारत सरकार, वित्त मंत्रालय का संस्थान भी है जहां पर ना सिर्फ पूरे देश से बच्चे पढ़ने आते है बल्कि विदेशों से भी छात्र आते है।
संस्थान के प्रोफेसर एवं प्रोग्राम चेयर डॉक्टर आलोक मोहन शैरी ने बताया कि अरुण जेटली राष्ट्रीय वित्य प्रबंधन संस्थान और जेएनयू ने वित्त में दो साल के पूर्णकालिक एमबीए कार्यक्रम के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जहां जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली द्वारा एमबीए की डिग्री प्रदान की जाएगी। यह कार्यक्रम नए स्नातकों के साथ-साथ सरकार और कॉर्पोरेट क्षेत्र के अनुभवी उम्मीदवारों के लिए खुला है जो वित्त में करियर बनाना चाहते हैं।
उन्होंने बताया कि अरुण जेटली राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान (एजेएनआईएफएम) सार्वजनिक नीति, वित्तीय प्रबंधन और अन्य प्रशासनिक मुद्दों के क्षेत्र में पेशेवरों की क्षमता निर्माण में विशेषज्ञता का केंद्र है, जो पेशेवर क्षमता और अभ्यास के उच्चतम मानकों को बढ़ावा देने के लिए है।इस अवसर पर संस्थान के संकाय सदस्य तथा मुख्य प्रशासनिक अधिकारी डी के चावला ने भी अपने विचार साझा किए
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