अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़: सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने भारत सरकार से मांग करी कि रूस में फँसे भारतीय युवाओं को मुक्त कराए। उन्होंने विदेश मामलों की स्थायी संसदीय समिति की बैठक में रूस में फँसे भारतीय छात्र अमन एवं 56 अन्य भारतीय युवाओं की तुरंत सुरक्षित वापसी की मांग को लेकर पत्र के साथ वहाँ फंसे युवाओं की सूची भी सौंपी। सरकार ने कहा कि सभी की सुरक्षित वापसी का हर संभव प्रयास होगा। सरकार ने इस बात का भी भरोसा दिया कि भविष्य में युद्ध क्षेत्र में किसी भी भारतीय की भर्ती नहीं करने के लिए पुख्ता उपाय किए जाएंगे। विदेश मंत्रालय ने बताया कि रूस में भारतीय दूतावास के जिम्मेदार पदाधिकारी इस पूरे मामले को ट्रैक करेंगे और जो भी जानकारी मिलेगी वो साझा की जाएगी। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि इस मामले को शीर्ष प्राथमिकता पर लिया जाए और कूटनीतिक माध्यमों के जरिए तत्काल सभी प्रभावित भारतीय नागरिकों, विशेषकर अमन और अन्य फंसे छात्रों की सुरक्षित एवं शीघ्र वापसी सुनिश्चित की जाए। लापता छात्रों का पता लगाने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएँ और उनके परिवारों को निरंतर जानकारी प्रदान की जाए। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने बताया कि हिसार के गाँव मडना हेडी निवासी बृजेन्द्र के पुत्र अमन (पासपोर्ट संख्या: V4671401) 15 माह पूर्व छात्र वीज़ा पर रूस गए थे, परंतु बाद में उन्हें बहला-फुसलाकर रूसी सेना में शामिल कर लिया गया। परिवार के लोगों ने बताया कि अमन वर्तमान में यूक्रेन सीमा के निकट तैनात है और भारत लौटना चाहते हैं। उनकी सुरक्षा को लेकर परिवार बेहद चिंतित व मानसिक तनाव में है। अमन के साथ ऐसे लगभग 56 अन्य भारतीय छात्र भी रूस में इसी प्रकार की परिस्थितियों में फंसे हुए हैं। चिंताजनक बात ये है कि इनमें से 11 छात्रों के लापता होने की खबर है और उनके परिवारों के पास कोई जानकारी नहीं है। सभी परिवार गहरी चिंता और पीड़ा में हैं।

उन्होंने कहा कि भयंकर रूप से बढ़ रही बेरोजगारी ने युवाओं को विदेश जाने पर मजबूर कर दिया है। रोजगार की तलाश में अपना देश-प्रदेश छोड़कर गए यहाँ के युवाओं को रोज अपमान, प्रताड़ना, दर्द और जुल्म सहना पड़ रहा है। अनेक युवा तो ऐसे भी हैं जिन्हें या तो विदेशों में बंधक बना लिया गया है या एजेंटों ने धोखे से उन्हें विदेशी सेना में भर्ती करवाकर रूस-यूक्रेन में झोंक दिया है। पिछले दिनों ही खबर आई कि हिसार के मदनहेड़ी गांव के सोनू (28) और कैथल के कर्मचंद (22) की वहां मौत हो चुकी है। अनेक युवा ऐसे भी हैं जिनका परिवार को कुछ अता-पता ही नहीं लग रहा है। कई महीनों से इन युवकों का परिवार से संपर्क नहीं हो पाया रहा है। उनकी चिंता में परेशान परिवार के लोग राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक गुहार लगा रहे हैं। लेकिन सरकार उदासीन रवैया अपनाए हुए है। उन्होंने कहा कि काम की तलाश में विदेश गए हरियाणा के युवाओं की दुर्दशा के लिए बीजेपी सरकार जिम्मेदार है। यदि सरकार नौजवानों को यहीं अपने देश में रोजगार उपलब्ध कराती तो वे अपना घर-बार छोड़कर विदेश क्यों जाते।
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