अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद : संत शिरोमणी सूरदास की 539 वा जंयती समारोह का शुभारम्भ संत शिरोमणी सूरदास जन्म स्थली सीही गॉंव में बडी धूमधाम के साथ शुरू किया गया। इस अवसर पर आज प्रात: हवन, सूर पद गायन किया गया। इस पवन अवसर पर सैंकडों लोग मौजूद थे।
इस अवसर पर फरीदाबाद के पूर्व विधायक आनन्द कौशिक, महाकवि संत सूरदास स्मारक ट्रस्ट के अध्यक्ष जयदेव शर्मा, पंडित मोतीलाल शर्मा, कार्यकारी अध्यक्ष चौ0 अजीत सिंह, देवकृष्ण तेवतिया, हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव बलजीत कौशिक, प्रेमदत भारद्वाज एडवोकेट, श्रीमति रविप्रिया, कुलबीर फौजदार, छतर सिंह दलाल, पं. गोपाल, पंडित ताराचंद, मंगल सिंह, मौजीराम, ज्ञानप्रकाश शर्मा, जिले सिंह, योगेश तंवर एवं सत्यनारायण शर्मा आदि पदाधिकारी एवं गणमान्य लोग विशेष रूप से मौजूद थे।
इस पावन अवसर पर पूर्व विधायक आनन्द कौशिक ने कहा कि गांव सीही महाकवि संत सूरदास की जन्मस्थली है, संत सूरदास जी जन्म से ही अंधे थे। उन्होने लगभग सवा छह लाख पद लिख कर भक्ति भाव की अभूतपूर्व छाप छोडी। उन्होने कहा कि संत सूरदास का नाम भारत के संतो में विशेष सम्मान के साथ लिया जाता है। जन्म से अंधे होने के बावजूद उनकी कविता में प्रकृति और दृश्य जगत का सूक्ष्म व अनुभवपूर्ण चित्रण देखने को मिलता जो अपने आप एक भगवान का दिया हुआ वरदान लगता है।
कौशिक ने कहा कि गांव सीही मे ही महाराज बलराम का जन्म हुुआ था जिन्होने बल्लभगढ़ शहर को बसाया था। उन्ही की पीढ़ी के राजा नाहर सिंह ने 1857 की क्रांति में अंग्रेज सरकार के विरूद्ध जमकर युद्ध किया। अंग्रेज सरकार राजा नाहर सिंह के नाम से कांपने लगी और उन्हे धोखे से दिल्ली बुलाकर कायरता पूर्ण तरीके से बंदी बनाकर फांसी पर लटका दिया।