अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद : वाईएमसीए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फरीदाबाद द्वारा स्वयंसेवी संगठन भारतीय शिक्षण मंडल के सहयोग से ‘नई शिक्षा नीतिः अपेक्षाएं और चुनौतियां’ विषय को लेकर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। हरियाणा स्वर्ण जयंती वर्षोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित सेमिनार में मंडल के राष्ट्रीय आयोजन सचिव श्री मुकुल कनितकर मुख्य वक्ता रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने की तथा नई शिक्षा नीति को लेकर अपेक्षाओं व चुनौतियों पर परिचर्चा के आयोजन पर प्रसन्नता जताई। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति की किसी भी राष्ट्र की दिशा निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है, इसलिए शिक्षा नीति को लेकर समाज की अपेक्षाओं व चुनौतियों पर सभी का मंथन एवं जागरूकता जरूरी है जो एक महत्वपूर्ण विषय है। कार्यक्रम का संयोजन डॉ सोनिया बंसल ने किया।
मुख्य वक्ता के रूप में अपने संबोधन में मुकुल कनित करने शिक्षानीतिको‘ राष्ट्रनीति’ बताते हुए कहा कि शिक्षा समाज का विषय है। जब तक समाज यह जिम्मेवारी नहीं लेता कि नई पीढ़ी को कैसी शिक्षा देनी है, तब तक शिक्षा को लेकर सरकारी प्रयास अपर्याप्त ही रहेंगे। श्री कनित कर ने कहा कि प्रत्येक राष्ट्र की अपनी नीति वस्वभाव होता है जो विश्व पर एक अपना प्रभाव स्थापित करता है। इस दृष्टि से भारत‘ जगत गुरू’ के रूप में खुद को स्थापित करने की क्षमता रखता है। उन्होंने कहा कि विश्व भर में मानवता की समस्याओं का समाधान देने की क्षमता भारतीय संस्कृति व विचार धारा में है इसलिए भारत की शिक्षा नीति केवल राष्ट्रीय आकांक्षाओं की पूर्ति का माध्यम बने अपितु विश्व में मानवता की।