अरविन्द उत्तम की रिपोर्ट
नोएडा में सेक्टर-93 ए स्थित सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट के ट्विन टावर के ध्वस्तीकरण का काम सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार नोएडा प्राधिकरण और एडिफिक इंजीनियरिंग कम्पनी कर रही हैं। सोमवार को भारी संख्या में लेबर, एडिफिस के इंजीनियर, वर्कर व मशीनें साइट पर पहुंच गई हैं। सुपरटेक ने साइट को पूरी तरह से एडिफिस के हवाले कर दिया है। दोनों टावर को गिराने के लिए करीब 600 इंजीनियरों, टेक्नीशियनों और कामगारों की टीम काम करेगी। निश्चित समय सीमा के अन्तर्गत कार्य पूर्ण किया जाना है।
दोनों टावर सियान और एपेक्स को इमारत को गिराने के लिए एडिफिस कंपनी के इंजीनियर मौके पर पहुंच गए है। आसपास की इमारतों का स्ट्रक्चरल ऑडिट किया जा रहा है। इंजीनियरिंग टीम ने इमारत का सर्वे किया और अब इस आधार पर थ्री डी ब्लास्ट डिजाइन बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। ये डिजाइन प्राधिकरण के समक्ष रखा जाएगा. रिपोर्ट रुड़की स्थित सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) को भेजेगी। वहां से हरी झंडी मिलने के बाद ही काम शुरू होगा। फिलहाल, एडिफिस को विदेशी विशेषज्ञों का इंतजार है। दक्षिण अफ्रीका से आने वाले यह सात इंजीनियर व विशेषज्ञ इसी सप्ताह साइट पर आ जाएंगे। टावर में विस्फोटक किस जगह कितनी दूरी लगेंगे, यह कार्य इसी टीम की देखरेख में होगा। दोनों इमारतों के आसपास एमराल्ड के 15 टावर है जिनकी दोनों इमारतों से दूरी करीब 9 से 40 मीटर के आसपास है। इसके अलावा एटीएस के टावर की दूरी काफी कम है। ये सभी टावर 2014 के पहले के बनाए गए है। ऐसे में इनका स्ट्रक्चरल ऑडिट किया जा रहा है। इससे उसकी मजबूती का आकलन किया जा सकेगा। सीबीआरआई से अप्रूवल के बाद पुलिस विभाग से एनओसी मिलेगी। फिर बारूद और डेटोनेटर खरीदा जाएगा।प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु माहेश्वरी की अध्यक्षता में नौ फरवरी को ट्विन टावर गिराने की तारीख पर 22 मई की मुहर लगा दी गई थी। टावर तोड़ने के बाद 22 अगस्त तक मलबा हटाने का काम होगा। एडिफिस की अब तक की कार्रवाई से लेकर विभिन्न विभागों के समन्वय तक की स्थिति पर प्राधिकरण के अधिकारी नजर रखे हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 7 फरवरी को दिए आदेश में तीन सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने की बात कही थी। इस प्रकरण से जुडे़ प्वाइंट तैयार किए जा रहे हैं। ट्विन टावर गिराने की तारीख व अनापत्ति प्रमाणपत्र आदि जानकारियों को रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया जाएगा कि एडिफिस कंपनी ने अपना काम कहां तक पूरा कर लिया है।
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