अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: जीवन शैली में हो रही बदलाव के कारण लोगों में बीमारियां भी तेजी बढ़ रही है। कई बार मरीज की जीवन बचाने के लिए अंगदान करने की जरुरत पड़ती है। ऐसे में मृत या किसी भी व्यक्ति का मेडिकल जांच के बाद अंग लगाकर बीमार व्यक्ति को नई जीवन दी जा सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार एक मृत व्यक्ति के अंगदान से कई लोगों का जान बचाया जा सकता है। ऐसे अंगदान कोई भी व्यक्ति कर सकता है। अगर परिवार की अनुमति हो तो बच्चे भी अंगदान कर सकते हैं। हालांकि कैंसर, एचआईवी और हेपेटाइटिस के मरीज किसी भी व्यक्ति को अंगदान नहीं कर सकते।
फोटिस अस्पताल के वरिष्ठ किडनी रोग विशेशज्ञ डॉ. वरुण वर्मा का कहना है कि ब्रेन डेड होने के बाद अंगदान की इस प्रक्रिया में हृदय, लीवर, किडनी, आंत, पैनक्रियाज, फेफड़े को दान किया जा सकता है। इसके अलावा आंख, हार्ट वॉल्व, त्वचा, हड्डियां, स्वाभाविक मृत्यु की स्थिति में दान कर सकते है।
इन पर रखे नियंत्रण,-पेशाब आने पर उसे रोके नहीं, रोजाना सात से आठ गिलास पानी का सेवन करे। कम मात्रा में नमक का सेवन करें, उच्च रक्तचाप के इलाज में कोताही नहीं बरतना, बहुत ज्यादा मीट का सेवन नहीं करे, दर्द निवारक दवाईयों का सेवन न करें। बहुत ज्यादा शराब पीना, पर्याप्त आराम न करना, साफट ड्रिक्स के और सोडा ज्यादा लेना शामिल है।
ये अंग कर सकते है दान
-अंगदान करने के इच्छुक व्यक्ति अंगदान करके मौत के मुहाने पर खडे मरीजों की जान बचा सकते हैं।
-अंगदान के प्रति जागरूकता का अभाव है, प्रचार प्रसार के माध्यम से जागरुक किया जा सकता है।
-अंगदान हमेशा ब्रेन डेड मरीज का ही होता है।
-अंगदान करने वाले एक व्यक्ति से आठ मरीजों को जीवन दिया जा सकता है।
-जबकि 50 अन्य मरीजों की जान अन्य मामलों में बचाई जा सकती है।
अंगदान के प्रकार
-यह दो प्रकार का होता है :- अंगदान और टिशू दान।
-अंगदान में शरीर के आंतरिक अंग को दान करते है जैसे- किडनी, फेफड़े, लिवर, हार्ट,आंत, पैनक्रियाज आदि
– वहीं टिशू दान में आमतौर पर आंखों, हड्डी और यहां तक कि त्वचा का दान होता है।
– आमतौर पर व्यक्ति की मौत के बाद ही अंगदान किया जाता है, लेकिन कुछ अंगदान और टिशू दान जीवित व्यक्ति के भी किए जा सकते हैं।
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