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“प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज खोरी के पुनर्वास में पात्रता का आधार हो सकता हैं इस पर सरकार जवाब दे”

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
नई दिल्ली: फरीदाबाद के खोरी गांव से बेदखल हुए परिवारों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले में खोरी गांव वेलफेयर एसोसिएशन बनाम हरियाणा सरकार एवं सरीना सरकार बनाम हरियाणा सरकार में खोरी गांव की ओर से सीनियर एडवोकेट गोंजाल्विस सहित कई अधिवक्ता पेश हुए। सीनियर एडवोकेट संजय पारिख ने कहां कि  अधिकतम लोग अपना आवेदन प्रस्तुत नहीं कर पाए हैं क्योंकि उनके पास बहुत कम दस्तावेज हैं और जो दस्तावेज मौजूद ,हैं वह खोरी गांव के पुनर्वास की पॉलिसी के तहत स्वीकृत नहीं किए जा रहे हैं, जबकि खोरी गांव की पुनर्वास की पॉलिसी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर देने की बात कर रही है, इसलिए इस पुनर्वास हेतु प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवश्यक दस्तावेजों को स्वीकार किया जाए ताकि अधिकतम परिवारों का उचित पुनर्वास हो सके। सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्वास के मामले में कहा कि  जब खोरी गांव के पुनर्वास की पॉलिसी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास की बात करती है तो निश्चित रूप आइडेंटिटी प्रूफ में से कोई एक एवं रेजिडेंस प्रूफ में से कोई एक दस्तावेज स्वीकार किया जाना चाहिए। जस्टिस खानविलकर की बेंच ने हरियाणा सरकार को 27 तारीख तक इस संबंध में जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा है।

मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव के सदस्य निर्मल गोराना ने बताया कि खोरी  गांव की ओर से पेश हुए अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि खोरी गांव से बेदखल हुए परिवारों के पास पुनर्वास के रूप में घर प्राप्त करने हेतु न तो एडवांस में ₹17000 की राशि है और ना ही वह किस्त देने की स्थिति में है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार इसका विकल्प और रास्ता निकाले। मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव के सदस्य निर्मल गोरान ने बताया कि खोरी गांव से बेदखल परिवारों को जब नगर निगम की तरफ से घर आवंटन हेतु कॉल आया तो कई परिवारों ने घर आवंटन का पेपर लेने से इनकार कर दिया, क्योंकि बेदखल परिवारों के पास किसी प्रकार की कोई राशि नहीं है। नगर निगम को कुल 2400 आवेदन प्राप्त हुए थे किंतु इन आवेदनों में से केवल 950 आवेदनों को ही स्वीकृत किया गया परंतु जब नगर निगम ने 2400 परिवार से आवेदन प्राप्त किए तो प्रत्येक कागज को अर्थात दस्तावेजों को चेक करके ही उनका नाम लिखा गया था तो आज अचानक कैसे 950 का चयन हुआ और बाकी के समस्त रिजेक्ट कर दिए गए इस पर मजदूर आवास संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि नगर निगम ने खोरी गांव समुदाय के किसी भी प्रतिनिधि या संगठन को साथ में इसलिए नहीं रखा है कि ताकी नगर निगम अपनी मनमानी चला सके यह प्रक्रिया गलत और अलोकतांत्रिक है और सरासर बेदखल मजदूर परिवारों के साथ धोखा है जिसका मजदूर आवाज संघर्ष समिति पुरजोर विरोध करती है। साथ ही लगभग ढाई हजार से ज्यादा आवेदन मजदूर आवाज संघर्ष समिति ने एकत्रित किए हैं ताकि अधिक से अधिक परिवारों को पुनर्वास दिलवाया जा सके। इन तमाम दस्तावेजों को मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव कल नगर निगम कमिश्नर को सुपुर्द करेगी। मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव के सदस्य गोवड़ा प्रसाद ने बताया कि आज सुप्रीम कोर्ट में कुछ फार्मर अपनी पिटीशन को लेकर स्टे के लिए पहुंचे किंतु सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने आज उन्हें भी स्टे देने से अपना पल्ला झाड़ लिया और राज्य की ओर से प्रस्तुत किए गए एफिडेविट को देखकर कोर्ट ने सरकार के प्रति तीखा रुख अपनाते कहा की फॉरेस्ट की जमीन पर जो भी स्ट्रक्चर हैं उन्हें हटाना होगा और अभी तक कितनी कार्यवाही हुई है इसका भी विस्तृत ब्यौरा पेश करें। खोरी गांव निवासी श्रीमती रूपा देवी को फरीदाबाद नगर निगम से गृह आवंटन हेतु फ़ोन आया था, इस पर उन्होंने कहा की ऐसा घर वो नहीं चाहतीं जिसके एवज़ में उसको पैसे देने पड़े। उनकी कमाई इतनी नहीं है की वह इतने पैसे वो चूका पाएंगी।  और कर्ज में डूब कर वह घर नहीं ले पाएंगी। वह एकमुश्त सत्रह हज़ार रुपये की व्यवस्था करने में असमर्थ हैं। इसी क्रम में माया देवी ने बताया कि  उनके पति की मृत्यु हाल ही में हुई थी जिसके कारण उनको आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है इसलिए उनकी मानसिक हालत ठीक नहीं है।  ऊपर से उनका 14 साल का बच्चा भी है जिसके पालन पोषण की जिम्मेदारी उस पर आ  गई  है।  उनका कहना है कि  उन्होंने अपने सारे कागज़ात जमा करा दिए थे उसके बाद भी उसको कॉल नहीं आया है।  माला देवी का कहना है की ऐसी स्थिति में वह दो हज़ार रुपया किराया देकर रह रही है। उनको ना तो नगर निगम ने उनको किराए के लिए पैसे दिए हैं और नाही घर देने के लिए कॉल किया है।

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