संवाददाता : विश्व का सबसे पुराना कार्य कर रहा इंजन “फेयरी क्वीन” एक बार फिर विरासत ट्रेन को खींच कर ले जाने को तैयार है। पांच वर्षों के अंतर्राल पर यह इंजन विरासत ट्रेन को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से हरियाणा के रेवाड़ी ले जाएगा। यह ट्रेन विश्व के भाप इंजन प्रेमियों के लिए बड़ा आकर्षण है और यह कल यानी 11 फरवरी, 2017 को एक फेरे के लिए दिल्ली कैंट स्टेशन से रेवाड़ी जाएगी।लोकोमोटिव को 1855 में इंगलैंड के लिड्स में किटसन, थामप्सन तथा हेबिटसन ने बनाया था और यह उसी वर्ष कलकत्ता (अब कोलकाता) पहुंचा। कोलकाता पहुंचने पर लोकोमोटिव के स्वामी ईस्ट इंडिया रेलवे कंपनी द्वारा इसे फ्लीट नम्बर 22 कहा गया और 1895 तक इसे कोई नाम नहीं मिला। शुरू में पांच फीट 6 इंच (1,676 एमएम) गेज लोकोमोटिव का इस्तेमाल पश्चिम बंगाल में हावड़ा और रानीगंज के बीच हल्की ट्रेनों को खींचने तथा 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान फौजी ट्रेन को खींचने के काम में लगाया गया। बाद में इसे लाइन निर्माण ड्यूटी में बिहार में लगा दिया गया जहां यह 1909 तक रहा।
नई दिल्ली के चाणक्य पुरी में नए बने राष्ट्रीय रेल संग्रहालय में इसे पुनर्स्थापित किया गया और इसे विशेष स्थान दिया गया। यह संग्रहालय 40 वर्ष पहले 1 फरवरी, 1977 को चालू हुआ था। लोकोमोटिव को 88 वर्षों में पहली बार मुख्य लाइन यात्रा के लिए 1997 में पूरी तरह काम करने लायक बनाया गया और यह 18 जुलाई को वाणिज्यिक सेवा में आया। इसे विश्व का सबसे पुराना और नियमित रूप से काम करने वाला भाप इंजन के रूप में 1988 में गिनिज बुक ऑफ रिकार्ड्स द्वारा प्रमाणित किया गया। अगले वर्ष ट्रेन को नवाचारी और विशिष्ट्र पर्यटन परियोजना के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार दिया गया। |
Related posts
0
0
votes
Article Rating
Subscribe
Login
0 Comments
Oldest
Newest
Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments