संवाददाता ,चण्डीगढ :‘हरियाणा की माटी का सुल्तान कबड्डी सै, मेरी जान कबड्डी सै।’ गीत की यह पंक्तियां अपने आप में बहुत कुछ बयान कर जाती है, जिसकी प्रस्तुति लोक गायक कलाकार गजेंद्र फौगाट ने दी। गीत के माध्यम से उन्होंने हरियाणा के इस परंपरागत खेल की लोकप्रियता, महत्व से अवगत कराया। मौका था, मोतीलाल नेहरू स्कूल ऑफ स्पोर्टस राई में पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति में आयोजित अखिल भारतीय नेशनल स्टाईल कबड्डी चैंपियनशिप का।
राष्ट्रीय कबड्डी प्रतियोगिता में हरियाणा की लोक संस्कृति के रंग बिखेरने के लिए विशेष तौर पर आमंत्रित गायक कलाकार गजेंद्र फौगाट ने लगातार तीन दिनों तक अपनी अनूठी गायकी से लोगों के दिलों पर राज किया है। बॉलीवुड में भी ‘माता का मेल आया है’ गीत से जोरदार एंट्री करने वाले गजेंद्र ने हरियाणवी संस्कृति में आ रही फूहड़ता पर जोरदार प्रहार किया है। उन्होंने कबड्डी प्रतियोगिता के दौरान भी हरियाणवी संस्कृति के संरक्षण पर बल देते हुए हरियाणवी गीत-संगीत को फूहड़पन से दूर रखने की अपील की है। एक गीत की प्रस्तुति से वे अपनी बात कुछ इस प्रकार कहते हैं- कवि लखमी बाहमण सांग दिखा कै सारी रात जगाया करता, धनपत सिंह भी मि_ी लय मैं नीलो चमन सुनाया करता, मांगेराम भी तू राजा की राजदुलारी गाया करता, जाट मेहर सिंह भी साथ रहेंगे गाकर खूब रवाया करता, पर ईब के फौगाट सुणावै समझ मैं कुछ भी आता ना, सारै दूम चम दूम चक हो रही समझ मैं कुछ भी आता कोन्या।।
हरियाणवी लोक गायन व हरियाणवी पोप में अपनी सशक्त पहचान बनाने वाले गजेंद्र की गायकी ने राष्ट्रीय कबड्डी प्रतियोगिता में अतिथियों और दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया है। गत दिवस कार्यक्रम में पधारे हरियाणा के स्वास्थ्य एवं खेल मंत्री अनिल विज ने विशेष तौर पर गजेंद्र से ‘सेक्टर आली कोठी मैं मेरा नहीं लागता जी’ सुनाने की फरमाईश की, जिस पर दर्शकगण भी झूमने को विवश हो उठे। ऐसा नहीं है कि इस युवा कलाकार ने केवल लोगों को मनोरंजन ही प्रदान किया हो। गजेंद्र ने अपनी गायन प्रस्तुतियों में सामाजिक एवं राष्ट्रीय समस्याओं को भी जोरदार तरीके से उठाते हुए युवा शक्ति का आह्वान किया है कि वे इनके समाधान में सक्रिय भूमिका अदा करें।
गजेंद्र ने देश के वीर शहीद सरदार भगत सिंह को नमन करते हुए युवाओं का आह्वान किया कि वे उन्हीं की राह का अनुसरण करें। उन्होंने युवाओं में देशभक्ति के जज्बे को कुछ यूं उकेरा- ‘करणी सै तै रीस करो उस भगत सिंह सरदार की।’ उन्होंने ज्वलंत सामाजिक समस्या कन्या भ्रूण हत्या पर भी तीखे प्रहार करते हुए गाया- ‘बूंद खून की तेरे गरभ मैं, तनै आज पुकारै माँ, आवण दे मनै दुनियां मैं क्यूं आण तै पहल्या मारै माँ।’ इस गीत पर तीन नन्हींं बच्चियां थिरकती दिखाई दे रही थी जिन्हें गजेंद्र अपने साथ मंच पर लेकर आये तो वातावरण गंभीर सागर में डूबता प्रतीत हुआ।
अब हर मुद्दे को अपनी गायकी से लोगों के समक्ष उठाने वाले गजेंद्र भला आतंकवाद सरीखी समस्या का जिक्र करने से कैसे वंचित रह सकते थे। गजेंद्र ने पाकिस्तान और उसके प्रधानमंत्री पर अपने गीतों से जोरदार प्रहार करते हुए लोगों को देशभक्ति के रंग से सराबोर कर दिया। उन्होंने देश की एकता व अखंडता बनाये रखने पर बल दिया।
राष्ट्रीय कबड्डी प्रतियोगिता का शुभारंभ गजेंद्र फौगाट की कर्णप्रिय गायकी से हुआ और समापन समारोह में भी उन्होंने रंग जमा दिया, जिनका अन्य कलाकारों ने भी पूरा साथ देते हुए दर्शकों का मनोरंजन करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लोक गायक कलाकार मासूम शर्मा ने भी दर्शकों पर अपनी गायकी का अमिट जादू बिखेरा है। उन्होंने अपने गीतों में हरियाणवी संस्कृति की मनोहारी छवि को उकेरा। हरियाणा में होने वाले आयोजनों में रागिनी का अपना अलग महत्व है, जिससे कबड्डी प्रतियोगिता भी अछूती नहीं रही।
रागिनी गायक कलाकारों रामनिवास व गुलाब सिंह आदि ने रागिनियों के माध्यम से लोगों को संस्कृति से रू-ब-रू कराया। इनके बीच रेडियो जॉकी रॉकी ने भी अपनी दमदार आवाज और शैली में दर्शकों को बांधे रखा। रॉकी ने चुटकुलों व किस्से-कहानियों के जरिये लोगों का मनोरंजन किया। इनके साथ युवक-युवतियों ने हरियाणवी सामूहिक नृत्य की दमदार प्रस्तुतियां दी।
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