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टेक्नोलॉजी फरीदाबाद

जे.सी. बोस विश्वविद्यालय में “स्मार्ट शहरों एवं बुद्धिमान गतिशीलता में तकनीकी नवाचार” कार्यशाला का शुभारंभ

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
फरीदाबाद:जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद में आज एआईसीटीई-वाणी प्रायोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला “स्मार्ट शहरों एवं बुद्धिमान गतिशीलता में तकनीकी नवाचार” का शुभारंभ हुआ। कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यशाला का उद्देश्य भारतीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा पाठ्यक्रमों को मजबूती प्रदान करना तथा स्मार्ट सिटीज़, डिजिटल गतिशीलता एवं सतत शहरी समाधानों के बदलते परिदृश्य को लेकर गहन समझ प्रदान करना है। कार्यक्रम का शुभारंभ पारंपरिक दीप-प्रज्वलन से हुआ। अपने संदेश में कुलगुरु प्रो. राजीव सिंह ने कहा कि इस प्रकार की कार्यशाला न केवल उभरती प्रौद्योगिकियों को लेकर समझ को बेहतर बनाएंगी, बल्कि मातृभाषा हिंदी में जटिल तकनीकी विषयों पर चर्चा करने की क्षमता को भी मजबूत करेगी। स्मार्ट सिटीज़ का सपना तभी साकार हो सकता है जब हम अपनी भाषा में सोचें, अपनी भाषा में नवाचार करें और अपनी भाषा में समाधान खोजें। उन्होंने विभाग को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बहुभाषी दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में यह सराहनीय कदम उठाने पर बधाई दी।
कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष प्रो. आशुतोष दीक्षित ने अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए वाणी योजना के मूल उद्देश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मातृभाषा में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का प्रभावी शिक्षण-अध्ययन ही व्यापक पहुंच सुनिश्चित करता है। कार्यशाला के थीम को रेखांकित करते हुए उन्होंने स्मार्ट सिटी इंफ्रास्ट्रक्चर, शहरी सततता, बुद्धिमान परिवहन प्रणालियाँ तथा एआई, आईओटी, डेटा एनालिटिक्स एवं संचार प्रौद्योगिकियों की शहरी जीवन में बदलावकारी भूमिका पर बल दिया। उन्होंने आयोजन टीम के समसामयिक उद्योग एवं समाज की जरूरतों के अनुरूप कार्यक्रम तैयार करने के प्रयासों की सराहना की।डीन (शैक्षणिक मामले) प्रो. अतुल मिश्रा ने स्मार्ट सिटी विकास के लिए बहु-विषयी ज्ञान की अनिवार्यता पर बल देते हुए कहा कि केवल भौतिक ढांचा ही शहरी चुनौतियों का समाधान नहीं है; ट्रैफिक प्रबंधन, पार्किंग, नॉन-मोटराइज्ड परिवहन तथा उत्सर्जन नियंत्रण के लिए डेटा-संचालित नीतियाँ भी उतनी ही आवश्यक हैं।डीन (एफआईसी) प्रो. मंजीत सिंह ने विभाग की निरंतर शैक्षणिक उन्नति की प्रशंसा की तथा हिंदी को तकनीकी विमर्श का सशक्त माध्यम बताया। उन्होंने कहा कि हिंदी की व्याकरणिक स्पष्टता एवं तार्किक संरचना विश्लेषणात्मक सोच को बढ़ावा देती है, जो अनुसंधान एवं नवाचार की आधारशिला है। स्मार्ट सिटी आर्किटेक्चर, इंटेलिजेंट मोबिलिटी या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे जटिल विषय हिंदी में अत्यंत सटीकता से व्यक्त किए जा सकते हैं।

आगामी दो दिनों में विशेषज्ञ व्याख्यान,हैंड्स-ऑन प्रदर्शन,संवादात्मक सत्र एवं केंद्रित चर्चाएँ आयोजित होंगी। कार्यक्रम में देशभर से आए फैकल्टी सदस्यों, शोधार्थियों, उद्योग पेशेवरों एवं बड़ी संख्या में छात्रों ने उत्साहपूर्ण भागीदारी की।उद्घाटन सत्र का समापन कार्यशाला समन्वयक डॉ. परुल तोमर द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। उन्होंने सभी अतिथियों, एआईसीटीई-वाणी, वक्ताओं, आयोजकों एवं प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया तथा सभी से विशेषज्ञों के साथ सक्रिय संवाद, प्रश्नोत्तर एवं स्मार्ट सिटीज़ व इंटेलिजेंट मोबिलिटी के ज्ञान को गहराने के अवसर का पूर्ण उपयोग करने की अपील की। उन्होंने बताया कि कार्यशाला का समय-सारणी संतुलित रूप से अवधारणाओं, अनुप्रयोगों एवं खुली चर्चाओं का समावेश रखते हुए तैयार की गई है।

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