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वीडियो सुने: हर मोर्चे पर विफल हुई है मोदी सरकार: चाहे रसोई का खर्चा हो या एलएसी का मोर्चा-डॉ अभिषेक मनु सिंघवी

अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
डॉ अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा तो दोस्तों, पहले कुछ मैं आपको संक्षेप में उदाहरण दे रहा हूँ, जिसके बारे में बात नहीं होती है, जिसके बारे में जवाब नहीं मिलता है। प्रधानमंत्री तो कभी प्रेस के साथ वार्तालाप करते ही नहीं हैं, उनका तो एक तरफा वन वे स्ट्रीट वाली बातचीत होती है, वार्तालाप नहीं कह सकते उसको। तो जो पहला मुद्दा है, आपको पता है कि कितने समय से चीन के साथ ये मुद्दा चल रहा है, लेकिन दुर्भाग्य की बात ये है कि सैंकड़ो एकड़ की, अब बहुत बड़ा इलाका लद्दाख में और आज अखबारों ने इसको प्रकाशित किया है, खुलासा किया है। वहाँ के जो भी गांव के लोग हैं, जो चरवाहे हैं, जो वहाँ भारत की जमीनों पर अपने जानवरों को चराते हैं, उन्होंने बड़ा स्पष्ट कहा है कि कम से कम तीन ऐसे बड़े, बहुत बड़े चराने वाले इलाके जहाँ पर भारतीय विलेजर्स, गांववासी, ग्रामीण जाया करते थे, अपने जानवरों के साथ, सदैव दशकों से उसको एक प्रकार से दे दिया गया है, क्योंकि उसको बफर जोन बनाया गया है। इसकी प्रकाशित न्यूज है आज उसके अलावा भी जानकारी है कि उसको बफर जोन के नाम पर एक प्रकार से ‘नो मैन्स लैंड’ जिसको कहते है, करके आपने उसका अधिकार क्षेत्र कम से कम हमारे चराने वाले लोगों से, हमारे ग्रामीण लोगों से छीन लिया है।

इसी इलाके में पेट्रोलिंग प्वाइंट्स हैं, पीपी-15-16 और 17, वहाँ से भी, इन पेट्रोलिंग प्वाइंटस को हम पीपी कहते है, उनसे भी हम पीछे हटे हैं। जिस व्यक्ति ने, जिस सामूहिक लीडर ने वहाँ के, कहा है, उसका नाम है, कोंचोक स्टोप्गियास, पूरा वहाँ का नम्बरदार कहते हैं, वो नम्बरदार है गांव का नाम है फोबरंग, ये पीपी नंबर-17 से लगभग 50-60 किलोमीटर दूर है। उसने कहा कि हम दशकों से यहाँ जाते हैं और अब हमको मालूम पड़ता है कि अब हम जा नहीं सकते क्योंकि बफर जोन बन गया है, नो मैन्स लैंड बन गया है। उनके अनुसार और कमोवेश वो थोड़ा ऊपर हो सकता है, उनके अनुसार ये इलाका जिस पर अधिकार क्षेत्र की आपने क्षति कर दी है, वो लगभग 40-41 किलोमीटर है, अकेले कुग्रांग वैली में।

आप देखिए, हम बातचीत करते है, हर हफ्ते, हर एक-दो हफ्ते में। आपको प्रधानमंत्री जी बोलते हैं, कभी ऐसा नहीं हुआ, एक इंच नहीं हमारी छाती के ऊपर नहीं रह सकते, हम ये करेंगे, हम वो करेंगे, ये व्यक्ति बता रहा है कि आपने फोरमली नहीं दिया, लेकिन एक प्रकार से उसको नो मैन्स लैंड बनाकर हमारा अधिकार क्षेत्र वहाँ पर खो दिया। मैं कोट करूँ उसको तो उसने कहा है- “Several government agencies have contacted me asking for land records; we do not possess them but that does not mean this land is not ours. Our elders have lived here for ages, they have memories. China is forcefully claiming our territory, the loss is ours,” ये वो लोग हैं, जो जानते हैं। जो जागरुक हैं, जो जमीनी सच पर दशकों से अपने परिवार और पूर्वजों के साथ रहे हैं और उनसे लैंड रिकॉर्ड मांगना एक मजाक है, एक क्रूर मजाक है। तो हम पहले तो ये पूछेंगे प्रधानमंत्री से कि ये जो इतनी बड़ी-बड़ी बातें होती हैं, इतने बड़े-बडे इवेंट मैनेजमेंट्स होते हैं, साथ-साथ इसका भी खुलासा करें, बातचीत करें, वार्तालाप करें।

दूसरा, मैं इसलिए बता रहा हूँ, क्योंकि इसके संदर्भ में ऐसे कई इशू हैं, 2-3 सिर्फ उदाहरण के रूप में कहूँगा, ऐसे कई मुद्दे एक तरफ और आपको हर दिन ईडी की तरफ ले जाया जाता है। दूसरा ऐसा मुद्दा है कीमतें, विशेषरूप से खाद्य पदार्थ की। आपको आश्चर्य होगा, क्योंकि इतनी आम बात हो गई है कि हम बात करते हैं कीमतों की कि पिछले एक हफ्ते 8 दिन में, 40 से 50 प्रतिशत खाद्य पदार्थ की कीमतें बढ़ी हैं, यानि आधी से ज्यादा बढ़ गई हैं, 7 दिन में। मैंने एक उदाहरण दिया उत्तर प्रदेश से, उत्तर प्रदेश में टमाटर 30 से 40 रुपए प्रति किलोग्राम से अब 80 रुपए प्रति किलोग्राम हो गया है और कुछ जगहों पर सौ रुपए भी है, लेकिन 80 मान लीजिए, टमाटर प्रति किलो। ये हुआ है लगभग 8 दिन में। नंबर दो, इस तरह के बहुत उदाहरण हैं, मैं सब नहीं दूंगा, लेकिन देखिए आप शिमला मिर्च 80 रुपए प्रति किलोग्राम है, बैंगन 40 रुपए किलोग्राम है, प्याज 25 रुपए किलोग्राम है, फूलगोभी 40 से 50 रुपए प्रति किलोग्राम है, इत्यादि, इत्यादि। दक्षिण से उत्तर, पूर्व से पश्चिम के सभी हमारे पास आंकड़े हैं। दक्षिण से आई है रिपोर्ट की धनिया लगभग 80-90 रुपए और 30 रुपए से 80-90 पहुंचा है, 8 दिन में, यानि इस केस में दोगुना नहीं तिगुना हुआ है। इसके साथ-साथ आर्थिक दृष्टि से फैक्ट्री आउटपुट गिर रहा है। 4 महीने का लोएस्ट हो गया है। एक तरफ कीमतें बढ़ रही हैं, दूसरी तरफ फैक्ट्री का उत्पादन घट रहा है। कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स का जो फिगर है, वो 6.7 से 7 प्रतिशत हो गया है और कुछ करीब 8-9 महीने पहले 5.3 था, सिर्फ। चावल का उत्पादन 60 से 70 लाख टन कम हुआ है। मेरे पास उदाहरण बहुत हैं, मैं देना नहीं चाहता, लेकिन ये सब बातें कोई नहीं करते हैं। बात होती है ईडी की रेड्स की, सेन्ट्रल विस्टा की, राष्ट्रवाद की। चीन ये करता है, लेकिन हम बात करते हैं, राष्ट्रवाद की। प्रधानमंत्री जी ने बहुत हल्ले-गुल्ले, शोर-गुल के साथ कहा था आपको कि कोविड के वक्त एमएसएमई पैकेज है, इतना बड़ा पैकेज है, व्यापक है, ये है, इत्यादि, इत्यादि। आपको ये पता होना चाहिए कि कुछ ही महीनों में 16 प्रतिशत एमएसएमई पैकेज के केसेस एनपीए बन गए हैं। यानि नॉन परफॉर्मिंग एसेट, जहाँ कोई रिकवरी का चांस नहीं है, 16 प्रतिशत!
एक और उदाहरण है, फिर मैं जाऊँगा अंतिम बात पर। वो उदाहरण है महिलाओं के विषय़ में। मैं आपको याद दिलाना चाहता हूँ, प्रधानमंत्री हमेशा अपने वक्तव्यों में, अपने भाषणों में महिलाओं के बारे में बात करते हैं। उनके प्रति हमारी मानसिकता और सोच को बदलाव की मांग करते हैं। उन्होंने कहा हाल में मैं कोट करता हूँ, अनुवाद है “A distortion has crept in our conduct and we at times insult women. Can we take a pledge to get rid of this in our behaviour”. अभी सच्चाई क्या है? प्रवचन और कथनी और करनी में जो फर्क होता है, एनसीआरबी डेटा है, न मेरा है, न आपका है, एनसीआरबी डेटा है, 60 लाख जो क्राइम हुए है, एक जनवरी, और 31 दिसम्बर के बीच पिछले वर्ष उसमें से करीब-करीब half a million, i.e, 5 lakh cases were crime against women and this is an increase of 26.35 per cent from 2016. एक चौथाई से ज्यादा बढ़ोतरी है। इसमें अबडक्शन है, किडनैपिंग है, रेप है, डोमेस्टिक वायलेंस है, डाउरी डैथ है, सबसे घृणात्मक महिलाओं और बच्चियों की ट्रैफिकिंग है, उसके आंकड़े हैं और इसमें सबसे अग्रणी स्थान पर है, उत्तर प्रदेश। ये सब एनसीआरबी डेटा है और अभी हाल में और किसी ने नहीं भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने कल, बीता हुआ कल, ये कहा कि कई गांव मध्य प्रदेश में ऐसे हैं, जहाँ परिवार फीमेल चाइल्ड को, यानि बच्चियों को बेच रहे हैं। ये उनका वक्तव्य है, हमारा नहीं है और उन्होंने तीन गांवों का नाम लिया, अपनी कॉन्स्टीट्यूएंसी में और कहा कि यहाँ लगभग ये चीज 250 और 300 बच्चियों के विषय में हुई है. तो दोस्तों, अंत में क्या इसका निष्कर्ष है। मैंने तीन उदाहरण दिए, आप तीन और दे सकते हैं, और वो लोग 3 और, ऐसे 9 नहीं 90 उदाहरण हैं, लेकिन बात इसकी होती है, बात होती है कि मजाक ये है कि आज क्या हुआ, आज बड़ा यूनिक दिन है, आज स्पेशल दिन है आज ईडी की रेड नहीं हुई कहीं पर। आज किसी के यहाँ ईडी ने छापा नहीं मारा, अरैस्ट नहीं किया, ये आपकी खबर है, आज तक। आज एक बहुत व्यापक आंकड़ों वाली स्टडी रिलीज हुई है, जो सब आपने पढ़ी है। उसमें बड़ा स्पष्ट लिखा है कि 4 गुना बढ़ोतरी हुई है ईडी केसेस में 2014 के बाद, यानि एक का चार हुआ है। 400 प्रतिशत होता है, 4 गुना और उस चार गुना में से, 2014 के बाद 95 प्रतिशत प्रतिपक्ष और विपक्ष के नेताओं पर केस बने हैं। इस देश में ईडी की जो लंबी फेहरिस्त है, शेड्यूल में, वो कोई क्राइम बीजेपी से संबंधित व्यक्ति नहीं करता है। इस देश में पीएमएलए एक्ट की जो बड़ी लंबी-चौड़ी फेहरिस्त है, वो सभी घिनौने क्राईम आप और हम करते है, जब तक हम बीजेपी से नहीं जुड़े हुए होते हैं। 95 per cent and a fourfold increase, ये दो ही अपने आप में बहुत हैं, और आंकड़े भी हैं, आपने पढ़े भी हैं, मैं उनमें नहीं जाना चाहता और आपको हर दिन एक ऐसा बताया जाता है कि इसने ये कर लिया, उसने वो कर लिया, आपका ध्यान जैसा मैंने शुरु में कहा, Divert, Digress and Deviate, तो हम आपको वापस लाना चाह रहे हैं, आपके जरिए कि देश के जो ये बहुत महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, इन पर जवाब दीजिए और जवाबदेही मांग रहे हैं। एक प्रश्न पर कि जब से बीजेपी सत्ता में आई है, कांग्रेस ने महंगाई, बेरोजगारी अन्य मुद्दों पर आंकड़े दिए हैं, और बीजेपी को घेरा है, लेकिन क्या आपको नहीं लगता कि ये सब बातें अब न्यू नॉर्मल हैं? डॉ सिंघवी ने कहा कि मैं आपसे बहुत हद तक सहमत हूँ और कितनी घिनौनी बात है कि रेप, अबडक्शन, महंगाई, खाद्य पदार्थ नहीं मिलना, न्यू नॉर्मल है। ये न्यू इंडिया है या न्यू नॉर्मल है, ये आप निर्णय करें। आप वाजिब कह रहे है, आप पूरी तरह से कोई गलत नहीं है, लेकिन ये कितनी घृणात्मक, कितनी दयनीय स्थिति है, कि हम, और ये बात सही है कि जितना आप ज्यादा गलत काम बढ़ाते रहेंगे, वो न्यू नॉर्मल बनेगा, लेकिन न्यू नॉर्मल, नॉर्मल होता है क्या? न्यू नॉर्मल, नॉर्मल नहीं होता है, वो अपवाद है, अपवाद रहेगा और हमारा काम, हमारी जिम्मेदारी ये है आपके जरिए बताना कि कितना घोर अपवाद होना चाहिए लेकिन वो न्यू नॉर्मल हो गया है।
On another question that do you think, people have accepted these things, Dr. Singhvi said- Look, I would find it very strange, if people were to accept, all the negativities of life, but, please do not mistake the lack of a response, the lack of a outcry to be acceptance. That is the fundamental mistake.There is huge simmering discontent and do not again ask me, just because elections are won, elections are won, near now about it elections on hundred reasons, but, that will not deter us from telling the people of India the kind of new normal, as you put it, has been created in terms of the three themes at least I touched upon today, not only mehangai, crimes against women, national security.On a question about Congress Presidential Election, Dr. Singhvi said- See, first of all, I have been hearing with the interest’s people like you are asking this phrase ‘free and fair’. Not one of you till now and I challenge you in the open press conference today have given me a single indicia of unfairness. I would welcome your single indicia of unfairness. If unfairness is having elections, then yes, it is unfair. If unfairness is letting anybody stand, then it is unfair, but, what else is there unfair, number-1.

On a further question about this, Dr. Singhvi said- I want to ask you, if the Congress Party, these are people and I would like you to name these people, who would say that you, as an office bearer of a particular unit because Congress should be fettered in the exercise of your power from passing a resolution. Is that freedom of democratic spirit in any party? Do they ask this question of any other party’s election? Today, suppose the Kerala unit has a view, does it mean that if the Kerala unit passes a resolution, a person is obliged to vote in that manner? They are giving effect to their view. I mean here is an election, you already have and in the same breath you asked me a contradictory question, so and so is filing nomination, so and so may file a nomination, so and so would likely to or not? That is hall mark of a free and fair election and people across the country are equally obliged to express their view. Many people have said that yes, we believe that so and so should be president, but, that you cannot fetter, you cannot say that between now and the election date, there should be a gag order on the Congress or on Congressmen, or on TCCs or on DCCs. So, you know actually you are doing exactly what you are condemning.
On another question about the UP government, Dr. Singhvi said- Survey is not the issue, we are looking at the final outcome of which the first step may have been taken. The survey by itself can never be objectionable, if it is just that, but, anybody, who knows the thinking, the object, the intention, and the possible final outcome of such activities can guess, that there will again be something, with some angle, with some internal द्वेष की भावना, and we have to wait and watch. So it is not by itself the act, which is being objected to. It is knowing the past character, history and nature of the Yogi government and the UP government that we can make a fair reasonable guess as to the real intention behind such moves.
भारत जोड़ो यात्रा के केरल में लगाए गए पोस्टर्स को लेकर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि हर अभियान में, भारत जैसे विशाल देश में, इतने बड़े समूह में हर प्रकार के लोग निश्चित करना जानते हैं और निश्चित करेंगे, करते रहेंगे। ये कोई नई बात नहीं है, हम इसके लिए तैयार हैं और आप जितना चाहें, लगाएं। हम ये भी जानते हैं कि जहाँ आपसी वैमनस्य फैलाना चाहें या आक्रोश का वातावरण पैदा करना चाहें, तो आपके दोस्त सरकारें कोई एक्शन नहीं लें, कई ऐसे इलाके भी हैं, लेकिन उससे हमारी यात्रा को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। हमारी सोच बदलने वाली नहीं है, हमारा मंतव्य और गंतव्य बदलने वाला नहीं है। भाजपा नेता टॉम वडक्कन द्वारा कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा को करप्शन जोड़ो यात्रा कहने से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि मुझे वो सुखद दिन याद आते हैं, जब यहाँ बैठते थे, मेरे साथ वो। खैर, इसमें कोई दोराय नहीं है कि इस यात्रा से बीजेपी, सत्तारूढ़ पार्टियाँ सकपका गई हैं, घबरा गई हैं, बौखला गई हैं, इसमें कोई दोराय नहीं हो सकती है और आप जो ये देख रहे हैं, अभी उन्होंने उदाहरण दिया सावरकर का, आपने उदाहरण एक और दिया, अब अगर आप भारत जोड़ो यात्रा को करप्शन जोड़ो यात्रा कहें, तो इसका मैं क्या तुक निकालूँ, मैं तो निरुत्तर हूँ, क्योंकि किस तुक से आप ये संबंध निकालते हैं? हाँ, ये कह सकते हैं, सकारात्मक ये होता है देश में अभियान करना, हम भी कर दें कोई और ऐसी यात्रा। की थी आपके मार्गदर्शक मंडल के लोगों ने कुछ वर्ष पहले, लेकिन इस प्रकार से मजाक उड़ाना, मैं समझता हूँ कुतर्क है और बेतुका है।

Sd/-

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