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पूरा देश हमारे मेहनती वैज्ञानिकों, केमिस्ट एवं शोधकर्ताओं की योग्यता, दृढ़ निश्चय व अथक परिश्रम को नमन करता है-कांग्रेस -देखें वीडियो 

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
रणदीप सिंह सुरजेवाला, महासचिव, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का बयान: पूरा देश हमारे मेहनती वैज्ञानिकों, केमिस्ट एवं शोधकर्ताओं की योग्यता, दृढ़ निश्चय व अथक परिश्रम को नमन करता है, जिन्होंने निरंतर कठोर श्रम करते हुए रिकॉर्ड समय में कोरोना वैश्विक महामारी की विभीषिका से लड़ने के लिए टीके का अविष्कार किया। पूरा देश उनका ऋणी है और हमें भारत के इन वैज्ञानिकों पर गर्व है। भारत ने यह आत्मनिर्भरता 4-6 वर्षों में अर्जित नहीं की है। यह दशकों की मेहनत का नतीजा है कि हम आज विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के तहत गर्भवती माताओं-बच्चों सहित लगभग 40 करोड़ मुफ़्त टीके प्रतिवर्ष नागरिकों को लगाते हैं। आजादी के बाद आधुनिक भारत के इतिहास में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सरकार ने वैज्ञानिक शोध को बढ़ावा दिया तथा व्यापक तौर पर फैले अंधविश्वास को खत्म करने एवं टी बी, चेचक, पोलियो, कुष्ठ रोग,खसरा, टिटनेस, डिप्थीरिया, काली खांसी, हैजा, दिमागी बुखार और मष्तिष्क की सूजन जैसी बीमारियों से लड़ने के लिए टीकाकरण की नीति अपनाई। हमें गर्व है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस एवं हमारे वैज्ञानिकों की दशकों की मेहनत की वजह से आज भारत दुनिया की आधी से अधिक वैक्सीन तैयार करने वाला देश है।

भारत के टीकाकरण एवं स्वदेशी वैक्सीन उत्पादन नीति की उपलब्धियां:-

राष्ट्रीय ट्यूबरकुलोसिस नियंत्रण कार्यक्रम(1962), राष्ट्रीय चेचक उन्मूलन कार्यक्रम (1962), 20 सूत्रीय कार्यक्रम के तहत टीकाकरण (1975), यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम (1985), पाँच राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी मिशन के तहत टीकाकरण (1986), राष्ट्रीय कुष्ठरोग उन्मूलन कार्यक्रम (1986) एवं राष्ट्रीय टीकाकरण नीति (2011) ने भारत में टीकाकरण की आधारशिला स्थापित की।

¨यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम (1985) की शुरुआत राजीव गांधी ने की थी। इसके तहत छः बीमारियों के लिए टीका लगाया गया था, जिनमें बीसीजी का टीका, टी बी के लिए; ओपीवी का टीका, पोलियो के लिए; डीपीटी का टीका डिप्थीरिया, पर्टुसिस (काली खांसी), टिटनेस एवं खसरा के लिए था।

¨ सरकार की प्रतिबद्धता एवं हमारे वैज्ञानिकों के दृढ़ निश्चय ने भारत को 1977 में चेचक से मुक्ति दिलाई, 2005 में ‘कुष्ठरोग’ का उन्मूलन किया, 2011 में देश को ‘पोलियो-मुक्त’ बनाया और हैजा का वर्चुअल उन्मूलन कर टी बी को नियंत्रित किया।

¨हमारी सरकार की गहन प्रतिबद्धता एवं वैज्ञानिकों के दृढ़ निश्चय के चलते भारत विकासशील देशों में सफलता के आयाम चढ़ते हुए घरेलू वैक्सीन के विकास एवं उत्पादन के मामले में विकसित देशों से आगे निकल गया।

इनमें से कुछ हैं:- लिक्विड बीसीजी (टी बी) का टीका 1951 में विस्तृत पैमाने पर उपलब्ध करा दिया गया। चेचक का टीका 1965 में आ गया। मुंह से दी जाने वाली पोलियो वैक्सीन 1970 में बना ली गई। खसरे का टीका 1980 में उपलब्ध हो गया। हेपेटाईटिस-बी वैक्सीन का उत्पादन 1997 में कर लिया गया। नॉवेल एच1एन1का टीका 2009 में बना लिया गया। मुंह से दिया जाने वाला, हैजा का टीका 2010 में विकसित कर लिया गया। 2012 में मस्तिष्क की सूजन के लिए जापानी टीका देश में ही बना लिया गया।

‘वैक्सीन का विकास’ एवं ‘व्यापक टीकाकरण’ इससे पहले ‘ईवेंट’ या ‘प्रचार प्रसार’ के स्टंट कभी नहीं बने, अपितु उनके माध्यम से देश के लोगों की सेवा के महत्वपूर्ण मानदंड स्थापित किए गए। पूरा देश सबसे आगे रहकर काम कर रहे ‘कोरोना वॉरियर्स’ यानि डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मियों, पुलिस कर्मियों आदि को कोरोना वायरस की टीका लगाने में सहयोग देने के लिए संगठित खड़ा है, लेकिन साथ ही यह ध्यान रखना भी आवश्यक है कि यह एक महत्वपूर्ण ‘जन सेवा’ है, न कि एक ‘राजनैतिक या व्यवसायिक अवसरवादिता का मौका’।

प्रधानमंत्री,नरेंद्र मोदी एवं भाजपा सरकार को इन महत्वपूर्ण प्रश्नों के जवाब देने होंगेः-

1.निशुल्क कोरोना वैक्सीन ‘किसे’, ‘कैसे’ और ‘कहां’ मिलेगी?

निशुल्क कोरोना वैक्सीन किसे मिलेगी? कितने लोगों को निशुल्क कोराना वैक्सीन दी जाएगी? आपको निशुल्क कोरोना वैक्सीन कहां से मिलेगी? भारत के ड्रग कंट्रोलर, श्री वी. जी. सोमानी के अनुसार, मोदी सरकार ने कोरोना वैक्सीन की 16.5 मिलियन (165 लाख) खुराकें मंगाई हैं (5.5 मिलियन कोवैक्सीन एवं 11 मिलियन कोवीशील्ड)। हर व्यक्ति को 2 खुराक दिए जाने पर यह वैक्सीन 82.50 लाख डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मियों आदि को ही दी जा सकेगी, जबकि मोदी सरकार दावा कर रही है कि पहले राउंड में वैक्सीन 3 करोड़ लोगों को दी जाएगी। प्रधानमंत्री जी एवं मोदी सरकार इस बात का जवाब देने से कतरा रहे हैं कि भारत की बाकी जनसंख्या, यानि 135 करोड़ नागरिकों को कोरोना वैक्सीन कैसे मिलेगी और क्या यह वैक्सीन उनके लिए भी निशुल्क होगी? क्या मोदी सरकार को खबर नहीं कि भारत में लोगों की एक बड़ी संख्या यानि 28 प्रतिशत लोग बीपीएल (गरीबी रेखा के नीचे) या गरीब हैं (यूएनडीपी)? क्या सरकार को यह नहीं मालूम कि 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 31 करोड़ दलित/आदिवासी हैं? क्या मोदी सरकार यह भी नहीं जानती कि भारत की 41 प्रतिशत जनसंख्या पिछड़ा वर्ग में आती है? क्या सरकार इस बात से भी बेखबर है कि खाद्य सुरक्षा कानून के तहत देश में 81.35 करोड़ लोग रियायती दर पर राशन पाने के हकदार हैं (पीआईबी प्रेस विज्ञप्ति, दिनांक 19 जुलाई, 2019)?क्या दलित, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग, बीपीएल, एपीएल, गरीब एवं सुविधाओं से वंचित लोगों को वैक्सीन निशुल्क मिलेगी या नहीं? यदि हाँ, तो उन्हें वैक्सीन दिए जाने की क्या योजना है और सरकार कब तक उन्हें निशुल्क वैक्सीन देगी?

24 अक्टूबर, 2020 को भाजपा एवं वित्तमंत्री,श्रीमती निर्मला सीतारमन ने अपने चुनावी घोषणापत्र में बिहार के सभी लोगों को‘निशुल्क कोरोना वैक्सीन’ पहुंचाए जाने का वादा किया था। 31 अक्टूबर, 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने देश को भरोसा दिलाया था कि कोरोना वैक्सीन हर व्यक्ति तक पहुंचाई जाएगी। 2जनवरी, 2021 को स्वास्थ्यमंत्री, डॉक्टर हर्षवर्धन ने निशुल्क वैक्सीन का वादा किया, लेकिन बाद में वो अपनी बात से पीछे हट गए। अब मोदी सरकार यह बताने से इंकार कर रही है, कि किन लोगों को ‘कोरोना वैक्सीन’ निशुल्क मिलेगी और किन्हें नहीं।

2.‘कोवीशील्ड एवं कोवैक्सीन’ का मूल्य?

(i) ‘कोवीशील्ड’ एक ‘एस्ट्राजेनेका एजैड वैक्सीन’ है, जो ‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’- एसआईआई द्वारा बनाई जाती है। सीरम इंस्टीट्यूट यह वैक्सीन भारत सरकार को 200 रु./खुराक की दर से दे रहा है। एस्ट्राजेनेका ने वैक्सीन ‘बिना कोई मुनाफा कमाए’ देने का वादा किया है। (

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