अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:डॉ. उदित राज (पूर्व सांसद), राष्ट्रीय चेयरमैन, असंगठित कामगार एवं कर्मचारी कांग्रेस (केकेसी) ने आज भारत सरकार के श्रम मंत्री मनसुख मांडविया को पत्र लिखकर देशभर में असंगठित और गिग श्रमिकों के बढ़ते असंतोष पर तुरंत संज्ञान लेने की मांग की है। मई और जून 2025 में कई राज्यों में हुए विरोध प्रदर्शनों को गंभीर चेतावनी मानते हुए उन्होंने कहा कि यह केवल वेतन और सुरक्षा की मांग नहीं, बल्कि श्रमिकों की गरिमा और जीवनयापन के अधिकार की लड़ाई है।
डॉ. उदित राज ने अपने पत्र में देशभर की प्रमुख घटनाओं का ज़िक्र किया है:
• कोयंबटूर (9 जून): 200 से अधिक सफाई कर्मचारी केवल ₹500 की दिहाड़ी पर काम कर रहे हैं जबकि सरकार ने ₹770 तय की है। PF/ESI लाभ भी नहीं दिए जा रहे हैं।
• जयपुर (24 जून): वाल्मीकि समुदाय के श्रमिकों ने भर्ती रोकने और 50% आरक्षण लागू न करने पर 15 अगस्त से “स्टॉप वर्क – नो ब्रूम” की चेतावनी दी है।
• नोएडा (25 जून): बिगबास्केट डिलीवरी कर्मियों ने प्रति ऑर्डर भुगतान ₹36–42 से घटाकर ₹25 किए जाने पर हड़ताल की।
• वाराणसी (मई): ब्लिंकिट डिलीवरी कर्मियों की IDs विरोध के बाद ब्लॉक कर दी गईं और उन्हें “नो-स्ट्राइक” घोषणा पर हस्ताक्षर के लिए मजबूर किया गया।
• हैदराबाद (मई): ज़ेप्टो डिलीवरी कर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए।
• 20 मई: देशव्यापी ट्रेड यूनियनों की हड़ताल, जिसमें न्यूनतम वेतन, मनरेगा विस्तार और श्रम कोड रद्द करने की मांग की गई।
मुख्य समस्याएं और मांगें:
• वेतन में कमी और शोषण: स्वच्छता, गिग, प्लेटफ़ॉर्म जैसे सभी क्षेत्रों में आय कानूनी न्यूनतम से कम है, साथ ही मनमाने ढंग से वेतन में कटौती और शोषणकारी ऐप-आधारित नियंत्रण भी हैं।
• श्रम असुरक्षा: श्रमिकों को अचानक पहचान पत्र निष्क्रिय किए जाने, जबरन छूट दिए जाने और सौदेबाजी के अधिकार से वंचित किए जाने का सामना करना पड़ता है – जो संगठन बनाने की स्वतंत्रता को कमजोर करता है।
• सामाजिक सुरक्षा घाटा: पीएफ/ईएसआई कवरेज और औपचारिक अनुबंध दुर्लभ हैं, भले ही राज्य द्वारा अनिवार्य हों।
• अधूरे कानूनी सुरक्षा उपाय: स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट, 2014 और घरेलू कामगार कानून पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों जैसे क़ानूनों का ठीक से पालन नहीं किया जाता है।
• बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के मनरेगा कर्मचारी उचित वेतन, समय पर भुगतान और एबीपीएस/एनएमएमएस बहिष्करण को वापस लेने के लिए अपना आंदोलन जारी रख रहे हैं।
तत्काल नीतिगत मांगें
श्रम मंत्रालय से बिना देरी किए निम्नलिखित कार्रवाई की मांग किया:
1. गिग/प्लेटफॉर्म वेतन संरचनाओं, ऐप-आधारित श्रम प्रथाओं और कल्याण प्रावधानों की समीक्षा करने के लिए एक त्रिपक्षीय टास्क फोर्स की स्थापना करें।
2. गिग वर्कर समावेशन को अनिवार्य करें: प्लेटफॉर्म डिलीवरी वर्कर्स को वेतन, पीएफ/ईएसआई और सामाजिक सुरक्षा अधिकारों के साथ वैधानिक कर्मचारियों के रूप में वर्गीकृत करने के लिए श्रम संहिताओं में संशोधन करें।
3. स्वच्छता मजदूरी लागू करें: स्वीकृत मजदूरी, पीएफ/ईएसआई अनुपालन और स्थगित भर्तियों को पूरा करने का ऑडिट करें और सुनिश्चित करें।
4. स्ट्रीट वेंडर्स के साथ संवाद को अनिवार्य करें और 2014 के कानून के तहत लाइसेंसिंग और कल्याण बोर्डों को चालू करते हुए “शून्य बेदखली” को लागू करें।
5. श्रमिक अधिकारों की रक्षा करें: प्रतिशोधात्मक आईडी ब्लॉकिंग (जैसा कि वाराणसी/ब्लिंकिट में देखा गया) पर रोक लगाएं और अनौपचारिक-क्षेत्र के विरोधों के लिए उचित प्रक्रिया सुरक्षा सुनिश्चित करें।
6. ट्रेड यूनियन के आह्वान का समर्थन करें: सार्वभौमिक न्यूनतम मज़दूरी, विस्तारित मनरेगा प्रावधानों और शत्रुतापूर्ण श्रम संहिताओं को निरस्त करने की 20 मई की मांग पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दें।
7. मनरेगा बजट बढ़ाएँ, 100-125 दिनों की गारंटीशुदा काम की व्यवस्था बहाल करें और कानून के अनुसार 15 दिनों के भीतर भुगतान सुनिश्चित करें।
डॉ. उदित राज ने कहा कि “90% भारतीय श्रमिक असंगठित क्षेत्र में हैं, लेकिन नीतियां उनके अस्तित्व की अनदेखी कर रही हैं। यदि सरकार ने तुरंत कदम नहीं उठाए, तो यह असंतोष एक बड़े सामाजिक संकट में बदल सकता है।” उन्होंने श्रम मंत्री से अपील की है कि इस मुद्दे पर जल्द से जल्द बातचीत की शुरुआत हो और श्रमिक संगठनों को बुलाकर समाधान निकाला जाए। ऐसा न होने पर उन्होंने देशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है।
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