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खेती हड़पने के तीन काले कानूनों को सही बता किसानों के साथ ष़ड़यंत्र कर रहे हैं पीएम नरेन्द्र मोदी-सुरजेवाला-देखे वीडियो

नई दिल्ली/ अजीत सिन्हा
रणदीप सिंह सुरजेवाला, महासचिव, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का बयान:महात्मा गाँधी ने कहा था, “जो कानून तुम्हारें अधिकारों की रक्षा न कर सके उसकी अवहेलना करना तुम्हारा परम कर्त्तव्य हैं।”

तीन खेती विरोधी काले कानूनों ने मोदी सरकार के मुख़ौटे को उतार दिया है !

असल में मोदी सरकार का मूल मंत्र है :

किसानों का शोषण, पूंजीपतियों का पोषण,

किसानों का दमन, पूंजीपतियों को नमन,

आज ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री मोदी जी ने देवी अन्नपूर्णा की बात की। क्या देवी अन्नपूर्णा दिल्ली के चारों ओर लाखों की संख्या में बैठे अपने बच्चों यानि कराहते हुए किसानो की दुर्दशा देख खुश होंगी या दुखी? क्या मोदी जी ने इस बारे भी सोचा?

आज देश के प्रधानमंत्री जी ने पूरे देश में आंदोलनरत किसानों का अपमान करते हुए कृषि विरोधी काले कानूनों को सही बता दिया। जब देश का प्रधान मंत्री ही 62 करोड़ किसानों की बात सुनने के बजाय पूंजीपतियों के पोषण के तीन खेती विरोधी काले कानूनों को सही बताए, तो न्याय कौन देगा?

यही नहीं, भाजपा के प्रवक्ता व सांसद तथा हरियाणा के मुख्यमंत्री, श्री मनोहर लाल खट्टर किसानों को ‘आतंकी’ बताते हैं। उत्तर प्रदेश के एक मंत्री किसानों को ‘गुंडा’ कहते हैं। पहले भी देश के कृषि मंत्री द्वारा किसान आत्महत्या का कारण ‘नपुंसकता’ तक संसद के पटल पर बता किसानों का अपमान किया जा चुका है। यही नहीं शांतिप्रिय तरीके से खेती विरोधी काले कानूनों के खिलाफ देश की राजधानी दिल्ली आ रहे किसानों पर 12 हजार एफआईआर भाजपा सरकार द्वारा दर्ज की गई हैं। सच्चाई ये है कि मुट्ठी भर पूंजीपतियों के पैर पूजने वाली मोदी सरकार 20-25 लाख करोड़ का खेती उपज का कारोबार 62 करोड़ किसानों, मजदूरों, आढ़तियों, कामगारों से छीनकर मुट्ठीभर पूंजीपतियों को सौंप देना चाहती है। क्या मोदी जी किसानों द्वारा उठाई जा रही- सरल बातों का जवाब देंगे?

1) समर्थन मूल्य की समाप्ति का षड़यंत्र

मोदी सरकार ने अनाज मंडियों को खत्म करने का कानून बनाया है। अगर अनाज मंडिया खत्म हो जाएंगी तो MSP पर किसान का अनाज खरीदेगा कौन? क्या मोदी सरकार व ‘फ़ूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया’ से फसल खऱीदने जाएंगे? यह अपने आप में असंभव है। जब समर्थन मूल्य कोई देगा ही नहीं, जो अनाज मंडी में मिलता था, तो फिर MSP मिलेगा कैसे, देगा कौन और मिलेगा कहाँ?

2) जमाखोरों को खुली छूट

इन काले कानूनों में मोदी सरकार ने जमाखोरों को असीमित मात्रा में फ़सलों यानि गेहूं, चावल, दाल इत्यादि की जमाखोरी की छूट दे दी है। किसानों की फसलें आने पर ये जमाखोर सस्ते दाम में फसल खरीद लेंगे और बाद में आम आदमी को औने पौने दामों में बेचेंगे। न किसान को कीमत मिलेगी और आम आदमी महंगाई की मार से पिसेगा।

3) एक देश, एक बाज़ार का सफ़ेद झूठ

मोदी सरकार ने एक और झूठ परोसा, कहा कि किसान एक राज्य से दूसरे राज्य फ़सल बेच सकता है। देश में 86 प्रतिशत किसानों के पास 5 एकड़ से कम ज़मीन है। उसमें से भी 80 प्रतिशत किसान ऐसे हैं जिनके पास 2 एकड़ ज़मीन है। वो अपने जिले से बाहर फसल बेचने की क्षमता नहीं रखते तो दूसरे राज्य में कैसे बेचेंगे? साफ है मुट्ठीभर धन्ना सेठ खरीदेंगे और वो अपने मर्जी के दाम पर बेचेंगे।

4) पूँजीपतियों के हवाले खेती

मोदी सरकार ने कॉरपोरेट कॉन्ट्रेक्ट फार्मिग का कानून बनाकर फिर जमींदारी की शोषणकारी प्रथा की आग में किसानों को झोंक दिया है। मोदी सरकार जानती है कि 86 प्रतिशत छोटे किसानों की क्षमता ही नहीं होगी पूंजीपतियों से लड़ने की और इस तरह 20 से 25 लाख़ करोड़ का खेती का व्यापार करोड़ों किसानों से छीनकर मुट्ठी भर पूँजीपतियों को सौंप दिया जाएगा।

5) गरीब की राशन प्रणाली पर प्रहार और मंडियों के आढ़ती-मजदूर-कर्मजारी बेरोजगार

जब समर्थन मूल्य पर अनाज खरीदा ही नहीं जाएगा तो सार्वजनिक वितरण प्रणाली में 86 करोड़ लोगों को अनाज कैसे मिलेगा? और अनाज मंडिया ख़त्म होने पर लाखों मंडियों के कर्मचारी, हम्माल, छोटे आढ़ती, सभी का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।

6) खेत मज़दूर – बटाईदार का भविष्य अंधकारमय

किसानों के साथ खेत-मज़दूर और खेतों को बटाई पर लेने वाले करोड़ों लोगों का इस कानून में ज़िक्र तक नहीं है। उनके साथ भी ये बड़ा कुठाराघात होगा।

आज मोदी जी ने नए कृषि कानूनों के लाभ गिनाते हुए मक्के के किसानों का ज़िक्र किया। आइये जानते हैं मक्का के किसानों की हकीक़त।

देशभर में मक्का का किसान अपनी बदहाली पर आँसू बहा रहा है। मक्का का समर्थन मूल्य 1,850 रु प्रति क्विंटल तय किया गया है मगर देश भर में किसानों की फ़सल 700 से 900 रु प्रति क्विंटल के बीच बिकी है। मध्यप्रदेश से लेकर बिहार तक मक्का के किसान सरकार से गुहार लगाते रहे मगर मोदी सरकार के कानों में जूँ तक नहीं रेंगी । बिहार में तो मक्का के किसान हाइकोर्ट गए, मगर मोदी सरकार ने एक दाना भी नहीं खरीदा।

नियोजित रूप से पूँजीपतियों के लिए मोदी सरकार फ़सलों के दाम गिराती है।

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