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दिल्ली

एलजी सब कुछ करेंगे तो चुनी हुई सरकार क्या करेगी? हम मिलकर काम करना चाहते हैं- अरविंद केजरीवाल


अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:दिल्ली की चुनी हुई सरकार के कामों में लगातार दखल दे रहे एलजी से आज सीएम  अरविंद केजरीवाल ने मुलाकात की। उसके बाद प्रेस वार्ता कर कहा कि एलजी सब कुछ करेंगे तो चुनी हुई सरकार क्या करेगी? हम मिलकर काम करना चाहते हैं। संविधान पीठ के निर्णय को एलजी ने सुप्रीम कोर्ट की राय बताया और कहा कि मैं इन्हें नहीं मानता। मैंने पूछा कि क्या पीएम मोदी के काम से नाखुश होने पर राष्ट्रपति उनको आदेश दे सकती है। इस पर एलजी का कहना है कि वो अलग है। दिल्ली के मामले में मैं प्रशासक हूं। वहीं, संविधान पीठ का स्पष्ट आदेश है कि एलजी कोई भी निर्णय स्वतंत्र रूप से नहीं ले सकते।

इसका मतलब है कि जैस्मीन शाह का दफ्तर सील करना, 10 एल्डरमैन का मनोनयन, पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति, 164 करोड़ रुपए की रिकवरी नोटिस, टीचर्स को फिनलैंड जाने से रोकना, योगा क्लास बंद करना अवैध था। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार दिल्ली में पुलिस, लैंड और पब्लिक ऑर्डर पर सारे निर्णय लेने का अधिकार एलजी के पास है। इसके अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी व सड़क समेत सारे ट्रांसफर सब्जेक्ट दिल्ली की चुनी हुई सरकार के दायरे में आते हैं। एलजी साहब से निवेदन है कि आप अपने साथ एक अच्छा संवैधानिक सलाहकार रख लें, जो आपको सलाह दे कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश सलाह नहीं होते हैं, बल्कि बाध्य होते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अगर कहा है कि एलजी को स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की शक्ति नहीं है, तो नहीं है। मेरा निवेदन है कि आप सुप्रीम कोर्ट के आदेशों, संविधान और जनतंत्र का सम्मान करें।

दिल्ली की चुनी हुई सरकार के कामकाज में एलजी द्वारा लगातार हस्तक्षेप किया जा रहा है, जिसकी वजह से दिल्ली में विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। इस विवाद को सुलझाने के उद्देश्य से आज सीएम अरविंद केजरीवाल ने एलजी से जाकर मुलाकात की और संविधान व सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों समेत अन्य नियमों पर उनसे विस्तार से चर्चा की। इसके बाद सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रेस वार्ता कर बैठक में एलजी के साथ हुई वार्तालाप की जानकारी दी। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार के मामलों में एलजी साहब का हस्तक्षेप दिन पर दिन बहुत ज्यादा बढ़ता जा रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस हस्ताक्षेप से दिल्ली की चुनी हुई सरकार के कामों में बाधा पहुंचाई जा रही है, जिसकी वजह से दिल्ली के लोगों की जो जरूरते हैं, जो सपने हैं, वो पूरे नहीं हो पा रहे हैं। उनके काम रुकते जा रहे हैं। इन्हीं मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आज मैं एलजी साहब से मिला था। इस मुलाकात में मेरी मंशा यही थी कि अगर हमारे कानून और संविधान को समझने में कुछ गलतफहमियां हैं या आपसी मतभेद हैं, तो उसका समाधान किया जाए। मैं एलजी से चर्चा करने के लिए कई सारी किताबें, देश का संविधान, मोटर व्हीकल एक्स, जीएनसीटीडी एक्ट, स्कूल एजुकेशन एक्ट और सुप्रीम कोर्ट के सारे आदेश (जजमेंट) लेकर गया था और हमारी काफी लंबी चर्चा भी हुई।सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में तीन विषय हैं, जिसमें जमीन, पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था (पब्लिक ऑर्डर) शामिल है। संविधान में लिखा है कि इन तीनों विषयों पर सारे निर्णय लेने का अधिकार एलजी के पास है। इन तीनों विषयों को हम रिजर्व सब्जेक्ट कहते हैं। इसके अलावा, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी और सड़क समेत बाकी सारे विषय दिल्ली की चुनी हुई सरकार के दायरे में आते हैं। इन्हें ट्रांसफर सब्जेक्ट्स कहा जाता है, जो चुनी हुई सरकार को ट्रांस्फर किए गए हैं। यानी एलजी के पास रिजर्व सब्जेक्ट्स हैं और चुनी हुई सरकार के पास ट्रांस्फर सबजेक्ट्स हैं। उन्होंने कहा कि 4 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने दिल्ली की चुनी हुई सरकार को लेकर एक आदेश पारित किया था। इस फैसले में दो जगह साफ शब्दों में एलजी के लिए आदेश लिखा गया है। एक स्थान पर लिखा है कि “लेफ्टिनेंट गवर्नर को स्वतंत्र रूप से कोई भी निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। यह बात संविधान पीठ के निर्णय में लिखा हुआ है। दूसरी अहम बात यह लिखी हुई है कि लेफ्टिनेंट गवर्नर के पास निर्णय लेने के लिए कोई स्वतंत्र प्राधिकरण नहीं है। केवल उन मामलों को छोड़कर जहां वह किसी भी कानून के तहत न्यायिक या अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण के रूप में अपने विवेक का प्रयोग करते हैं या राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 239 के तहत उन मामलों पर निर्णय लेने का अधिकार सौंपा गया है, जो जीएनसीटीडी की सरकार की क्षमता के बाहर है। ऐसे कुछ मुद्दे जहां पर एलजी साहब एक न्यायाधीश की तरह काम करते हैं, उसको छोड़कर किसी भी मुद्दे पर उनके पास स्वतंत्र निर्णय लेने की शक्ति नहीं है। मुख्यंत्री अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का मतलब यह हुआ कि एलजी साहब ने जो जैस्मीन शाह का दफ्तर सील करने का आदेश दिया, वो गैरकानूनी और असंवैधानिक था। इसी तरह, एलजी साहब ने जो एल्डरमैन 10 बनाए, वो भी गैरकानूनी और असंवैधानिक था। एलजी द्वारा पीठासीन ऑफिसर के आदेश पास करना, 168 करोड़ रुपए के रिकवरी नोटिस के लिए ऑर्डर पास करना, दिल्ली के शिक्षकों को फिनलैंड जाने से रोकाने के ऑर्डर पास करना और दिल्ली के अंदर योगा क्लासेस बंद कराने का आदेश भी गैरकानूनी था और असंवैधानिक था। मैंने एलजी को ये आदेश दिखाए, तो उनका कहना था कि यह सुप्रीम कोर्ट की राय हो सकती है। उनका कहना है कि संविधान में लिखा है कि मै ‘एडमिनिस्ट्रेटर’ यानी ‘प्रशासक’ हूं। एक प्रशासक कुछ भी कर सकता है। किसी भी विषय में हस्तक्षेप कर सकता है। अगर मुझे लगेगा कि सरकार कुछ गलत कर रही है तो मैं किसी को कोई भी आदेश दे सकता हूं। मैंने रिजर्व सब्जेक्ट और ट्रांस्फर सब्जेक्ट का सवाल उठाया तो उसपर भी एलजी का यही जवाब मिला कि इसका कोई मतलब नहीं है। मैं प्रशासक हूं। मैं किसी भी विषय पर किसी भी अधिकारी को कोई भी आदेश दे सकता है। ये मुझे पावर है। मैंने उनसे कहा कि कल को अगर देश की राष्ट्रपति कहती हैं कि मैं प्रधानमंत्री मोदी  के काम से खुश नहीं हूं और वो गलत काम कर रहे हैं, तो क्या वो आदेश दे सकती हैं। इस पर एलजी साहब ने कहा कि वो अलग है। दिल्ली के मामले में मैं प्रशासक हूं और मैं सुप्रीम हूं और मेरे को सारी पावर है। यह सुप्रीम कोर्ट की राय हो सकती है। मै इसको नहीं मानता। जब उन्होंने यह कहा, तो मुझे काफी आश्चर्य जनक लगा। मैंने कहा कि आप चीफ सेक्रेटरी से सीधे फाइल मंगवाते हैं और आप चीफ सेक्रेटरी को सीधे फाइलें नीचे भेजते हैं। जबकि सरकार ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल ऑफ गवर्नमेंट ऑफ एनसीटी दिल्ली से चलती है। इसमें कहीं इस बात का जिक्र नहीं है कि आप सीधे फाइलें भेजी जाएं। इस मामले में भी उन्होंने कहा कि ये नियम मेरे ऊपर लागू नहीं होते। मैं किसी भी अधिकारी को कोई भी फाइल भेज सकता हूं, किसी भी अफसर से कोई भी फाइल मंगवा सकता हूं। किसी भी अफसर को कोई भी आदेश दे सकता हूं।सीएम अरविंद केजरीवाल ने एलजी से पूछा कि आपने एल्डरमैन का मनोनयन किस कानून के आधार पर किया। इस पर एलजी साहब ने कहा कि एमसीडी एक्ट में लिखा है कि प्रशासक एल्डरमैन की नियुक्ति कर सकता है। चूंकि इसमें प्रशासक लिखा हुआ है। इसलिए यह मेरे अधिकार क्षेत्र में है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के सभी कानून में प्रशासक का नाम लिखा हुआ है। फिर चाहे वो एजुकेशन एक्ट की बात हो या डीएमसी एक्ट, बिजली एक्ट, पानी का एक्ट हो, सभी जगह प्रशासक लिखा हुआ है। क्योंकि दिल्ली राज्य 1992 में बना था। उससे पहले प्रशासक ही दिल्ली में होते थे। सभी कानून भी तभी के चले आ रहे हैं। उसके बाद कोई नए कानून नहीं बने। इस पर एलजी का कहना है कि फिर सारे काम मैं करूगा। तब मैंने उनसे पूछा कि मैं क्या काम करूंगा। इस पर एलजी कहते हैं कि वो आप जानो। फिर सुप्रीम कोर्ट का आदेश, ट्रांसफर और रिजर्व सब्जेक्ट का कोई मतलब ही नहीं है। सारे काम प्रशासक ही करेगा। एलजी साहब की समझ यही कहती है कि प्रशासक का मतलब सारे काम वही करेंगे। मैंने एलजी को सुप्रीम कोर्ट के 2019 का एक और आदेश दिखाया। जिसमें साफ लिखा है कि एलजी दिल्ली सरकार की सलाह पर कार्य करेगा। यानी जिस सरकारी दस्तावेज में सिर्फ एलजी लिखा है, वहां भी एलजी को चुनी हुई सरकार की सलाह पर कार्य करना होगा। साथ ही, मैंने उनको हाईकोर्ट का ऑर्डर दिखाया, जिसमें ओपी पहावा का 1998 का आदेश है। मोटर व्हीकल एक्ट में यह साफ लिखा है कि एलजी ही गवर्नमेंट ऑफ दिल्ली है, मगर इसमें भी साफ लिखा है कि एलजी को चुनी हुई सरकार की सलाह पर कार्य करना होगा। इस पर भी एलजी का कहना है कि यह उनकी राय हो सकती है। मैं तो प्रशासक हूं, मेरे पास सुप्रीम पावर है।सीएम अरविंद केजरीवाल ने बताया कि मैंने एलजी साबह से बार-बार कहा कि हमें मिलकर कार्य करना चाहिए। इससे जनता में भी अच्छा संदेश नहीं जाता कि एलजी और सीएम में मतभेद हैं। इस तरह से आप चुनी हुई सरकार का काम मत रोकिए। मैंने एलजी से शिक्षकों के फिनलैंड भेजने के आदेश पर रोक लगाने की वजह पूछी। इसपर एलजी ने पहले इंकार किया कि हमारी ओर से कोई रोक नहीं लगाई गई है। मगर एलजी के दफ्तर से दो बार फाइल रोकी गई, इसमें यह आपत्ती लगाई गई कि शिक्षा विभाग को शिक्षकों को ट्रेनिंग पर भेजने से पहले कॉस्ट बेनिफिट एनालिसेस करना चाहिए। मैंने उनसे कहा कि इस देश का सैनिक अपनी जान तक दे देता है। उसे महीने की 50-60 हजार रुपए वेतन मिलता है। जिस दिन वो अपनी जान की कॉस्ट बेनिफिट एनालिसेस करनी चालू कर दी, तो न आप बचेंगे और न मैं बचूंगा। हम अपने बच्चों का भविष्य बना रहे हैं और आप पूछ रहे हैं कि उसकी कॉस्ट बेनिफिट एनॉलिसिस क्या होगी? मेरे दो बच्चे हैं। मैं अपनी सारी कमाई बच्चों पर लगा देता हूं। अगर मैं अपने बच्चों के लिए जो कर रहा हूं उसका कॉस्ट बेनिफिट एनॉलिसिस करना शुरू कर दूं तो ऐसे काम नहीं होता। कई चीजों की कॉस्ट बेनिफिट एनॉलिसिस नहीं होती है। हम देश बना रहे हैं। हम राष्ट्र निर्माण की दिशा में काम कर रहे हैं। आज बच्चों का भविष्य बनेगा, तब राष्ट्र बनेगा। मैंने उनसे पूछा कि क्या आजतक सीएम की कास्ट बेनिफिट एनॉलिसिस हुई कि सीएम होना चाहिए या नहीं होना चाहिए। क्या आजतक एलजी की कास्ट बेनिफिट एनॉलिसिस हुई है कि एलजी का दफ्तर सरकार के लिए अच्छा है कि बुरा है। अभी वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम होने वाला है। उसमें सारे देशों के बड़े-बड़े लोग स्वीटजरलैंड घूमने जा रहे हैं। उनकी कभी कॉस्ट बेनिफिट एनालिसेस नहीं हुई। मगर ये शिक्षकों फिनलैंड जा रहे हैं, तो उनकी कॉस्ट बेनिफिट एनॉलिसिस मांगी जा रही है। यह तो रोकने के लिए किया जा रहा है।सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैंने एलजी साहब को बताया कि पिछले तीन महीने में सभी लगभग सभी विभाग में अधिकारियों ने सभी भुगतान रोक दिए हैं। जिसका नतीजा यह निकला है कि जल बोर्ड के कई एसटीपी (सीवर ट्रीटमेंट प्लांट) और वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट का काम रुक गया है। हालात ये हैं कि मोहल्ला क्लीनिक्स में दवाइयां बंद कर दी गई हैं, टेस्ट बंद हो गए हैं, डॉक्टर्स को वेतन नहीं मिल रहा है। रेंट बंद हो गया है, बिजली की सब्सिडी बंद कर दी गई है। डीटीसी की बसों में जो बस मार्शल चलते हैं उनका वेतन रुक गया है। अस्पताल के स्टाफ को पैसा नहीं मिल रहा। डीटीसी की सैलरी रुक गई, पेंशन रुक गई। वृद्धा पेंशन रोक दी गई है। एमसीडी चुनाव के तीन महीने पहले सब कुछ रोक दिया गया, ताकि आम आदमी पार्टी को नुकसान हो। इसपर भी एलजी ने कहा कि मैंने नहीं किया। मैंने उनसे कहा कि दिल्ली सरकार के सारे अफसरों दबी जुबान कह रहे हैं कि एलजी दफ्तर से कहा गया है कि सारे भुगतान रोक दो। मेरी एलजी साहब से निवेदन है कि राजनीति अपनी जगह चलती रहती है। लेकिन इस तरह की राजनीति अच्छी नहीं है, जो देश और लोगों के विकास में घातक हो। मैं एलजी साहब से निवेदन करना चाहूंगा कि वे एक अच्छा संवैधानिक सलाहकार अपने साथ रख लें, जो उनको सलाह दे कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश बाध्य होते हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश सलाह नहीं होते हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उनको स्वतंत्र निर्णय लेने की शक्ति नहीं है, तो नहीं है। मेरी अपील है कि एलजी साहब सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करें, संविधान का सम्मान करें और जनतंत्र का सम्मान करें।

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