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फरीदाबाद हरियाणा

फरीदाबाद की समाज कल्याण अधिकारी श्रीमती सुशीला व उसके ड्राइवर सतीश को तुरंत प्रभाव से निलम्बित, केस दर्ज।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
चण्डीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा जनसाधारण की शिकायतें सीधे उन तक पहुंचाने  के लिए आरम्भ की गई सीएम विंडो व्यवस्था कारगर सिद्ध हो रही है। मुख्यमंत्री कार्यालय भ्रष्टाचार के मामलों में त्वरित कार्रवाई कर रहा है। भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जा रही हैं । कार्यालय ने सीएम विंडो पर आई शिकायत पर कड़ा रूख लेते हुए फरीदाबाद की समाज कल्याण अधिकारी श्रीमती सुशीला व उसके ड्राइवर सतीश को तुरंत प्रभाव से निलम्बित कर उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने व नियम 7 के तहत कार्रवाई  करने के आदेश भी जारी किए  गए हैं।         

चण्डीगढ़ मुख्यालय से सीएम विंडो की निगरानी कर रहे मुख्यमंत्री के ओएसडी भूपेश्वर दयाल के अनुसार जिला पलवल से सीएम विंडो पर शिकायत आई थी कि नागरिक सेवा केंद्रों के संचालकों के साथ मिलीभगत कर समाज कल्याण अधिकारी अपने ड्राइवर के माध्यम से फर्जी पेंशन बनाकर सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचा रही हैं। फरीदाबाद की समाज कल्याण अधिकारी के पास पलवल का भी कार्यभार था, उस समय उन्होंने यह घोटाला किया था। मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा इस पर कड़ा संज्ञान लिया गया व फरीदाबाद व पलवल की  जिला समाज कल्याण अधिकारियों से पूरी रिपोर्ट मांगी गई। उन्होंने बताया कि समाज कल्याण विभाग, निदेशालय चण्डीगढ़ के अधिकारियों को भी गुमराह किया गया।

यहां तक कि शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया है कि निदेशक, समाज कल्याण के निजी सचिव समाज कल्याण अधिकारी श्रीमती सुशीला को बचा रहे हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि समाज कल्याण अधिकारी फरीदाबाद कार्यालय द्वारा नागरिक सेवा केन्द्र (अनु कम्प्यूटर्स) के पास उस व्यक्ति को भेजा जो 60 वर्ष की आयु पूरी नहीं कर रहा था और इस योजना के लिए पात्र नहीं था। कम्प्यूटर केन्द्र के ऑपरेटर ने नकली दस्तावेजों के साथ एक फाइल कंप्यूटर पर बनाई और उसे जिला समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय के पोर्टल पर अपलोड कर दिया, जबकि मूल फाइल ड्राइवर सतीश को लौटा दी। शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में यह भी आरोप लगाया है कि इस प्रकार की हर फर्जी पेंशन बनाने के लिए जिला समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय द्वारा 15,000 रुपये लिए जाते थे तथा जिला समाज कल्याण अधिकारी व कार्यालय के अन्य कर्मचारियों का हिस्सा उनके बैंक खातों में डाल दिया जाता था। सतीश ड्राइवर का भाई नवीन जो इस कार्यालय में पेंशन सीट पर कार्यरत है वह कम्प्यूटर केन्द्र व कार्यालय के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य कर रहा था। इतना ही नहीं कि पात्र व्यक्तियों की आयु की गणना करने के लिए उनके 10वीं के बोर्ड सर्टिफिकेट में आवेदकों के 330-330 अंक दर्शाए गए  थे तथा नाम, रोल नम्बर व जन्म तिथि अलग-अलग थी। सीएम कार्यालय द्वारा कब्जे में लिए गए  पैनड्राइव में ऐसी सैंकड़ों मार्कशीट की जानकारी मिली हैै। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग मुख्यालय के अतिरिक्त निदेशक द्वारा 10 मार्च, 2022 को समाज कल्याण अधिकारी फरीदाबाद के विरूद्ध की गई जांच भी संदेह के घेरे में है। जांच में लीपापोती कर अधिकारी को बचाने की कोशिश की गई है।  उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा सीएम कार्यालय में भेजी गई अपनी अंतिम रिपोर्ट में  सीएम विंडो के प्रबुद्ध नागरिक सुनील कुमार द्वारा भी अपनी टिप्पणी में कहा गया था कि शिकायत निराधार है एवं तथ्यहीन है और इस शिकायत को बंद किया जाए। एक्शन टेकन रिपोर्ट पर शिकायतकर्ता की संतुष्टि के बिना ही उसके हस्ताक्षर करवाए सीएम विंडो के प्रबुद्ध नागरिक सुनील कुमार द्वारा टिप्पणी सीएम कार्यालय को रिपोर्ट भेजी गई जो, एक बड़ी लापरवाही को दर्शाता है। इस पर कड़ा संज्ञान लेते हुए 20 अप्रैल, 2022 को सीएम विंडो के प्रबुद्ध नागरिक सुनील कुमार को प्रबुद्ध नागरिक की सूची से हटा दिया गया था।
भूपेश्वर दयाल ने बताया कि मामला ‘ओमिशन एंड कमीशन’ का है। इसलिए इसकी गम्भीरता को देखते हुए इस पर सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है। अब इस पर आगे की कार्रवाई करते हुए मुख्यमंत्री  मनोहर लाल ने समाज कल्याण अधिकारी श्रीमती सुशीला व उसके ड्राइवर को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर उन पर आपराधिक मामला दर्ज करने तथा हरियाणा सिविल सेवा (दण्ड एवं अपील) नियमों के नियम 7 के तहत कार्रवाई  करने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा, जांच पूरी न होने तक समाज कल्याण अधिकारी, फरीदाबाद के सभी पेंशन लाभ रोकने के आदेश दिए हैं। पुलिस विभाग को नए  सिरे से निर्धारित समय सीमा में जांच करने के आदेश दिए हैं। जिला समाज कल्याण अधिकारी फरीदाबाद को कल शुक्रवार (29 अप्रैल, 2022) को सेवानिवृत होना है। मुख्यमंत्री के ओएसडी  भूपेश्वर दयाल के अनुसार सीएम विंडो का मकसद ही शिकायतकर्ता की संतुष्टि है और किसी भी मामले को शिकायतकर्ता के हस्ताक्षर के बाद ही फाइल किया जाता है।

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