अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: प्रशासनिक कामकाज में दक्षता लाने के उद्देश्य से जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद ने आज अपने गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए कार्य-जीवन संतुलन तथा कार्य आचरण’ पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय के प्रबंधन अध्ययन विभाग द्वारा किया गया।उद्घाटन सत्र में डीन (इंस्टीट्यूशन) प्रो.संदीप ग्रोवर मुख्य अतिथि रहे। सत्र को विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. एस.के.गर्ग और गुरुग्राम विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. राजीव कुमार सिंह ने संबोधित किया। प्रबंधन अध्ययन के डीन प्रो. आशुतोष निगम और विभागाध्यक्ष डॉ. रचना अग्रवाल ने अतिथि वक्ताओं का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. नेहा गोयल, डाॅ ज्योत्सना चावला तथा डॉ आरती गुप्ता ने किया। कार्यक्रम का उद्देश्य कर्मचारियों के बीच कार्य-जीवन संतुलन की बुनियादी समझ विकसित करना था ताकि वे कार्य-जीवन संतुलन से संबंधित मुद्दों से निपटने में सक्षम हो सकें।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रो. ग्रोवर ने प्रोफेशनल लाइफ में कार्य-जीवन संतुलन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्वच्छता और प्रेरणा पर हर्जबर्ग के टू-फैक्टर थ्योरी पर चर्चा की। उन्होंने कार्यस्थल में प्रेरक कारकों की भूमिका पर भी अपने विचार प्रस्तुत किए। अपने संबोधन में डॉ. राजीव सिंह ने कार्य-जीवन में आत्म-संतुष्टि के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने अत्यावश्यकता और महत्वपूर्ण मामलों से निपटने के लिए एक मैट्रिक्स प्रस्तुत किया। कुलसचिव डॉ. एस.के. गर्ग ने कार्य आचरण पर चर्चा की तथा व्यस्त कार्यक्रम में कार्य-जीवन को संतुलित करने की प्रासंगिकता का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जीवन में दक्षता और उत्पादकता में सुधार करने के लिए यह समझने की जरूरत है कि एक टीम में कैसे काम किया जाए।
उन्होंने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मानसिक रूप से फिट रहने के लिए योग और ध्यान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने संस्थान में कर्मचारियों के लिए आचार संहिता के बारे में भी विस्तार से बताया। कार्यक्रम के दौरान, प्रो. आशुतोष निगम ने तनाव प्रबंधन पर चर्चा की और सबसे महत्वपूर्ण (अत्यावश्यक बनाम महत्वपूर्ण) के आधार पर समय को प्राथमिकता देने पर विस्तार से बताया। कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों को एक समूह में मैट्रिक्स तैयार करने का काम भी दिया गया, जिसका मूल्यांकन विभाग के संकाय सदस्यों द्वारा किया गया। डॉ. आरती गुप्ता ने समय प्रबंधन के विभिन्न सिद्धांतों पर चर्चा की और प्रतिभागियों को दिन-प्रतिदिन के आधार पर समय प्रबंधन पर चर्चा करने का कार्य दिया। अंत में सत्र का समापन डॉ. ज्योत्सना चावला द्वारा धन्यवाद ज्ञापन और प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरण के साथ हुआ।
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