अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: सरीना सरकार बनाम हरियाणा सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जंगलात की जमीन पर बसे खोरी गांव के निवासियों को बेदखल करने के लिए आदेश जारी किया। इस आदेश के अनुसार बीते 7 जून 2021 से 6 हफ्ते के भीतर लगभग 10000 घरों को हटाया जाना है जिस के लिए फरीदाबाद प्रशासन एवं नगर निगम ने कमर कस ली है।
प्रशासन ने एक बहुत बड़ी तैयारी के साथ सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने के लिए योजना बनाई है की किस प्रकार उन्हें बेदखल किया जाना है किंतु बेदखली के बाद उन नन्हे नाबालिक बच्चों को कोरोना की महामारी की तीसरी लहर न छू पाए ।इसके लिए क्या पुख्ता इंतजाम है, प्रशासन कहीं पर भी उजागर नहीं कर रहा है। साथ ही उन लगभग 5000 से ज्यादा गर्भवती एवं दुधारू माताओं और एकल नारियों को लेकर सरकार क्या राहत देगी वो कहीं दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा है । कल वीरवार की मध्य रात्रि को क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने खोरी गांव के लगभग 15 लोगो को रात में उनके घरों में सोते वक्त डिटेन कर लिया। इसके बाद आज प्रातः 5 बजे खोरी गांव के निवासियों ने सूरजकुंड शूटिंग रेंज रोड पर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया जहां पुलिस ने प्रदर्शन कारियों पर लाठीचार्ज कर डाला। कुछ महिलाओं को चोट से है। इस धरना प्रदर्शन के पीछे मजदूरों की मांग है कि स्वयं डिप्टी कमिश्नर ऑफ फरीदाबाद जनता के बीच में आए और उनको एड्रेस करें तथा उनको समझाएं कि कोर्ट ने क्या आदेश दिया हैं और वह यह भी बताएं कि इस आदेश को लागू करने के लिए राज्य अपनी क्या भूमिका अदा करेगा। पिछले इतने वर्षों से खोरी गांव में जिन लोगों ने अपना समय लगाया है और इस पूरे खोरी गांव की एवं इस जंगलात की रक्षा की है,इसकी एवज में पुनर्वास के रूप में राज्य उन्हें क्या राहत देने वाला है।
प्रशासन की सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को लागू करने के लिए क्या तैयारी है और खोरी गांव की जनता उसमें किस प्रकार की सहभागिता अदा कर सकती है। अगर इस प्रकार का संवाद प्रशासन की तरफ से जनता के साथ रहेगा तो किसी भी प्रकार से कोई भी जनधन की हानि नहीं होगी और इस फैसले को सरलता से लागू किया जा सकता है किंतु प्रशासन पुलिस फोर्स दिखाकर खोरी गांव के लोगों को डरा रहा है और तो और उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज रहा है जो कि खोरी गांव की जनता को और भी उकसाने की तरफ ले जाने वाले प्रशासन के निंदनीय कदम है यह खोरी के लोगो ने सामूहिक रूप से अपने विचार व्यक्त किए है। आज आम आदमी पार्टी के नेता सुशील गुप्ता भी लोगो से मिलने खोरी पहुंचे और पुनर्वास की मांग की। बंधुआ मुक्ति मोर्चा के जनरल सेक्रेटरी निर्मल गोराना ने बताया कि खोरी गांव के तमाम लोगों को ट्रांजिट कैंप में शिफ्ट करने हेतु फरीदाबाद के डिप्टी कमिश्नर एवं कमिश्नर ऑफ़ नगर निगम और मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार को कई जन संगठनों की ओर से जो कि देश भर में हाउसिंग राइट्स पर वृहद पैमाने पर कार्यरत हैं द्वारा एक पत्र के माध्यम से खोरी के परिवारों को ट्रांसिट कैंप में आश्रय देने और उसके बाद पुनर्वास देने हेतु मांग की गई।
इसी क्रम में तमाम जन संगठनों के सहयोग से लगभग 25000 बच्चों को जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम है जिन्हें की कोरोना महामारी की तीसरी लहर से बचाया जा सके इस मांग को लेकर बाल आयोग एवं मंत्री, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार को एक पत्र भेजा गया। निर्मल गोराना नेब्याह भी बताया कि खोरी गांव के लगभग 15 लोगों को पुलिस ने डिटेन किया जिसमें से 6 लोगों गोवड़ा प्रसाद, मोहम्मद सलीम अंसारी, पप्पू प्रधान, इमामुद्दीन, केयमखान एवं रामदास को डीसीपी फरीदाबाद के सामने पेश करके जेल भेज दिया गया। ह्यूमन राइट्स एडवोकेट सियाज एवं एडवोकेट विनोद इन मजदूरों की बेल के लिए डीसीपी ऑफिस पहुंचे हैं। बस्ती सुरक्षा मंच के सामाजिक कार्यकर्ता निलेश ने बताया कि प्रशासन और खोरी के निवासियों के बीच एक संवाद की आवश्यकता है जिसे जिलाधिकारी फरीदाबाद एवं नगर निगम फरीदाबाद द्वारा अच्छे से किया जा सकता है। बस्ती की रहने वाली महिला माला ने बताया कि आज दिन से बिजली एवं पानी को बंद कर दिया गया है। लगता है हम प्यास और इस गर्मी से बेदखली से पहले ही मर जायेंगे। हम पीड़ित है अभियुक नहीं ये सरकार हम सभी के साथ ये बेरुखीपन क्यों दिखा रही है । हम सभी ने इसी सरकार का साथ दिया किंतु आज हम सरकार के सामने भिखारी बन बैठे है।
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