अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
दमोह:(मध्यप्रदेश )। देश में विकास की होड़ के चलते बढ़ी ऊर्जा की मांग। जिसे पूरा करना केन्द्र और राज्य सरकारों के लिए चुनौती। उद्योग, स्वास्थ्य सेवाएँ, शिक्षा, विज्ञान, रिसर्च आदि क्षेत्रों में हो रहे विकास और लोगों की बढ़ती महत्वकांक्षाओं को मूर्त रूप देने के लिए संसाधनों का तेजी से दोहन हो रहा है। ऊर्जा के अधिकतर संसाधन सीमित हैं। हमें अपनी आवश्यकताएं भी सीमित करनी पड़ेंगी साथ ही यह भी समझना होगा कि जितना ज्यादा से ज्यादा वह ऊर्जा स्रोतों की बचत करेंगे, भविष्य में वह उतना ही उनके काम आएगी। यह बात परमाणु ऊर्जा जनजागरूकता अभियान के दौरान कार्यक्रम संचालक संदीप पाल ने मध्यप्रदेश के दमोह स्थित शासकीय महाविद्यालय छात्र -छात्राओं से कही। कार्यक्रम के दौरान स्थानीय लोगों परमाणु ऊर्जा से संबंधित जानकारी हेतु पुस्तिका निःशुल्क प्रदान की गई। वहीं कार्यक्रम को सफल बनाने में ‘‘विज्ञान तकनीकी एवं प्रौद्योगिकी विभाग (वि.प्र), भारत सरकार’’ (विज्ञान क्लब) सें सबद्ध संस्था‘‘साथी ह्यूमन वेलफेयर सोसाइटी’’के सदस्यों ने में सहयोग प्रदान किया।
श्री पाल के मुताबिक आजादी के सात दशकों के बाद भी हिन्दुस्तान के करोड़ों घरों को एक अदद रौशनी की दरकार है। हालाँकि देश में बिजली का उत्पादन बढ़ा है लेकिन जिस प्रकार से जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ रही है, और संसाधनों का दोहन हो रहा है। प्रचलित संसाधन से विद्युत आपूर्ति संभव नहीं है। नये स्रोता की खोज भविष्य की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि आज संपूर्ण विश्व में थर्मल पावर से निर्मित बिजली, ग्लोबल वॉरमिंग और वातावरण में उत्सर्जित होने वाली कई हानिकारक गैसों के चलते होने वाले वायु प्रदूषण के कारण एक गहन चिंता का विषय बनी हुई है, यहाँ तक कि जीवाश्म ईंधन होने के कारण कोयले के भंडार भी सीमित हैं, हाइड्रो को भी हमने पूरी तरह से लगभग दोहन कर लिया है, साथ ही पवन और सौर ऊर्जा की अपनी अपनी सीमायें हैं। सौर और पवन की उत्पादन क्षमता, ज्यादा जगह, धूप और हवा के प्रवाह की समुचित उपलब्धता पर निर्भर हैं। ऐसे में परमाणु ऊर्जा एक स्वच्छ और हरित ऊर्जा का किफायती विकल्प साबित हो रहा हैै।
इसके अलावा साथ ही आज हमें कुछ और उपायों पर भी ध्यान देना होगा ताकि हम बिजली बनाने के साथ-साथ इसका संरक्षण भी भली भांति कर सकें। उदाहरण के तौर पर हमे आज ज्यादा से ज्यादा एलईडी बल्बों को उपयोग में लाना चाहिए ताकि एक तरफ हमें कम वाट पर अच्छी रौशनी मिल सके और दूसरी तरफ बिजली की भी खपत कम हो सके। जहाँ जरूरी न हो वहां दिन में बल्ब का इस्तमाल न करें। जिस जगह आप न बैठें हो वहां व्यर्थ में एसी, पंखे या फिर अन्य उपकरणों को बंद कर के रखें। घरों और कार्यालयों का भी निर्माण आधुनिक पद्यति से इस प्रकार से किया जाये जहाँ प्राकृतिक रूप से ज्यादा से ज्यादा सूर्य की रौशनी और हवा मिल सके। सड़कों के किनारे लगे हुए लैंप पोस्टों को दिन में बंद रखा जाये, स्कूल्स, मॉल एवं मल्टी पलेक्सेस में रूफ टॉप पर सोलर पैनल्स को अनिवार्य करना चाहिए, घरों में अगर संभव हो तो सौर ऊर्जा पर आधारित गीजर और कुकर का इस्तमाल करके हम काफी हद बिजली बचा कर ऊर्जा का संरक्षण कर सकते हैं। आज बिजली उत्पादन में परमाणु ऊर्जा का महत्वपूर्ण योगदान है। देश में स्थापित 21 परमाणु संयंत्र से 7680 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है।