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कांग्रेस:धर्म-आस्था और विश्वास को बेच भारतीय जनता पार्टी के नेता ‘‘मुनाफे की लूट’’ में लगे हैं-देखें वीडियो

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट  
नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता व राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज एक बहुत महत्वपूर्ण और गंभीर विषय लेकर फिर हम आपके बीच में उपस्थित हैं। भगवान श्री राम के नाम लूट निर्बाध जारी है। धर्म-आस्था और विश्वास को बेच भारतीय जनता पार्टी के नेता ‘‘मुनाफे की लूट’’ में लगे हैं। आपको याद होगा 14 जून को हमने बताया कि कैसे 2 करोड़ की जमीन 5 मिनट में भगवान श्री राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट ने 18.5 करोड़ रुपए में खरीद ली थी। पर ये एक अकेला मौका नहीं, लगता है कि इस श्रृंखला में भगवान श्री राम मंदिर निर्माण के चंदे की लूट में चंदाजीवी भाजपाईयों के अब अनेकों उदाहरण एक के बाद एक सामने आ रहे हैं। भगवान राम के मंदिर के चंदे की लूट ‘’रामद्रोह’’ है। आज फिर हम एक और केस आपके बीच लाए हैं। जहाँ मात्र 79 दिन के अंदर 1,250 प्रतिशत अधिक दाम पर भगवान राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट को जमीन पूरे मेलजोल से, गड़बड़झाले और घोटाले से बेच डाली गई। इससे पहले कि मैं तथ्यों की ओर आपका ध्यान आकर्षित करुं, तुलसीदास जी ने जो कहा है, मैं आज उसे दोहराना उचित समझता हूं।

नाम राम को अंक है सब साधन हैं सून ।

अंक गएं कछु हाथ नहिं अंक रहें दस गून ।।

तुलसीदासजी कहते हैं कि राम-नाम की आस्था के साथ जो साधन होते हैं, वे दस गुना अधिक लाभदायक हो जाते हैं। परंतु राम-नाम की आस्था को खंडित करके जो साधन होता है, वह किसी भी तरह का फल प्रदान नहीं करता। बस यही हुआ है। अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण हेतु करोड़ों देशवासियों ने हजारों करोड़ का चंदा दिया। रावण के चारणों की बस इस चंदे की लूट पर निगाह है। ये लोग भगवान और भारतीयों की आस्था को धोखा दे उसे लूट रहे हैं।‘राम नाम’ पर एकत्रित हुए चंदे की इस लूट में भाजपाई नेता शामिल हैं। रोज हो रहे खुलासों से यह साफ है कि अब ये लोग ‘दिन दहाड़े और सत्ता आड़े’ डकैती डाल रहे हैं। अर्थात् भाजपा सरकार की सत्ता के संरक्षण में भगवान राम के अनुयायियों का भेष धारण कर देश की आस्था और श्री राम मंदिर निर्माण के चंदे में घोटाले का खुला खेल चल रहा है।

नए सनसनीखेज खुलासे से मंदिर की जमीन खरीदने में करोड़ों का घोटाला हुआ जगजाहिर

1. दीप नारायण उत्तर प्रदेश का भाजपाई नेता है तथा भाजपा आईटी सेल से जुड़ा है। यह उसके फेसबुक प्रोफाईल से भी साफ है, जिसकी कॉपी संलग्नक A1 है। दीप नारायण अयोध्या के भाजपा के मेयर, ऋषिकेश उपाध्याय का रिश्ते में भांजा भी लगता है। यह भी सर्वविदित है कि ऋषिकेश उपाध्याय नरेंद्र मोदी व आदित्यनाथ के चहेते हैं।

2. 20 फरवरी, 2021 को दीप नारायण ने अयोध्या में ‘’हवेली अवध’’ के नाम से 890 वर्ग मीटर भूमि ₹20 लाख में खरीदी। सेल डीड संलग्नक A2 है। यानि भूमि का खरीद रेट ₹2,247 प्रति वर्ग मीटर है, जबकि सेल डीड के मुताबिक ही भूमि का कलेक्टर रेट ₹4,000 प्रति वर्ग मीटर है।

3. मात्र 79 दिन के बाद यानि 11 मई, 2021 को भाजपा नेता, दीप नारायण ने यह भूमि ‘‘श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र मार्फत चंपतराय’’ को ₹2,50,00,000 (ढाई करोड़ रु.) में बेच दी। सेल डीड की कॉपी संलग्नक A3 है। यानि भूमि का खरीद रेट 28,090 रु. प्रति वर्ग मीटर है, जबकि सेल डीड के मुताबिक भूमि का कलेक्टर रेट 4,000 रु. प्रति वर्ग मीटर है।

4. श्री राम मंदिर निर्माण के लिए दान दिए गए चंदे में घोटाला साफ है। तथ्य देखें:-

(I) 79 दिन में जमीन की कीमत 1250 प्रतिशत बढ़ गई – लगभग 3 लाख रुपया प्रति दिन कीमत बढ़ती गई। यानि, जो जमीन 20 फरवरी, 2021 को मात्र 20 लाख रु. में खरीदी गई, वही जमीन 11 मई, 2021 को 2,50,00,000 रु. में राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट को बेच दी गई। यह अपने आप में सनसनीखेज घोटाला नहीं, तो और क्या है?

(II) भाजपा नेता दीप नारायण द्वारा जो भूमि 2,247 रु. प्रति वर्ग मीटर के भाव से खरीदी गई, वही भूमि 79 दिन में राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट को 28,090 रु. प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से बेच दी गई। परंतु आदित्यनाथ सरकार के मुताबिक भूमि की कीमत मात्र 4,000 रु. प्रति वर्ग मीटर है। तो फिर भगवान, श्री राम के मंदिर के चंदे को इतनी बड़ी चपत क्यों और कैसे लगी?

(III) राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट की ओर से श्री चंपतराय, सचिव ने भूमि खरीदी तथा राम मंदिर निर्माण के लिए इकट्ठे किए गए पैसे से भुगतान किया। एक और ट्रस्टी, श्री अनिल मिश्रा, जो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व प्रांत कार्यवाहक भी रहे, ने बतौर गवाह दस्तखत किए। क्या श्री चंपतराय व श्री अनिल मिश्र द्वारा राम मंदिर के चंदे के पैसे से भुगतान करने के पहले यह जाँच की कि किस वजह से रुपया 2,247 प्रति वर्ग मीटर में खरीदी हुई जमीन 28,090 रु. प्रति वर्ग मीटर हो गई? 12.5 गुना अधिक राशि का भुगतान क्यों और कैसे किया गया?

(IV) जमीन बेचने वाला दीप नारायण यूपी भाजपा का नेता है और भाजपा आईटी सेल से जुड़ा है। यही नहीं, दीप नारायण भाजपा के अयोध्या के मेयर, ऋषिकेश उपाध्याय का रिश्ते में भांजा भी है (संलग्नक A1)। राममंदिर निर्माण ट्रस्ट की ओर से जमीन खरीदने वाले श्री चंपतराय व दूसरे ट्रस्टी व गवाह, श्री अनिल मिश्रा भी भाजपा- राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पृष्ठभूमि से जुड़े हैं। तो इसके क्या मायने हैं?

जब इससे पिछला घोटाला सामने आया था, अब एक और तथ्य सामने आया है, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास जी ने आगे आकर कहा कि मुझसे तो एक साल से चंपतराय या कोई और ट्रस्ट के पैसे का कैसे इस्तेमाल हो रहा है, इस बारे में कोई राय, मशविरा होता ही नहीं, कोई पारदर्शिता नहीं है। तो जब राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के चेयरमैन महंत नृत्य गोपालदास जी को पता नहीं, तो हजारों करोड़ के चंदे में गोलमाल क्या है? एक और हमारे सिद्ध संत शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी ने भी हजारों करोड़ का चंदा जो राम भक्तों ने दिया है, राम मंदिर निर्माण के लिए, उसमें अनियमितता के खुले-खुले आरोप लगाए हैं। परंतु इसका कोई जवाब नहीं आया।

5. इससे पहले भी तथ्य सामने आए हैं कि 18 मार्च, 2021 को दो करोड़ में खरीदी गई जमीन श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट मार्फत चंपतराय द्वारा 18.5 करोड़ में खरीदने का इकरारनामा कर पैसे का भुगतान किया गया। इन रजिस्टर्ड सेल डीड पर भी श्री अनिल मिश्रा, ट्रस्टी बतौर गवाह मौजूद रहे। भाजपा नेता व अयोध्या के मेयर श्री ऋषिकेश उपाध्याय भी बतौर गवाह मौजूद रहे। यहां भी राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट को जमीन बेचने वाले, श्री रवि मोहन तिवारी, भाजपा के मेयर, ऋषिकेश उपाध्याय के रिश्तेदार हैं।

प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री, आदित्यनाथ को पाँच सवाल:-

1. क्या कारण है, कि भगवान, श्री राम के मंदिर निर्माण के चंदे की खुली लूट करने वाले पापियों के खिलाफ कोई भी कार्यवाही करने बारे मोदी – आदित्यनाथ जी पूरी तरह से चुप हैं?

2. क्या पीएम-सीएम देश को बताएंगे कि 79 दिनों में जमीन की कीमत 1250 प्रतिशत कैसे बढ़ी?

3. जब भाजपा सरकार द्वारा भूमि की कीमत मात्र 4000 रु. प्रति वर्ग मीटर आंकी गई, तो फिर राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट ने इसे 28,090 रु. प्रति वर्ग मीटर में क्यों खरीदा?

4. क्या भाजपा नेता राम मंदिर निर्माण के लिए इकट्ठे किए गए चंदे को चूना लगा, मुनाफे की लूट में लगे हैं?

5. श्री राम मंदिर निर्माण के लिए दिए गए हजारों करोड़ के चंदे में कितनी और रजिस्ट्रियों में खुली लूटपाट हुई है? क्या सुप्रीम कोर्ट के तत्वाधान में पूरे मामले की जाँच व पैसे के लेनदेन का ऑडिट कर सारे तथ्य देशवासियों के समक्ष नहीं रखे जाने चाहिए?

मोदी-योगी सरकारें जान लें कि राम नाम के नाम पर की गई लूट ‘‘रामद्रोह’’ है।

एक प्रश्न पर कि क्या आप चाहेंगे कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप करे, या कांग्रेस पार्टी कोई आंदोलन करने की योजना बना रही है,रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरुप हमारा ये मानना है भगवान श्री राम का एक भव्य मंदिर अयोध्या में बने, ये तो सब देशवासी चाहते हैं, पर वो हजारों करोड़ रुपया, जो देशवासियों ने भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण के लिए आस्था और विश्वास से दिया है, क्या उस पैसे की लूट खुलेआम की जा सकती है, वो भी भाजपा के नेताओं द्वारा सवाल ये है। हम सब ये जानते हैं, भगवान श्री राम का मंदिर, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार उसका निर्माण हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप नरेन्द्र मोदी ने बतौर प्रधानमंत्री इस ट्रस्ट का गठन किया। तो क्या आज सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, और सुप्रीम कोर्ट के अन्य जो सम्मानित न्यायाधीशगण हैं, ये उनका दायित्व नहीं कि उनके द्वारा निर्देश से बनाई गई ट्रस्ट में खुलेआम सरकार के भाजपाई नेता, कहीं न कहीं सरकार के प्रत्यक्ष और परोक्ष संरक्षण में हजारों करोड़ के चंदे की लूट कर रहे हैं। तो क्या सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान नहीं लेना चाहिए? जवाब है कि ये सुप्रीम कोर्ट का दायित्व है। ये सुप्रीम कोर्ट को अपने कर्तव्य का निर्वहन करना चाहिए और उन्हें स्वतः संज्ञान लेकर, सारे मामले का सुप्रीम कोर्ट मॉनीटरिंग में ऑडिट करवाकर पूरे मामले में दोषियों को सजा देनी चाहिए और हजारों का करोड़ चंदा, जो देश के लोगों ने दिया है, वो कुछ चंदाजीवी और चंदाखोर लूटकर न खा जाएं, भगवान राम की आस्था के नाम पर, ये सुनिश्चित करना भी सुप्रीम कोर्ट की जिम्मेदारी है और उसके साथ-साथ अगर किसी की जिम्मेदारी है, तो देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की, जिन्होंने इस ट्रस्ट का गठन किया है। अब सवाल ये है कि क्या सुप्रीम कोर्ट और प्रधानमंत्री अपने कर्तव्य का निर्वहन करेंगे, ये हम उनके विवेक पर छोड़ते हैं। एक अन्य प्रश्न पर कि चुनावों में बहुत ज्यादा मजबूती अगर भाजपा को मिली तो वो राम मंदिर को लेकर मिली, लेकिन अब उसी राम मंदिर निर्माण में घोटालों के आरोप लग रहे हैं, तो क्या आप लोग उनसे नैतिक आधार पर भी कोई प्रश्न पूछ रहे हैं,सुरजेवाला ने कहा कि भगवान श्री राम के नाम पर हजारों करोड़ की जो लूट चल रही है, उसकी जवाबदेही तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की है ही, ये केवल नैतिकता का प्रश्न नहीं, ये संवैधानिकता का प्रश्न है। इसलिए आपको नैतिकता और संवैधानिकता के दोनों मापदंडों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के आचरण को परखना पड़ेगा। मंदिर का निर्माण सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुरूप हो रहा है, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुरूप हो रहा है, ये किसी व्यक्ति विशेष या दल का एजेंडा नहीं है, सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय कर दिया, ट्रस्ट बना दी, ट्रस्ट का आदेश किया,इसलिए भगवान श्री राम के मंदिर का निर्माण हो रहा है। उस ट्रस्ट का गठन बतौर प्रधानमंत्री किसने किया, सुप्रीम कोर्ट के आदेश का निर्वहन किसने किया, हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने। ट्रस्ट उन्होंने बनाया, ट्रस्टी उन्होंने बनाए, चंदा ट्रस्ट के पास गया और चंदे की लूट भाजपा के नेता कर रहे हैं और कहीं न कहीं, कुछ ट्रस्ट के लोगों की प्रत्यक्ष या परोक्ष सहमति इसके अंदर प्रथम दृष्टि से साफ नजर आती है, तो ऐसे में संवैधानिकता, नैतिकता और कानून का निर्वहन कौन करेगा- साफ है प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी करेंगे, और अगर वो ऐसा नहीं करते तो ये देशवासी जान जाएंगे, कि कहीं न कहीं हजारों करोड़ के चंदे की लूट में भाजपा नेताओं को प्रधानमंत्री का प्रत्यक्ष या परोक्ष आशीर्वाद प्राप्त है।
राम नाम के नाम पर, जो चंदे की लूट करेगा, उसको भगवान श्री राम सहित, देशवासी कभी माफ नहीं करेंगे। अब गेंद प्रधानमंत्री के पाले में है कि वो क्या कार्यवाही करते हैं। एक अन्य प्रश्न पर कि इस कथित घोटाले के सामने आने के बाद स्वतः संज्ञान न कोर्ट की तरफ से दिख रहा है, न ही सरकारों की तरफ से दिख रहा है, तो कांग्रेस क्यों नहीं इस विषय को लेकर अदालत में जाती है, दूसरा, यूपी में होने वाले चुनावों में अगर आपकी सरकार बनती है, तो क्या आप ये वादा करेंगे कि आप इस मामले की उच्च स्तरीय जांच करवाएंगे, सुरजेवाला ने कहा कि इसके दो बड़े सीधे पहलू हैं। ये प्रान्तीय सरकार का विषय नहीं है। पहली बात तो जान लीजिए। प्रान्तीय सरकार को तो अगर कोई अपराध मिलेगा तो एफआईआर दर्ज करने का दायित्व है, परंतु भगवान श्री राम मंदिर का निर्माण सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार हो रहा है। आदरणीय सुप्रीम कोर्ट ने ही ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया था, स्वभाविक तौर से देश के प्रधानमंत्री औऱ देश के गृहमंत्री मोदी और अमित शाह जी, उन्होंने इस ट्रस्ट का गठन किया, क्योंकि वही प्रधानमंत्री और गृहमंत्री हैं, तो ट्रस्टी भी उन्होंने ही बनाए। प्रान्त में भी सरकार भाजपा की है, केन्द्र में भी सरकार भाजपा की है, ट्रस्ट में ट्रस्टियों की घोषणा प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने की। ट्रस्टियों को चुना भी उन्होंने, आदेश सुप्रीम कोर्ट का था।

तो ऐसे में दो संस्थाओं का नैतिक कानूनी और संवैधानिक दायित्व है,घोटाले औऱ गड़बड़झाले की जांच करवाना। पहला दायित्व है, जिनके आदेश अनुसार मंदिर निर्माण हो रहा है और ट्रस्ट का गठन हुआ, वो है देश का सुप्रीम कोर्ट। मैं एक भारतीय के तौर पर आश्चर्यचकित हूं कि देश के मुख्य न्यायाधीश , चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, इतने साफ घोटाले और गड़बड़झाले के इल्जामात और कागजात सामने आने के बावजूद भी चुप्पी क्यों साधे हैं? सुप्रीम कोर्ट संज्ञान क्यों नहीं ले रहा है? दूसरा राजधर्म निभाने का संवैधानिक, कानून और नैतिक दायित्व किसका है- देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का। अगर वो अपने आप को भगवान श्री राम का भक्त या अनुयायी मानते हैं, तो फिर इससे बड़ा छल और कपट भगवान श्री राम के अनुयायियों, जिन्होंने हजारों करोड़ का आस्था औऱ विश्वास से चंदा दिया और क्या हो सकता है, मेरे मित्र, अमानत में खयानत तो हमने पूरे देश ने जाना है पर एक बात और है, खासतौर से पूरे देश की संस्कृति में, जो मंदिर का, गुरुद्वारे का, मस्जिद का, गिरिजाघऱ का, या पंचायत घर का, धर्मशाला का जो चंदा खाए, जो चंदाजीवी चंदा चोरी करे, जो चंदे की चपत लगाए, उसको कोई इंसान तो क्या, भगवान भी माफ नहीं कर सकते और ये सीधे-सीधे भगवान श्री राम को धोखा दे रहे हैं, तो सुप्रीम कोर्ट और मोदी जी, दोनों चुप क्यों हैं, सवाल ये हैं। जांच होनी चाहिए, जांच करवानी चाहिए, इसलिए पिछले 5 दिन से, 14 जून को हमने मामला पहली बार उठाया था, और आज 20 जून है, तो पिछले 6 दिन से, हम लगातार इस मामले को सार्वजनिक पटल पर रख रहे हैं, आप लोगों के माध्यम से। एक अन्य प्रश्न पर कि पिछली प्रेस कांफ्रेंस के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगाया है कि कांग्रेस पार्टी राम मंदिर निर्माण का विरोध कर रही है,सुरजेवाला ने कहा कि एक पुरानी कहावत है, ‘चोर की दाढ़ी में तिनका’। चंदा चोर आप, चंदाजीवी भी आप। चंदाखोर आप और इल्ज़ाम हम पर। भगवान श्री राम मंदिर का निर्माण सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश के अनुरूप हो रहा है, सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश के अनुसार ही ट्रस्ट का गठन हुआ। ट्रस्ट का गठन प्रधानमंत्री ने किया, ट्रस्टी प्रधानमंत्री ने बनाए। ट्रस्ट के हजारों करोड़ के एकत्रित किए चंदे की लूट कई गुना भाव पर बढ़ाकर जमीन खरीदने में साफ है। एक उदाहरण था, 18 मार्च के दोनों सेल डीड का जहाँ 2 करोड़ की जमीन, 5 मिनट में 18.5 करोड़ की हो गई और चंदा चोरी हो गया। एक और उदाहरण हैं, जहाँ 79 दिन के अंदर 20 लाख की जमीन, 250 लाख रूपए की हो गई और चंदाजीवी चंदा लूटकर ले गए। इसका जवाब भाजपाइयों को देना पड़ेगा, वो इससे बच नहीं सकते और ये केवल मैं नहीं कह रहा, ये केवल इस देश के करोड़ों देशवासी नहीं कह रहे, इस ट्रस्ट के चेयरमैन महंत नृत्य गोपालदास जी ने आगे बढ़कर ये कहा कि एक साल से ट्रस्ट श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के चेयर मैन, महंत नृत्य गोपालदास जी, जो अयोध्या में बैठे हैं, उनसे न कोई चर्चा हुई, न कोई पारदर्शिता हुई, तो फिर ये पैसा कैसे गड़बड़झाले में जा रहा है और अब तो शंकराचार्य जी, जो हमारे स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती जी हैं, उन्होंने भी इसी प्रकार का इल्जाम लगाया है, तो क्या भाजपा संतो और महंतो इन दोनों को अपमानित कर चंदाजीवियों के संरक्षण में लगी है, सवाल ये है।
एक अन्य प्रश्न पर कि क्या आप बताना चाहेंगे कि कांग्रेस नेताओं ने चंदा दिया है? सुरजेवाला ने कहा कि सवाल ये भी पूछा जा सकता है कि नरेन्द्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा ने कितना चंदा दिया है। पर व्यक्ति महत्वपूर्ण नहीं, क्योंकि ये इस पूरे मामले के चंदाजीवियों के घोटाले को डिरेल करने का एक कुत्सित प्रयास है। अनेकों, लाखों कांग्रेसजनों ने, लाखों भाजपाइयों ने, लाखों सपा और बसपा के लोगों ने, लाखों सीपीआई और सीपीएम के लोगों ने, लाखों आरजेडी के लोगों ने, लाखों शिवसेना के लोगों ने राम मंदिर निर्माण में चंदा दिया और बहुत सारे करोड़ों लोग शायद ऐसे थे, जो किसी पार्टी से संबंधित ही नहीं, किसी विचारधारा से संबंधित ही नहीं। उनके लिए भगवान श्री राम का नाम ही आस्था है, विश्वास है। ये लोग भगवान श्री राम के नाम पर, आस्था पर, विश्वास पर हजारों करोड़ रुपए जो चंदा इकट्ठा किया गया, चढ़ावा इकट्ठा किया गया भगवान राम मंदिर निर्माण के लिए, ये उस चंदे में भी मुनाफे की लूट कमा कर सवालों को पूछने से बंद करवाना चाहते हैं। पर ये जान लें कि ये देशवासी जागरुक हैं। भगवान श्री राम मंदिर के निर्माण का चंदा जो खाएगा, मैं आज ये कहता हूं कि उसकी नरक लोक में भी गति नहीं हो सकती है। एक प्रश्न पर कि आप प्रेसवार्ता करके ये मुद्दा उठा रहे हैं, पर क्या कांग्रेस पार्टी की तरफ से ट्रस्ट के हेड को, किसी मेंबर को या प्रधानमंत्री को जांच से संबंधित कोई पत्र लिखा है? सुरजेवाला ने कहा कि ये बात सही होती, अगर ट्रस्ट के चेयरमैन महंत नृत्य गोपालदास जी ने 14 जून, 2021 के हमारे खुलासे और आपके अखबार और टेलीविजन चैनलों पर दिखाए जाने के बाद आगे बढ़कर सार्वजनिक तौर से ये बयान नहीं दिया होता कि पूरे मामले में वो अपने आपको अलग करते हैं। जब ट्रस्ट के चेयरमैन की राय ही नहीं ली जा रही, जब ट्रस्ट के चेयरमैन महंत नृत्य गोपालदास जी को ही विश्वास में ही नहीं लिया जा रहा। जब ट्रस्ट में गैर पारदर्शिता का इल्जाम खुद ट्रस्ट के चेयरमैन लगा रहे हैं और अब शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती जी भी लगा रहे हैं, तो जब संत और महंत और ट्रस्ट के चेयरमैन खुद गैर पारदर्शिता का इल्जाम लगा रहे हैं, सिक्रेसी का इल्जाम लगा रहे हैं, चर्चा ना होने का इल्जाम लगा रहे हैं, तो फिर चिट्ठी लिखने की जरुरत ही कहाँ है, फिर तो तथ्य सार्वजनिक पटल पर हैं। अब तो केवल सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की आवश्यकता है।

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