अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़:हरियाणा पुलिस ने मानवाधिकारों की रक्षा और नागरिक सुरक्षा की दिशा में अभूतपूर्व प्रतिबद्धता दिखाते हुए पूरे देश में एक अनुकरणीय स्थान हासिल किया है। गुमशुदा बच्चों और व्यक्तियों की तलाश के मामलों में राज्य पुलिस की संवेदनशीलता का प्रमाण यह है कि हर शिकायत पर एफआईआर शत-प्रतिशत दर्ज की जाती है, जो कि हरियाणा पुलिस का एक अनूठा प्रयास है। परिणामस्वरूप, लगभग 80 प्रतिशत गुमशुदा लोगों की सफलतापूर्वक घर वापसी करवाई जा रही है। इतना ही नही, पड़ोसी राज्यो तथा नेपाल आदि से लापता लोगों को भी हरियाणा पुलिस उनके बिछड़े परिवारों से मिलवा रही है। कई मामले ऐसे भी सामने आए है जहां व्यक्ति बोल व सुन नही सकता या फिर मानसिक रूप से दिव्यांग है। ऐसे मामलो को सुलझाना अपेक्षाकृत अधिक चुनौतीपूर्ण रहा लेकिन हरियाणा पुलिस ने तकनीक व अपनी दक्षता से उन्हे भी सुलझाने में सफलता हासिल की।
वर्ष 2023 और 2024 के दौरान हरियाणा पुलिस ने गंभीर अपराधों जैसे अपहरण तथा महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराधों में उत्कृष्ट और संवेदनशील कार्यशैली का परिचय दिया है। वर्ष -2023 में आईपीसी की धारा 363, 366 और 366ए के अंतर्गत दर्ज मामलों में क्रमशः 93.11 प्रतिशत, 95.83 प्रतिशत और 92.08 प्रतिशत की रिकवरी दर हासिल की गई। वर्ष- 2024 में भी यह दर 88.89 प्रतिशत (363 आईपीसी), 90.45 प्रतिशत (366 आईपीसी) और 89.30 प्रतिशत (366ए आईपीसी) रही। यह सफलता हरियाणा पुलिस की समर्पित फील्ड टीमों, टेक्निकल इनपुट्स और पीड़ित-केंद्रित दृष्टिकोण का प्रमाण है। आईपीसी की धारा 346 के तहत गुमशुदा व्यक्तियों के दर्ज मामलों भी पुलिस ने दोनों वर्षों में क्रमशः 87.17 प्रतिशत (2023) और 84.75 प्रतिशत (2024) सफलता प्राप्त की तथा उनकी सकुशल वापसी सुनिश्चित की जो पुलिस के उत्कृष्ट प्रदर्शन को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, असत्य सिविल प्रकृति अथवा तथ्य/कानून की त्रुटियों पर आधारित मामलों को जांच के पश्चात समय रहते निरस्त किया गया, जिससे न्यायिक व्यवस्था पर बोझ कम हुआ और वास्तविक अपराधों पर ध्यान केंद्रित किया जा सका। चार्जशीट दाखिल करने की दर में निरंतर सुधार, अनट्रेसड और फरार मामलों की न्यूनता, तथा नाममात्र अंडर ट्रायल मामलों की स्थिति यह सिद्ध करती है कि हरियाणा पुलिस की जांच प्रणाली प्रभावी, समयबद्ध और परिणामोन्मुख रही है। हरियाणा पुलिस ने मिशन मोड में कार्य करते हुए महिला एवं बाल अपराधों की रोकथाम, पीड़ितों की सुरक्षित घर वापसी और दोषियों के विरुद्ध ठोस कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित कर प्रदेश की कानून-व्यवस्था को और अधिक सशक्त बनाया है। इसी प्रकार, 1 जनवरी 2025 से 31 मार्च 2025 की अवधि में हरियाणा पुलिस ने गुमशुदा व्यक्तियों से संबंधित मामलों में सराहनीय कार्य किया है। इस दौरान कुल 4361 मामलों में से 3406 मामलों में सफलता पूर्वक गुमशुदा लोगों की सकुशल घर वापसी सुनिश्चित की गई, जिससे कुल रिकवरी दर 78.1 प्रतिशत रही। इसी प्रकार, आईपीसी की धाराओं 363, 366 और 366ए के अंतर्गत दर्ज मामलों में क्रमशः 79.73 प्रतिशत, 78.98 प्रतिशत और 73.38 प्रतिशत रिकवरी दर दर्ज की गई, जो महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के प्रति हरियाणा पुलिस की संवेदनशीलता और तत्परता को दर्शाती है। विवेकपूर्ण जांच के तहत कुल मामलों में से 3361 (77.15 प्रतिशत) मामलों को कानूनन निरस्त किया गया, जिससे न्याय प्रणाली पर अनावश्यक दबाव को कम करने में भी उल्लेखनीय योगदान मिला। यह प्रदर्शन पुलिस की मिशन मोड कार्यप्रणाली, टीम की सतर्कता और पीड़ित-केंद्रित दृष्टिकोण का सशक्त प्रमाण है। पुलिस महानिदेशक हरियाणा शत्रुजीत कपूर ने इस उपलब्धि पर अपने विचार रखते हुए कहा कि किसी भी लापता बच्चे की सकुशल घर वापसी केवल एक केस की फाइल बंद करना नहीं होता, बल्कि एक पूरे परिवार के जीवन को पुनः पूर्णता देना होता है। एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट हमारी पुलिसिंग की उस मानवीय संवेदना का प्रतीक हैं, जो केवल कानून के प्रावधानों तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज के सबसे कमजोर वर्गों के लिए एक भरोसे की नींव बन चुकी हैं। हरियाणा पुलिस की यह यात्रा अब एक मॉडल के रूप में उभर रही है, जिसे अन्य राज्यों में भी अपनाया जा सकता है। यह न केवल कानून व्यवस्था की सफलता है, बल्कि सामाजिक पुनर्स्थापन का एक उत्कृष्ट उदाहरण भी है। पुनः जोड़ने की इस प्रक्रिया में हरियाणा पुलिस ने यह साबित कर दिया है कि यदि संकल्प और रणनीति हो, तो हर गुमशुदा को घर वापस लाया जा सकता है। हरियाणा पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) ने पिछले डेढ़ वर्ष में गुमशुदा व्यक्तियों की पुनर्प्राप्ति के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक सफलता दर्ज की है। यूनिट द्वारा 20 वर्ष से अधिक समय से लापता रहे 44 व्यस्कों एवं बच्चों को उनके परिजनों से पुनः मिलवाया गया, जो इस श्रेणी में अब तक की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक है। इसी क्रम में, 16 वर्ष से अधिक समय से गुमशुदा 22 व्यक्तियों, 11 वर्ष से अधिक समय से लापता 47 व्यक्तियों, तथा 6 वर्ष से अधिक अवधि से लापता 54 व्यस्कों और बच्चों को भी उनके बिछड़े हुए परिवारों से मिलाने में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की गई है। ये सभी मामले अत्यंत जटिल और चुनौतीपूर्ण रहे, जहाँ वर्षों पुरानी गुमशुदगी, पहचान की अस्पष्टता, सीमित दस्तावेज़ी प्रमाण और बदलती भौगोलिक स्थितियाँ जांच में बड़ी बाधाएँ थीं। इसके बावजूद एएचटीयू की संवेदनशीलता, तकनीकी दक्षता और अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप यह मानवीय पुनर्मिलन संभव हो सका। यह उपलब्धि हरियाणा पुलिस की समर्पित कार्यशैली और समाज के प्रति उसके उत्तरदायित्व का सशक्त उदाहरण प्रस्तुत करती है।
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