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दिल्ली

दिल्ली के सभी 13 लाख श्रमिकों को मिले ग्रुप इंश्योरेंस, फ्री बस पास, घर और हास्टल की सुविधा।


अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:सीएम अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में सोमवार को श्रम विभाग की हुई उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में दिल्ली में पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के कल्याण के लिए कई अहम निर्णय लिए गए। इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने पंजीकृत सभी 13 लाख निर्माण श्रमिकों को ग्रुप लाइफ इंश्योरेंस, डीटीसी बसों में फ्री यात्रा के लिए पास, रियायती घर और हॉस्टल की सुविधा मुहैया कराने के सख्त निर्देश दिए। इसके अलावा, श्रमिकों को टूलकिट देने और उनके लिए बड़े स्तर पर स्किल डिवेलपमेंट प्रोग्राम चलाने का भी निर्णय लिया गया। इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने सरकार की तरफ से दी जा रही सुविधाएं सभी श्रमिकों तक नहीं पहुंचने पर नराजगी जताई और कहा कि अगर सभी श्रमिकों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं दे सकते तो फिर विभाग चलाने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने श्रम विभाग को पंजीकृत सभी श्रमिकों तक कल्याणकारी योजनाएं पहुंचाने के लिए एक्शन प्लान बनाने का निर्देश दिया। इस दौरान श्रम मंत्री श्री  राजकुमार आनंद और विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उच्च स्तरीय बैठक कर दिल्ली बिल्डिंग एंड अदर्स कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड से पंजीकृत श्रमिकों के लिए दिल्ली सरकार से संचालित मौजूदा योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की। इससे पहले 12 अप्रैल को मुख्यमंत्री ने समीक्षा की थी और अधिकारियों से बोर्ड को कुल आवंटित फंड का कम से कम 25 फीसद राशि पंजीकृत श्रमिकों के कल्याण पर इस्तेमाल करने के लिए एक्शन प्लान बनाने का निर्देश दिया था। आज हुई बैठक में अधिकारियों ने बोर्ड के कामकाज के बारे में मुख्यमंत्री को जानकारी दी और 25 फीसद राशि श्रमिकों के कल्याण पर खर्च किए जाने के मद्देनजर विभिन्न उपायों का विस्तृत विवरण पेश किया। सीएम  अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में पंजीकृत हर निर्माण श्रमिक तक बोर्ड की पहुंच न होने पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि दिल्ली बिल्डिंग एंड अदर्स कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड से 13 लाख निर्माण श्रमिक पंजीकृत हैं, लेकिन उनको सत्यापित करने और उन तक पहुंचने के लिए कोई सिस्टम नहीं है। सीएम ने नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर पंजीकृत 13 लाख निर्माण श्रमिकों में से विभाग किसी योजना से कुछ हजार लोगों को लाभ दे रहा है तो फिर इस विभाग को चलाने का कोई मतलब नहीं है। इससे कल्याणकारी योजनाओं की तुलना में विभाग की लागत अधिक होगी। यदि विभाग के पास 3-4 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं तो उसे अपनी योजनाओं का लाभ सभी 13 लाख श्रमिकों तक पहुंचाना चाहिए। हम अपने निर्माण श्रमिकों के कल्याण के साथ कोई समझौता नहीं कर सकते। सीएम ने श्रम विभाग को राजस्व विभाग के साथ मिलकर आगामी जून महीने तक पंजीकृत निर्माण श्रमिकों का सत्यापन पूरा करने का निर्देश दिया है ताकि हर एक तक सरकार की स्कीमों को पहुंचाया जा सके। इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने बोर्ड के तहत पंजीकृत हर निर्माण श्रमिकों तक सरकार की ओर से संचालित सभी योजनाओं की पहुंच बढ़ाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा महज 500 नए लाभार्थियों को पेंशन देना ही पर्याप्त नहीं है। विभाग सत्यापन करके पात्र श्रमिकों की संख्या में अच्छा खासा इजाफा कर सकता था। सीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि एक सप्ताह के अंदर 60 वर्ष से अधिक आयु के पंजीकृत श्रमिकों की संख्या का पता लगाकर रिपोर्ट पेश की जाए, ताकि उनको पेंशन का लाभ दिया जा सके।सीएम अरविंद केजरीवाल ने मौजूदा योजनाओं के तहत पंजीकृत लाभार्थियों के आंकड़ों पर भी गौर किया और इसे अपर्याप्त बताते हुए विभाग को हर श्रमिक तक पहुंचने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विभाग के पास बहुत अच्छी-अच्छी योजनाएं हैं, लेकिन उनका सही तरीके से प्रचार-प्रचार नहीं किया गया है। सभी पंजीकृत श्रमिकों तक उनके फोन के जरिए पहुंचा जा सकता है। उनको उनके मोबाइल फोन पर एसएमएस और आईवीआरएस संदेश भेज कर योजनाओं के प्रति जागरूक किया जा सकता है। इसमें लागत भी बहुत कम आएगी। जबकि टीवी और रेडियो पर प्रचार करना अधिक खर्चीला साबित होगा। उन्होंने कहा कि जब हमारे पास सभी संसाधन हैं तो हमें योजनाओं का लाभ श्रमिकों तक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़नी चाहिए। सीएम ने अधिकारियों को मौजूदा स्कीमों का सस्ते तरीके से प्रचार-प्रसार करने के लिए प्लान बनाने का निर्देश दिया है।बोर्ड की पिछली समीक्षा बैठक में सीएम अरविंद केजरीवाल ने श्रम विभाग के अधिकारियों को पंजीकृत सभी श्रमिकों को ग्रुप लाइफ इंश्योरेंस और मुफ्त बस पास प्रदान करने की संभावना तलाशने के निर्देश दिया था। इसकी समीक्षा करते हुए सीएम ने बोर्ड को डीटीसी अधिकारियों और समूह बीमा कंपनियों के साथ मिलकर उक्त योजना को जल्द से जल्द लागू करने और इस पर आने वाली लागत का खाका तैयार करने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री अरविंद केरीवाल ने बोर्ड की पहलों की भी समीक्षा की। इसमें श्रमिकों को टूलकिट का वितरण, साइट पर क्रेच सुविधा प्रदान करना, कौशल विकास, श्रमिकों को सब्सिडी वाले घर और ट्रांजिट हॉस्टल प्रदान करना, निर्माण श्रमिकों के बच्चों के लिए मुफ्त कोचिंग और पंजीकृत श्रमिकों के लिए ईएसआईसी कवर शामिल हैं। इस पहल के तहत दिल्ली सरकार राजमिस्त्री, प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर और बढ़ई सहित 5 ट्रेडों के श्रमिकों को बड़े पैमाने पर टूलकिट और कौशल प्रशिक्षण प्रदान करेगी। प्रत्येक टूलकिट में 5-6 महत्वपूर्ण उपकरण और 3 आवश्यक सुरक्षा गियर शामिल होंगे। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सरकार की योजना बोर्ड जरिए निर्माण श्रमिकों को रियायती आवास और दिल्ली में काम करने वाले प्रवासी श्रमिकों को ट्रांजिट हॉस्टल प्रदान करने की है। इस योजना के तहत सरकार लागत का 75 फीसद वहन करके निर्माण श्रमिकों को एलआईजी फ्लैट आवंटित करेगी। लाभार्थी को केवल शेष 25 फीसद राशि का भुगतान करना होगा। मुख्यमंत्री ने बोर्ड को डीडीए, एमसीडी, डीयूएसआईबी और डीएसआईआईडीसी के अधिकारियों के साथ बैठक कर योजना तैयार करने का निर्देश दिया कि इस उद्देश्य के लिए सरकार को कितनी जमीन मिल सकती है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे इन एजेंसियों से मकानों के निर्माण के साथ-साथ जमीन की संभावनाएं तलाशें, जिस पर सरकार खुद मकान और हॉस्टल बना सके। वहीं, श्रम विभाग के अधिकारियों ने सीएम को अवगत कराया कि सरकार के को-वर्किंग स्पेस (सीडब्ल्यूएस) के लिए आवंटित भूमि का पुनर्विकास करने के बाद इस उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। जब दिल्ली सरकार ने राज्य में पुनर्वास कॉलोनियों की स्थापना की थी, तब उसने जमीन के बहुत बड़े भूखंडों पर एक मंजिला सीडब्ल्यूएस केंद्र बनाए थे। बोर्ड ने इन केंद्रों के पुनर्विकास का प्रस्ताव दिया है, जहां सरकार उन्हें भूतल पर सीडब्ल्यूएस के साथ बहुमंजिला बना सकती है और उनके ऊपर प्रवासी श्रमिकों के लिए ट्रांजिट हॉस्टल बन सकता है। सीएम ने कहा कि यह प्रस्ताव शुरू में एक प्रयोग के तौर पर आजमाया जा सकता है। उन्होंने विभाग को इसका एक पायलट प्रोजेक्ट करने का निर्देश दिया।इस दौरान सीएम श्री  अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के सभी पंजीकृत श्रमिकों को ईएसआई योजना से कवर करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। ईएसआई के सदस्यों को बेरोजगारी भत्ता, विकलांगता, मातृत्व, बीमारी, चिकित्सा और पेंशन समेत कई लाभ मिलते हैं। योजना के तहत नियोक्ता 3.25 फीसद योगदान देता है और कर्मचारी अपने वेतन का 0.75 फीसद योगदान देता है। हालांकि ईएसआई के पास निर्माण श्रमिकों को कवर करने का प्रावधान है, लेकिन ठेकेदार बड़े पैमाने पर फंड में योगदान जमा करने के लिए अनिच्छुक हैं। इससे कर्मचारियों को नुकसान होता है क्योंकि वे फंड की सदस्यता के बिना अपना कवर खो देते हैं। दिल्ली के प्रत्येक श्रमिक को ईएसआई से कवर करने के लिए सरकार अब ठेकेदारों द्वारा फंड में किए गए योगदान की प्रतिपूर्ति करेगी। इससे निर्माण श्रमिक ठेकेदारों के यहां पंजीकरण कराने के लिए आगे आने के लिए प्रोत्साहित होंगे और उनको बिना किसी परेशानी के सभी लाभ भी मिल सकेगा। उल्लेखनीय है कि सीएम अरविंद केजरीवाल खुद दिल्ली सरकार द्वारा संचालित सभी कल्याणकारी योजनाओं पर करीब से नजर रख रहे हैं। मुख्यमंत्री ने 12 अप्रैल को कर्मचारी कल्याण बोर्ड की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करने के बाद आज फिर इसकी कार्य प्रणाली की समीक्षा की। सीएम ने अब बोर्ड को एक विस्तृत कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया है कि कैसे दो महीने के अंदर सभी कर्मचारियों के सत्यापन को पूरा करने के साथ-साथ सब्सिडी वाले आवास और छात्रावास, ग्रुप जीवन बीमा, मुफ्त बस पास, ईएसआई कवर और मुफ्त कोचिंग प्रदान की जा सकती है। बोर्ड को मई के पहले सप्ताह तक योजना तैयार कर समीक्षा के लिए मुख्यमंत्री के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया गया है।

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