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टेक्नोलॉजी दिल्ली

जब तक सिस्टम में शिक्षकों का सम्मान नहीं होगा तब तक हम शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति नहीं ला सकते हैं- आतिशी

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
नई दिल्ली:शिक्षा मंत्री आतिशी ने मंगलवार को एससीईआरटी दिल्ली और सेंटर फॉर इंट्रिंसिक मोटिवेशन द्वारा इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित कांफ्रेंस “स्टोरीज़ ऑफ़ चेंज- चेंजिंग बिहेवियर्स, ट्रांसफ़ॉर्मिंग एजुकेशन सिस्टम्स” में भाग लिया। कार्यक्रम में शिक्षकों को संबोधित करते हुए, शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि पिछले 8 सालों में, दिल्ली की शिक्षा प्रणाली में बड़े पैमाने पर बदलाव आया है, जिसने सरकारी स्कूल सिस्टम के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि आम लोगों के साथ-साथ हमारे 60,000 शिक्षकों का आत्मविश्वास भी बढ़ा है जिसमें टीडीसी(टीचर डेवलपमेंट कोओर्डीनेटर) प्रोग्राम और मेंटर टीचर प्रोग्राम जैसे कार्यक्रमों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 

शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘2015 से पहले देश भर में लोग सोचते थे कि देश में सरकारी स्कूलों की स्थिति कभी नहीं सुधर सकती है और बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन सिर्फ प्राइवेट स्कूलों में ही मिल सकती है| लेकिन पिछले 8 सालों में, मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल जी के नेतृत्व में हमने इस धारणा को बदलने का काम किया और पूरी दिल्ली में इतने शानदार और वर्ल्ड-क्लास सरकारी स्कूल बनाए, अपने शिक्षकों को शानदार ट्रेनिंग देना शुरू किया, पेरेंट्स को स्कूल के साथ जोड़ने का काम किया, बच्चों को इनोवेटिव तरीके से क्वालिटी एजुकेशन दी और इस सबने सरकारी शिक्षा प्रणाली के प्रति लोगों के विश्वास को फिर से स्थापित किया। उन्होंने कहा कि, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी के नेतृत्व में दिल्ली सरकार ने साबित कर दिया कि अगर सरकार की नीयत अच्छी हो तो वह शिक्षा व्यवस्था में व्यापक बदलाव ला सकती है|

उन्होंने कहा कि भारत में सरकारी स्कूलों का ऐसा कायापलट पहले कभी नहीं देखा गया। इस सब का नतीजा ये रहा कि दिल्ली सरकार के डॉ. अम्बेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस की 4600 सीटों के लिए इस साल लगभग एक लाख आवेदन आए हैं, यह इस बात का प्रमाण है कि दिल्ली की शिक्षा प्रणाली में बड़े पैमाने पर परिवर्तन हुआ है और यह दिल्ली के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रही है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि, “8 साल पहले प्राइवेट स्कूलों में दाखिले के लिए लंबी कतारें लगती थीं, लेकिन अब यह बदल गया है। पेरेंट्स में दिल्ली सरकार के स्कूलों के प्रति भरोसा बढ़ा है इसलिए अब हर साल लाखों की संख्या में पेरेंट्स अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों से निकाल कर उनका दाखिला दिल्ली सरकार के स्कूलों में करवा रहे है|”शिक्षा मंत्री ने कहा कि 2015 में जब तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और उनकी टीम ने स्कूलों का निरीक्षण करना शुरू किया था, तो वे बेहद खराब और जर्जर स्थिति में थे|  तब स्कूलों में सुविधाओं की कमी के लिए शिक्षकों को जिम्मेदार ठहराया जाता था और इससे शिक्षक हतोत्साहित होते थे, लेकिन जब सरकार ही स्कूलों के बारे में नहीं सोचेंगी तो शिक्षक अपने स्तर पर सब कुछ कैसे कर पाएंगे। स्कूलों में छात्रों के लिए भी स्कूल में न के बराबर सुविधाएँ थी। स्कूल में न तो बच्चों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था थी और ना ही बच्चों के बैठने के लिए डेस्क हुआ करते थे। स्कूल में बच्चों के लिए न तो ब्लैक-बोर्ड होते थे और ना ही पंखे। 
उन्होंने कहा कि 2015 से पहले जब लोग सरकारी स्कूल की तरफ देखते थे तो उनके दिमाग में सिर्फ एक ही ख्याल आता था कि यह स्कूल सिर्फ सेकंड क्लास सिटीजन के लिए है। लेकिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल  के नेतृत्व में दिल्ली सरकार ने जिस तरह से अपने स्कूलों का कायाकल्प कर उसमें वर्ल्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया उससे सभी स्कूलों के स्टूडेंट्स और टीचर्स के अंदर आत्मविश्वास पैदा हुआ है। दिल्ली के सरकारी स्कूल में पेरेंट्स टीचर्स मीटिंग ने न केवल पेरेंट्स के अंदर आत्मविश्वास जगाया बल्कि सरकारी स्कूल सिस्टम के प्रति लोगों का भरोसा भी फिर से स्थापित किया है। उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे अब गर्व से बताते है कि वे दिल्ली के सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि 2016 में जब हमने टीचर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम की शुरुआत की तो उस समय हमें बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था लेकिन हमने कभी हिम्मत नहीं हारी और दिल्ली के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को देश-विदेश में शानदार ट्रेनिंग दिलवाई। क्योंकि जबतक हमारे शिक्षकों को वर्ल्ड-क्लास एक्सपोज़र नहीं मिलेगा तबतक वे बच्चों को वर्ल्ड क्लास एजुकेशन कैसे दे पाएंगे| उन्होंने कहा कि जब तक सिस्टम के अंदर टीचर्स का सम्मान नहीं होगा तब तक हम शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति नहीं ला सकते हैं। हमने अपने शिक्षकों को सुविधाएँ दी, उन्हें सम्मान दिया जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा और उनकी कड़ी मेहनत के दम पर आज दिल्ली का एजुकेशन सिस्टम भारत के साथ-साथ पूरे विश्व में चर्चा का विषय बन गया है।  

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