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दिल्ली राजनीतिक राष्ट्रीय वीडियो

5,200 करोड़ रुपए अपनी पार्टी के खाते में इकट्ठे करने में ये जेम्स बॉन्ड हुआ सफल , ये जेम्स बॉन्ड हैं कौन -सुने वीडियो में।


अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि एक जेम्स बॉन्ड नामक की मशहूर जासूसी फिल्म सीरीज है, जिसमें जो सुपर एजेंट होता है 007, वो अपना परिचय कैसे देता है। वो कहता है My name is James Bond. हमारे देश की राजनीति में एक एजेंट 56 है, नाम बताने की जरुरत नहीं है, आपको मालूम है वो कौन है। उनका परिचय क्या है, My name is bond, James Bond, इलेक्टोरल बॉन्ड। ये मैं क्यों कह रहा हूं, क्योंकि इस एजेंट ने वित्तीय वर्ष 2017-18 और वित्तीय वर्ष 2021-22 में 5,200 करोड़ रुपए अपनी पार्टी के खाते में इकट्ठे करने में ये बॉन्ड सफल हुआ, 5,200 करोड़। कहाँ से आया पैसा, कोई हिसाब किताब नहीं। किसने दिया, क्यों दिया, उसकी एवेज में आपको उसको क्या बेचा, कौन सी संपत्ति बेच दी, उसका कोई हिसाब नहीं। Rs. 5,200 crores in two financial years in the coffers of the ruling party through electoral bonds, without any questions, without answers, without the country getting to know what is the quid pro quo? Who did you get this from? Why did you get this money? What did you give in return? कोई जवाब नहीं।
ऐसा नहीं है कि हमारे एजेंट 56 को पारदर्शिता पसंद नहीं है। गुप्ता जी के बेटे ने किसी के पेटीएम में 100 रुपए क्यों डाले, ये जानना चाहते हैं वो। यादव जी की बेटी के अकाउंट में 100 रुपए क्यों आए, ये भी जानना चाहते हैं वो। तो पारदर्शिता हम सबके लिए, लेकिन इनकी पार्टी के पास 5,200 रुपए आ जाएं, 5 हजार करोड़ रुपए से ऊपर आ जाएं, किसी को वो सुराग नहीं देना चाहते। वो ये कहते हैं और ये मानते हैं कि पूरा देश बेईमान है, लेकिन मेरी ईमानदारी पर आपको आंख बंद करके, मुंह बंद करके, कान बंद करके यकीन करना होगा। यह हमारे बॉन्ड, इलेक्टोरल बॉन्ड, एजेंट 56 का मूल मंत्र है।ये बड़ी अपारदर्शी स्कीम है, इलेक्टोरल बॉन्ड की, अरुण जेटली जी लाए थे 2017 में, 7 जनवरी को। वो दिन हमारे लोकतंत्र के इतिहास में एक बहुत गलत दिन था। उस दिन से एक ऐसी परंपरा की नींव डली, जिससे इलेक्टोरल फंडिंग बिल्कुल गैर पारदर्शी हो गई। चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट, आरबीआई सबकी कुछ आपत्तियां थी। लेकिन अरुण जेटली साहब अब हमारे बीच में नहीं रहे, उस वक्त हमने विरोध किया था, क्योंकि ये मनी बिल की तरह से इसको पारित करा लिया, राज्यसभा में बिना चर्चा के हो गया, क्योंकि मनी बिल पर आप कर सकते हैं ये। अनुच्छेद 110 के तहत इसे पारित करा दिया। जब इस अनुच्छेद के तहत मनी बिल के तहत इसे आप पारित कराते हैं, तो इस पर संशोधन करने की शक्ति राज्यसभा को नहीं होती है।तो संविधान की भावना पर ये बहुत बड़ा हमला भी हुआ और लोकतंत्र पर ये उसके बाद से निरंतर हमला हो रहा है एक अपारदर्शी तरीके से पैसे इकट्ठे किए जा रहे हैं। तो आप सोचिए कि एक मनी बिल से भारतीय जनता पार्टी ने विधायक खरीदने, सरकारें गिराने का सारा मनी जुटाने का इंतजाम इस एक मनी बिल से कर दिया। बाकी तमाम पार्टियों को आप जोड़ दीजिए, तो भारतीय जनता पार्टी को तीन गुना चंदा इस इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से अधिक मिला है, तीन गुना।You add the money received by all other political parties and then you compare that to what the BJP received; the BJP is three times higher. पहले क्या होता था, पहले होता था कि एक कंपनी अपने 3 साल के नेट प्रॉफिट का 7.5 प्रतिशत से ज्यादा दान नहीं कर सकती थी, seven and half percent of the net profit of three years. ये रुल था। लेकिन भाजपा सरकार ने वो लिमिट हटा दी, अब कंपनी को यह बताना भी नहीं है कि किसको कितना चंदा दिया। देखिए, कितना अपारदर्शी है। व्यक्ति दे सकता है

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