अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़: हरियाणा पुलिस और फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) के समन्वय और प्रतिबद्धता ने अपराध जांच की वैज्ञानिक प्रक्रिया को नई गति और सटीकता प्रदान की है। वर्ष 2024 में एफएसएल हरियाणा ने 20,646 मामलों का निष्पादन करते हुए न केवल अपने ही वार्षिक इनटेक (20,420) को पार किया, बल्कि केस डिस्पोज़ल के क्षेत्र में ऐतिहासिक रिकॉर्ड भी स्थापित किया। यह प्रदर्शन इस बात का प्रमाण है कि राज्य में न केवल अपराधों की जांच तेज़ हुई है, बल्कि लंबित मामलों में भी प्रभावशाली गिरावट दर्ज की गई है।
हरियाणा पुलिस के महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने एफएसएल टीम की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर उन्हें हार्दिक बधाई दी है। उन्होंने कहा, ‘हरियाणा एफएसएल आज देशभर में फॉरेंसिक दक्षता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का आदर्श उदाहरण बन चुकी है। यह सफलता केवल आँकड़ों की नहीं, बल्कि एफएसएल और पुलिस इकाइयों के बीच समयबद्ध समन्वय, वैज्ञानिक सोच और प्रशासनिक प्रतिबद्धता की परिणति है। मैं एफएसएल और अन्वेषण इकाइयों को इस मील के पत्थर पर बधाई देता हूँ और आशा करता हूँ कि यह साझेदारी आगे भी न्याय प्रणाली को सशक्त करती रहेगी।‘
पुलिस महानिदेशक ने अगस्त-2023 में अपना पदभार संभालने उपरांत हरियाणा एफएसएल के सृदृढ़ीकरण को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया ताकि जांच प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाया जा सके। सभी पहलुओं का अध्ययन किया गया और रिपोर्टिंग अधिकारियों की संख्या जो संख्या अगस्त 2023 में 46 थी उसे बढ़ाकर 80 किया गया। इसके साथ ही 9 नए विषविज्ञान इकाइयों , तीन डीएनए इकाइयों , एक एनडीपीएस इकाई और अन्य सहायक वैज्ञानिक कर्मचारियों हेतु भर्ती प्रक्रिया जारी है। पहली बार एफएसएल मधुबन में साँप काटने से हुई मौतों की जांच हेतु विशेष इकाई की स्थापना की गई। जीसी-एमएस, हाई-प्रेसिजन माइक्रोस्कोप, अत्याधुनिक डीएनए सीक्वेंसर और मोबाइल फॉरेंसिक वैन जैसे उपकरणों ने तकनीकी गुणवत्ता को नई ऊंचाई दी है। ट्रैकिया पोर्टल के उन्नयन ने केस वर्कफ्लो को पूर्णतः डिजिटल बनाकर पारदर्शिता, समयबद्धता और उत्तरदायित्व को सुदृढ़ किया। साथ ही, एनडीपीएस मामलों की शीघ्र जांच हेतु एनएफएसयू से एमओयू तथा बीएनएसएस 2023 के तहत वैज्ञानिकों को सरकारी वैज्ञानिक विशेषज्ञ के रूप में मान्यता प्रदान किया गया है। वर्ष 2024 में लगभग 7500 अपराध घटना स्थलों का फोरेंसिक जांच किया गया। ये सभी प्रयास न्याय प्रणाली में वैज्ञानिक प्रमाणों की विश्वसनीयता को सशक्त करते हैं। एनडीपीएस, डीएनए, साइबर फॉरेंसिक और टॉक्सिकोलॉजी डिवीजनों ने केस निपटान की गुणवत्ता और गति-दोनों विषयों पर बीपीआरएंडडी द्वारा निर्धारित राष्ट्रीय मानकों से बेहतर प्रदर्शन किया है। एफएसएल अब केवल एक सहायक प्रयोगशाला नहीं, बल्कि वैज्ञानिक साक्ष्य आधारित न्यायिक प्रक्रिया का केंद्रीय स्तंभ बन चुकी है। हरियाणा पुलिस की प्रत्येक अन्वेषण इकाई ने केसों को समय पर एफएसएल को प्रेषित कर इस वैज्ञानिक प्रक्रिया को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।राज्य सरकार और केंद्र सरकार के सहयोग से एफएसएल की तकनीकी क्षमता में अभूतपूर्व सुधार हुआ है। निर्भया फंड और पुलिस बलों के आधुनिकीकरण योजना के अंतर्गत एनडीपीएस डिवीजन को जीसी-एमएस तकनीक युक्त तीन नई यूनिट्स प्राप्त हुई हैं, जिससे ड्रग्स की पहचान अब और तेज़ तथा सटीक हो गई है। बैलिस्टिक्स यूनिट में उच्च गुणवत्ता के तीन माइक्रोस्कोप लगाए गए हैं, जो हथियारों और गोलियों की वैज्ञानिक जांच को सुदृढ़ करते हैं।
डीएनए और बॉयोलॉजी डिवीजनों में नई पीढ़ी के पीसीआर सिस्टम, ऑटोमेटेड एक्सट्रैक्शन यूनिट और अन्य उन्नत उपकरण लगाए गए हैं। इससे जांच की गति और विश्वसनीयता दोनों में सुधार आया है। साथ ही, आरएफएसएल गुरुग्राम में डीएनए परीक्षण सुविधा भी स्थापित की जा रही है जो शीघ्र ही पूर्ण रूप से कार्यशील होगी। एफएसएल ने 4 मोबाइल फॉरेंसिक व्हीकल्स (एमएफवी) को भी उन्नत तकनीक से सुसज्जित किया है। ये गाड़ियाँ विशेष एफ.टी.ए कार्ड व अन्य संसाधन के साथ हैं, जिनसे घटनास्थल पर ही डीएनए या अन्य साक्ष्य को सुरक्षित किया जा सकता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि कोई भी साक्ष्य रास्ते में नष्ट न हो या उसके साथ छेड़छाड़ न हो।हरियाणा की फॉरेंसिक लैब ने अब साक्ष्य को सुरक्षित रखने के लिए एक नई ‘टेम्पर-प्रूफ’ और एक समान मानकीकृत पैकेजिंग सामग्री अपनाने जा रहा है। इस आधुनिक पैकेजिंग और सीलिंग सामग्री के उपयोग के क्रियान्वयन से साक्ष्य को इस प्रकार सील किया जाता है कि किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ तुरंत पकड़ में आ जाए। यह व्यवस्था अदालत में साक्ष्य को चुनौती देने की गुंजाइश को काफी हद तक खत्म करती है और न्यायिक प्रक्रिया को मजबूत बनाती है।एफएसएल हरियाणा की यह प्रगति केवल एक संस्थागत प्रयास नहीं, बल्कि हरियाणा पुलिस की वैज्ञानिक संस्कृति, अपराध पर अंकुश लगाने की समेकित सोच और न्याय की दिशा में ठोस प्रतिबद्धता की जीवंत मिसाल है। राज्य की सभी जिलों की पुलिस इकाइयों ने एफएसएल के साथ समन्वय बनाकर मामलों को प्राथमिकता से निपटाया, जिससे न्यायपालिका को भी तीव्र गति से निर्णय लेने में सुविधा प्राप्त हुई।एफएसएल की दक्षता का सीधा प्रभाव पीड़ितों को समयबद्ध न्याय देने और निर्दाेष व्यक्तियों को अनावश्यक उत्पीड़न से मुक्त करने पर पड़ा है। वैज्ञानिक जांच की पारदर्शिता ने नागरिकों का पुलिस और न्यायिक व्यवस्था पर विश्वास सुदृढ़ किया है। डिजिटल ट्रैकिंग पोर्टल्स और प्रमाण मानकीकरण के जरिए एफएसएल अब राज्य की न्यायिक प्रक्रिया में तकनीकी रीढ़ की भूमिका निभा रही है।
Related posts
0
0
votes
Article Rating
Subscribe
Login
0 Comments
Oldest
Newest
Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments