अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: हमारे कान में एक इनर ईयर होता है, जहाँ हेयर सेल्स मौजूद होते हैं। हेयर सेल्स हमारी आवाज को इलेक्ट्रिकल सिग्नल में बदलकर ब्रेन तक भेजते हैं और इस प्रकार हमें आवाज सुनाई देती है। हमारा ब्रेन उस साउंड को प्रोसेस करता है। यह आवाज हमें कहीं दूर से भी आ सकती है। ईयरबड्स, ईयरफ़ोन पहनने से यह आवाज डायरेक्टली हमारे कानों में जाती है। अगर आप अपने कानों में इयरफोन या इयरबड्स या इयरफ़ोन का लंबे समय तक इस्तेमाल करते हैं या ईयरबड्स, ईयरफ़ोन कानों में लगाकर ज्यादा तेज आवाज में संगीत सुनते हैं तो सावधान हो जाएँ। आपको बता दें कि इससे आपके सुनने की क्षमता कम हो सकती है या एक लम्बे समय के बाद आपको कानों से स्थायी रूप से भी सुनना बंद हो सकता है। लंबे समय तक ईयरफ़ोन का इस्तेमाल करने के कारण हाई फ्रीक्वेंसी एक्सपोज़र होता है जिसकी वजह से धीरे-धीरे आपको सुनाई देना कम होने लगता है। इसके अलावा कई लोग एक दूसरे के साथ इयरफ़ोन शेयर करते हैं। इस कारण एक कान से इन्फेक्शन दूसरे व्यक्ति के कान में इन्फेक्शन फ़ैल सकता है। इयरफ़ोन कई बार आपके कान के हिसाब से डिजाईन नहीं होते हैं जिसकी वजह से कान में इर्रीटेशन, दर्द हो सकता है। कान में ईयरफ़ोन लगे होने की वजह से कान के अंदर का वैक्स अंदर ही रहता है, बाहर नहीं निकल पाता है इस वजह से ये वैक्स कान के अन्दर ही जमा होता रहता है। इसके परिणाम स्वरुप वैक्स से जुडी समस्याएं आ सकती हैं जैसे कान में दर्द होना या कम सुनाई देना। इससे कान में सूजन, इन्फेक्शन होने का भी खतरा रहता है। इसके अलावा इयरफोन या इयरबड्स या इयरफ़ोन का लंबे समय तक इस्तेमाल करने से इयर कैनाल में सूजन आ सकती है, फंगल इन्फेक्शन भी हो सकता है। कान के पर्दे में डैमेज होने की संभावना बढ़ जाती है जिससे आपको बहरापन की समस्या हो सकती है। कान की हड्डी में भी कुछ बदलाव आने की संभावना रहती है जो लोग या बच्चे गेम्स खेलने के दौरान करते इयरफ़ोन का इस्तेमाल करते हैं उन्हें इस प्रकार की समस्याएं ज्यादा होने की संभावना रहती है।लक्षणों की न करें अनदेखी: जो लोग इयरफ़ोन का लम्बे समय तक इस्तेमाल करते हैं, उन्हें हमेशा सावधान रहना चाहिए। उन्हें ध्यान देना चाहिए कि अगर वे कुछ आवाजें सुन नहीं पा रहे हैं या उन्हें गाने की कुछ बीट्स सुनाई नहीं दे रही हैं, कान में भारीपन या कान के अन्दर कुछ बजता सा रहता है तो तुरंत ईएनटी रोग विशेषज्ञ से मिलकर अपने कानों की सुनने की क्षमता का चेकअप कराना चाहिए। खासकर हाई फ्रीक्वेंसी साउंड को चेक कराना चाहिए। ये शुरुआती लक्षण है जब व्यक्ति को कम सुनाई देना शुरू होता है। इसके अलावा अगर आपके कान में खुजली होना, दर्द होना या उसमें से पानी जैसा निकलना आदि अहम लक्षण हैं इससे सतर्क रहना बहुत जरूरी है।सलाह: ईयरफ़ोन, ईयरबड्स का इस्तेमाल कम करें या न करें। ज्यादा जरूरत पड़ने पर ही ईयरफ़ोन का इस्तेमाल करें। अगर ईयरफ़ोन का इस्तेमाल कर रहें हैं तो अपने फ़ोन का अधिकतम वॉल्यूम सिर्फ 60 परसेंट से कम ही रखें। इसके अलावा अपने ईयरफ़ोन को किसी दूसरे व्यक्ति के साथ शेयर न करें। अगर किसी जरूरी काम से आपको ईयरफ़ोन का लंबे समय तक इस्तेमाल करना पड़ रहा है तो बीच-बीच में इन्हें कानों से उतारते रहें ताकि कान में नमी जमा न हो। सबसे जरूरी बात ईयरफ़ोन चुनते समय ध्यान रखें उन ईयरफ़ोन को सेलेक्ट करें आपके कान में बहुत ही नर्म तरीके से बैठ सकें और दर्द न करें। अगर आपको कम सुनाई दे रहा है तो ईएनटी रोग विशेषज्ञ से मिलें ताकि वे आपको नस के बूस्टर दे सकें। अगर कान से पानी आ रहा है, दर्द हो रहा है या खुजली हो रही है इसके लिए डॉक्टर द्वारा कुछ एंटीबायोटिक और ईयरड्रॉप्स दी जाती हैं। जब भी सड़क या ट्रैफिक के बीच में है तो ईयरफ़ोन के इस्तेमाल से बचें। एक घंटे से ज्यादा समय तक ईयरबड्स, ईयरफ़ोन का इस्तेमाल न करें। जिन बच्चों को जन्मजात सुनाई न देने की समस्या है उनके हियरिंग का भी समाधान उपलब्ध है। जन्म के तुरंत बाद ही बच्चे की सुनने की क्षमता की जांच करने के लिए बेरा टेस्ट किया जाना चाहिए। इस टेस्ट से पता चलता है कि बच्चे को सुनने में कोई परेशानी है या नहीं। अगर आप बेरा टेस्ट नहीं करा पा रहे हैं तो ओटो एकॉस्टिक एमिशन टेस्ट भी करा सकते हैं अगर बच्चों में जन्मजात सुनने की क्षमता में कमी आ रही है तो इसे जन्मजात बहरापन कहते हैं ऐसी स्थिति में कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी के जरिए बच्चों की सुनने की क्षमता दोबारा से ठीक की जा सकती है। यह बहुत ही साधारण सर्जरी है जो बच्चे सुनने एवं बोलने की क्षमता खो चुके हैं, इस सर्जरी की मदद से उन बच्चों की सुनने की क्षमता दोबारा से ठीक हो जाती है और वे दूसरे सामान्य बच्चों की तरह बोलने लगते हैं।
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