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राफेल डील में भ्रष्टाचार, रिश्वत और मिलीभगत को दफनाने के लिए ऑपरेशन कवर-अप एक बार फिर हुआ उजागर-कांग्रेस

अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
पवन खेड़ा, प्रवक्ता, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का वक्‍तव्‍य: मोदी सरकार द्वारा राफेल डील में भ्रष्टाचार, रिश्वत और मिलीभगत को दफनाने के लिएऑपरेशन कवर-अप एक बार फिर उजागर हो गया है।भाजपा सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा का बलिदान दिया है, भारतीय वायु सेना के हितों को खतरे में डालकर देश के खजाने को हजारों करोड़ का नुकसान पहुंचाया गया है। पिछले 5 वर्षों से संदिग्ध राफेल डील मामले में प्रत्येक आरोप और पहेली का प्रत्येक टुकड़ा मोदी सरकार में बैठे सत्ता के उच्चतम स्तर तक के लोगो तक जाता है। ऑपरेशन कवर-अप में नवीनतम खुलासे से राफेल भ्रष्टाचार को दफनाने के लिए मोदी सरकार- सीबीआई-ईडी के बीच संदिग्ध सांठगांठ का पता चलता है। 

1.4 अक्टूबर 2018 को भाजपा के दो पूर्व केंद्रीय मंत्रियों और एक वरिष्ठ वकील ने राफेल सौदे में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का हवाला देते हुए निदेशक, सीबीआई को शिकायत सौंपी। 11 अक्टूबर 2018 को मॉरीशस सरकार ने अपने अटॉर्नी जनरल के माध्यम से राफेल सौदे से जुड़े कमीशन के कथित भुगतान के संबंध में सीबीआई को दस्तावेजों की आपूर्ति की थी। 23 अक्टूबर 2018 को पीएम मोदी की अगुवाई वाली एक समिति ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को मध्यरात्रि में तख्तापलट कर हटा दिया, दिल्ली पुलिस के माध्यम से सीबीआई मुख्यालय पर छापा मारा और इसके नायक एम नागेश्वर राव को सीबीआई प्रमुख नियुक्त किया। यह सीबीआई के माध्यम से राफेल भूत को दफनाने की एक ठोस साजिश का हिस्सा था। मोदी सरकार और सीबीआई ने पिछले 36 महीनों से कमीशन और भ्रष्टाचार के सबूतों पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं की? इसे मामले को क्यों दफनाया गया? मोदी सरकार ने मध्यरात्रि तख्तापलट में सीबीआई प्रमुख को क्यों हटाया? 

2.राफेल घोटाला तथाकथित ₹60-₹80 करोड़ का कमीशन भुगतान नहीं है। यह सबसे बड़ा रक्षा घोटाला है और केवल एक स्वतंत्र जांच ही घोटाले का खुलासा करने में सक्षम है।कांग्रेस-यूपीए सरकार ने अंतरराष्ट्रीय टेंडर के बाद 526.10 करोड़ रुपये में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सहित एक राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए बातचीत की थी। मोदी सरकार ने वही राफेल लड़ाकू विमान (बिना किसी निविदा के) ₹1670 करोड़ में खरीदा और भारत को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के बिना 36 जेट की लागत में अंतर लगभग ₹41,205 करोड़ है।  क्या मोदी सरकार जवाब देगी कि हम भारत में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के बिना उन्हीं 36 विमानोंके लिए ₹41,205 करोड़ अतिरिक्त क्यों दे रहे हैं? किसने पैसा कमाया और कितनी रिश्वत दी? जब 126 विमानों का लाइव अंतरराष्ट्रीय टेंडर था तो पीएम एकतरफा 36 विमान ऑफ द शेल्फ कैसे खरीद सकते थे? 

3. फ्रेंच न्यूज पोर्टल/एजेंसी – मिडियापार्ट.एफआर ने चौंकाने वाले खुलासे के ताजा सेट में उजागर किया है कि कैसे बिचौलिए सुशेन गुप्ता ने 2015 में भारत के रक्षा मंत्रालय से भारतीय वार्ता दल (आईएनटी) से संबंधित गोपनीय दस्तावेजों को भारत के रुख का विवरण देते हुए पकड़ा था। वार्ताकारों से बातचीत के अंतिम चरण के दौरान और विशेष रूप से उन्होंने विमान की कीमत की गणना कैसे की। इससे डसॉल्ट एविएशन (राफेल) को साफ और सीधे तौर पर फायदा हुआ। क्या यह सही नहीं है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 26-03-2019 की छापेमारी में बिचौलियों से गुप्त रक्षा मंत्रालय के दस्तावेज" बरामद किए हैं, जिनमें शामिल हैं – 

क) बेंचमार्क मूल्य दस्तावेज़ दिनांक 10-08-2015 
ख) रक्षा मंत्रालय के INT द्वारा चर्चाओं का रिकॉर्ड 
ग) रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा की गई गणना की एक्सेल शीट
घ) यूरोफाइटर का भारत सरकार को 20% की छूट का काउंटर ऑफर ङ) 24 जून 2014 का एक नोट, सुशेन गुप्ता द्वारा डसॉल्ट को भेजा गया, जिसमें द पॉलिटिकल हाईकमान के साथ बैठक की पेशकश की गई थी। क्या मोदी सरकार में हाईकमान के साथ ऐसी कोई बैठक हुई थी? यह राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने, देशद्रोह और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के घोर उल्लंघन से कम नहीं है। ईडी ने घोटाले की जांच के लिए इन सबूतों को आगे क्यों नहीं बढ़ाया? तब मोदी सरकार ने दस्तावेजों को लीक करने वाले राजनीतिक कार्यकारी या रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों डसॉल्ट के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की? भारत के राष्ट्रीय रहस्य किस चौकीदार ने बेचे ? 

4.पीएम मोदी ने भ्रष्टाचार विरोधी खंड यानी कोई रिश्वत नहीं, कोई उपहार नहीं, कोई प्रभाव नहीं, कोई कमीशन नहीं, कोई बिचौलिया नहीं" को निरस्त कर दिया, जो रक्षा खरीद प्रक्रिया के अनुसार रक्षा अनुबंधों में अनिवार्य नीति है। क्या यह सही नहीं है कि भ्रष्टाचार विरोधी खंड यूपीए द्वारा 126 लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए जारी निविदा का हिस्सा थे? क्या राफेल सौदे में रिश्वत और कमीशन की जिम्मेदारी से बचने के लिए भ्रष्टाचार विरोधी खंड हटा दिए गए थे? जुलाई 2015 में अंतर-सरकारी समझौते में रक्षा मंत्रालय के जोर देने के बावजूद, सितंबर 2016 में प्रधानमंत्री और मोदी सरकार द्वारा भ्रष्टाचार विरोधी खंड को हटाने की मंजूरी क्यों दी गई थी? क्या यही कारण है कि सीबीआई-ईडी ने 11 अक्टूबर 2018 से आज तक राफेल सौदे में भ्रष्टाचार की जांच से इनकार कर दिया?

5.हमारी सीमाओं पर पाक-चीन की धुरी हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। एलएसी के पार बुनियादी ढांचे का निर्माण, नई हवाई पट्टियों का निर्माण, मिसाइल आदि गंभीर चिंता का विषय है।

इस संदर्भ में पीएम मोदी से यह पूछना और भी जरूरी है: 

क. उन्होंने भारतीय वायु सेना से परामर्श किए बिना राफेल विमानों की संख्या को 126 से घटाकर 36 कैसे व क्यो कर दिया? 
ख. उन्होंने भारत को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और एचएएल द्वारा राफेल के निर्माण से इनकार क्यों किया? 
ग. उन्होंने भ्रष्टाचार विरोधी खंड को क्यों निरस्त कर दिया जो रक्षा खरीद प्रक्रिया के अनुसार किसी भी निविदा के लिए एक पूर्व-आवश्यकता है और यूपीए द्वारा जारी निविदा का हिस्सा था? 
घ.  राफेल घोटाले में अपनी भूमिका की जांच के आदेश न देकर उन्होंने सुशेन गुप्ता की रक्षा क्यों की?

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