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मुंबई महानगरपालिका में शासन नहीं शासन प्रणाली को बदलने की ज़रूरत : चिदंबरम

संवाददाता, मुंबई: मुंबई महानगरपालिका चुनाव महाराष्ट्र में राज्य सरकार का भविष्य तय कर सकते हैं, सियासी गलियारों में ये सुगबुगाहट फैली है. चुनाव स्थानीय है लेकिन हज़ारों करोड़ की सत्ता राज्य में सेमीफाइनल के तौर पर देखी जा रही है जिसे जीतने में मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस कोई कसर नहीं छोड़ रहे. शिवसेना वार का कोई मौका नहीं चूक रही तो वहीं मैदान में कांग्रेस ने केन्द्रीय नेतृत्व से भी दिग्गज उतार दिये हैं. मुंबई में बीएमसी चुनावों से ठीक पहले मुंबई कांग्रेस अध्‍यक्ष संजय निरुमप से मतभेद को लेकर कांग्रेस सुर्खियों में रही. पार्टी ने पहले झगड़ा सुलझाने हुड्डा को भेजा और अब पी चिदंबरम पार्टी के प्रचार के लिये कूदे हैं. बांद्रा में नौजवानों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “यहां की महानगरपालिका है जिसके खातों की जांच 7 साल से नहीं हुई.

यहां सिर्फ शासन नहीं पूरी शासन प्रणाली को बदलना होगा. यहां की महानगरपालिका का बजट 37000 करोड़ रुपये का है. देश की दस सबसे बड़ी महानगरपालिकाओं से ज्यादा, मेरे शहर चेन्नई का बजट 5000 करोड़ रुपये का है. आधा पैसा तनख्वाह में चला जाता है, साफ है मुंबई कर्मचारियों का ख्याल रखती है लेकिन वो मुंबई का नहीं.’

महाराष्ट्र में मुंबई महानगरपालिका के अलावा कई और स्थानीय निकायों में चुनाव हैं, लेकिन दम बीएमसी में परखा जा रहा है. बीजेपी ने मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस को ही चेहरा बनाया है, चुनौती दो दशक पुरानी साथी शिवसेना को बीएमसी से हटाने की है लेकिन कांग्रेस ने भी पूरा दमखम लगा दिया है. मुंबई कांग्रेस बंटी नजर आ रही है, सो साथ केन्द्रीय नेतृत्व से भी मिल रहा है. कांग्रेस को भरोसा है कि बीएमसी के नतीजे राज्य में सियासी गुणा-गणित बदल देंगे. पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, ‘इन चुनावों के प्रतिकूल नतीजे चाहे ग्रामीण हों या शहरी, देवेन्द्र फडणवीस के सत्ता में बने रहने पर गहरा असर डालेंगे, ऐसे में उनके लिये ये स्थिति करो या मरो की है.’

1997 में 103 पार्षदों से शिवसेना 2012 में 75 पर आ गई है, बीजेपी को लगता है स्थानीय के अलावा हिन्दुत्व के मुद्दे से भी वार किया जा सकता है, सो बीएमसी चुनावों में उसे फिर रामलला भी याद आ गये हैं. मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने राम मंदिर के मुद्दे को उठाने पर शिवसेना को ललकारते हुए कहा, ‘अरे यहां के चुनाव में राम मंदिर का मुद्दा उठाते हैं, राम हमारे मन में हैं, अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनेगा, कैसे बनेगा वो यूपी के हमारे घोषणा पत्र में देख सकते हो.’ हफ्ते भर से ज्यादा बचे हैं, मुख्यमंत्री अकेले मुंबई में 14 रैलियां कर रहे हैं, विपक्षी पार्टियां भी पूरे दम-खम से मैदान में कूद पड़ी हैं. 21 फरवरी को महाराष्ट्र में बीएमसी समेट स्थानीय निकायों के चुनाव हैं, 23 फरवरी को नतीजे आएंगे.

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