विनीत पंसारी की रिपोर्ट
महेन्द्रगढ़ : जब तक हम स्वयं से नहीं जुड़ते, योग में सफलता कठिन होगी अर्थात जीवन में सफलता का परचम लहराने के लिये तन, मन और आत्मा का स्वस्थ होना अति आवश्यक है। ये मार्ग और भी सुगम हो सकता है, यदि हम योग को अपने जीवन का हिस्सा बना लें। योग का अर्थ है जोड़। आध्यात्मिक पक्ष के साथ-साथ हमें सामाजिक रूप से भी जुड़ने के अवसर ऐसे योगशिविरों के माध्यम से मिलते हैं। उक्त विचार हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय, जांट-पाली के कुलपति प्रो. रमेशचंद्र कुहाड़ ने गांव जांट में आयोजित योगशिविर के शुभारम्भ अवसर पर रखे। इससे पूर्व पतंजलि योग समिति व भारत स्वाभिमान द्वारा आयोजित निशुल्क योग विज्ञान एवं स्वास्थ्य जाग्रति शिविर का कुलपति महोदय ने दीप प्रज्जवलित कर शुभारम्भ किया।
तत्पश्चात शिविर संचालक निलेश ने कहा कि योग हमारी भारतीय संस्कृति की प्राचीनतम पहचान है। संसार की प्रथम पुस्तक ऋग्वेद में कई स्थानों पर यौगिक क्रियाओं के विषय में उल्लेख मिलता है।योग धर्म, आस्था और अंधविश्वास से परे एक सीधा विज्ञान है। जीवन जीने की एक कला है योग। निलेश ने योगिंग जोगिंग व सूर्य नमस्कार से योग जागरण की शुरुवात की। विभिन्न आसनों व प्राणायामों का भी अभ्यास कराया गया। भारत स्वाभिमान जिला प्रभारी वीरेंदर आर्य व वरिष्ठ योगशिक्षक शीशराम मालड़ा ने कहा कि इस संसार की सभी चिकित्सा पद्धतियों की शुरुआत मानव शरीर के रोगी होने पर होती है। वहीँ योग और आयुर्वेद ही एकमात्र ऐसी चिकित्सा पद्धति है जो मनुष्य के स्वास्थ्य की सम्पूर्ण गारन्टी देती है। शिविर व्यवस्थापक अनिल, सुरेश व कैलाश कौशिक ने बताया कि अन्य गांवों की ही तरह हमारे गांव में भी बीमारियों का प्रकोप है। ग्रामीणों ने अब योग व आयुर्वेद को अपनाने का मन कर लिया है। रविवार तक चलने वाले इस योग शिविर में प्रतिदिन किसी मुख्य रोग के विषय में चर्चा की जाएगी एवं उससे सम्बंधित सभी उपचार पद्धतियों का विवरण दिया जाएगा। इस अवसर पर शिविर के प्रथम दिवस विश्विद्यालय से NSS विभाग के संयोजक डॉ दिनेश चहल, सुभाष पाली NSG, ग्राम सरपंच होशियार सिंह, राव वीरेंदर सिंह, संदीप कौशिक आदि सहित अनेकों बच्चे नौजवान व बुजुर्ग ग्रामीण उपस्थित रहे।