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महेंद्रगढ़ : कंप्यूटर के युग में आज भी रेशम की डोर से बनी राखियां, महिलाओं की पहली पसंद, विक्रेता।

विनीत पंसारी की रिपोर्ट 
महेन्द्रगढ़: भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का त्योहार “रक्षाबंधन” के लिए शहर के बाजारों में राखियों की दुकानें सज़ने लगी हैं । महिलाएं, लड़कियां राखियों के डिजाईनों को पसन्द करने व खरीदने के लिए पहुंचने लगी हैं । राखी विक्रेताओं ने बताया कि जिन बहनों ने दूर-दराज क्षेत्रों में रह रहे अपने भाईयों के लिए राखियां डाक या कोरियर के माध्यम से भेजनी हैं वे पहले से इनकी खरीदारी के लिए राखियों की स्टालों पर पहुंच रही हैं । हालांकि रक्षाबंधन पर्व अभी दूर है, ज्यों- ज्यों यह नजदीक आएगा राखियों की बिक्री भी बढ़ने लगेगी ।
रक्षाबंधन के पावन पर्व पर बहनें अपने भाईयों को मंगलटीका लगाती हैं तथा उनकी लंबी उम्र व खुशहाली की कामना करती हैं । भाई भी अपनी बहन को रक्षा का वचन तथा तोहफे देते हैं ।
राखी विक्रेता भारत सैनी, चिंटू परतापुरिया, गौरव कौशिक, ललित परतापुरिया, पवन भारद्वाज,आदि ने बताया कि  राखी विक्रेता दिल्ली, अलवर, जयपुर आदि शहरों से राखियां बिक्री के लिए लाते हैं ।  खास बात यह भी देखने को मिली कि राखी विक्रेता चाईनीज़ राखियों का बहिष्कार कर स्वदेशी राखियां ही बिक्री के लिए लाए है। बाजारों में रेशम का डोरा, फ्लावरवाली, स्वस्तिक-ओमवाली, ब्रेसलेट, छोटा भीम, डोरीमोन, बाल गणेश, स्पाइडरमैन आदि-आदि अनेक लेटैस्ट डिजाईनों की राखियां बिक्री के लिए उपलब्ध हैं । पांच रुपये से लेकर चार सौ रुपये तक की राखियां, वैरायटी के अनुरुप बाजार में बिक रही हैं । राखी विक्रेताओं का कहना था कि बेशक आजकल कम्प्यूटर, मोबाइल का ज़माना है । लेकिन भाई की कलाई पर बहन द्वारा रेशम की डोरी बांधने में जो स्नेह,ममता छलकती है वह अतुलनीय होती है ।

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