अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: वरिष्ठ कांग्रेसी सलमान खुर्शीद ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा- एक बड़ा महत्वपूर्ण विषय था। हमारी जानकारी में आया और मैं समझता हूँ कि आम जनता ने भी इस बात को देखा है कि शिशुओं को, छोटे बच्चों को चुनाव प्रचार में लाया जा रहा है और उनको विशेष पार्टी का पद दिलाकर या विशेष पार्टी के उनको वस्त्र पहनाकर और उनसे कहा जा रहा है कि आप यहाँ पर कैंपेन करिए, हमारी पार्टी के लिए। ये भाजपा कर रही है, हम उसका विरोध करते हैं और हमको बड़ा कष्ट है कि इन नन्हे-मुन्ने बच्चों को इस प्रकार से चुनाव प्रचार में लाया जा रहा है और उनका शोषण हो रहा है, ये हमारा मानना है,
इसलिए हम इलेक्शन कमीशन से शिकायत करने आए थे और इस बात पर बहुत स्पष्ट आदेश इलेक्शन कमीशन दे चुका है औऱ चाइल्ड वेलफेयर, नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स ने भी इस पर बड़ी स्पष्ट अपनी बात कही हुई है कि बच्चों को प्रचार में नहीं डालना चाहिए ये एक बहुत गलत सिस्टम है और इसका हम विरोध करने के लिए आए हैं। हम उम्मीद करते हैं, क्योंकि इसमें कोई साधारण व्यक्ति इंवॉल्व नहीं है, बल्कि भारत के प्रधानमंत्री महोदय स्वयं इसमे इंवॉल्व हैं और वो वीडियोज़ हमने इलेक्शन कमीशन को दिखाए।
तो हम उम्मीद करते हैं कि जैसे इलेक्शन कमीशन ने हमसे कहा कि वो इस पर ध्यानपूर्वक विचार करेंगे, आपस में चर्चा करेंगे और इस पर फिर वो कोई दूरगामी निर्णय कर पाएंगे और हमको वो उसकी सूचना फिर देंगे।
श्रीमती रजनी पाटिल ने कहा कि देखिए, ऐसा है कि इस देश में जब एक बार नारा दिया जाता है कि बच्ची पढ़ेगी और बच्ची आगे जाएगी, तब दूसरी तरफ वही बच्ची को चुनाव के प्रचार-प्रसार में इस्तेमाल किया जाता है, हम सब इसका विरोध करते हैं। जब उसका इस्तेमाल करके हमारी जैसी माँओं को बहुत दिल दुखता है और जब इंस्टीट्यूशन का सवाल आता है, तो इंस्टीट्यूशन के ऊपर हम न्याय मांगने के लिए आते हैं। तो इंस्टीट्यूशन के खरा उतरने का सवाल है कि जो इंस्टीट्यूशन से हम न्याय मांगने के लिए आए हैं, तो आज उनको सिद्ध करना है कि जब मूलभूत न्याय है, जो बच्चों को इस्तेमाल करना है कि नहीं? जो डेमोक्रेसी है और जो चाइल्ड राइट कमीशन है, उस चाइल्ड राइट कमीशन के अनुसार उनको इस्तेमाल करवाने देना है या नहीं, ये मूलभूत सवाल है।
हमारे छोटे-छोटे बच्चे, जिनका खेलने का,जहाँ पर पढ़ाई करने का, जब आज उनकी जिंदगी का सवाल है, तब उनको इलेक्शन के प्रचार-प्रसार में लगाते हैं, ये इन्होंने बहुत घिनौनी हरकत की है, उसका हम धिक्कार भी करते हैं और उनके लिए न्याय मांगते हैं।
श्रीमती रंजीत रंजन ने कहा कि बहुत गंभीर मुद्दा है। गंभीर मुद्दा इसलिए है कि एक तरफ हम लोग चाइल्ड प्रोटेक्शन की बात करते हैं, दूसरी तरफ हमारे प्रधानमंत्री, हमारे देश के प्रधानमंत्री, जिनकी जिम्मेदारी है, पूरे देश को प्रोटेक्शन देने की, खासकर बच्चों को प्रोटेक्शन देने की, बुजुर्गों को प्रोटेक्शन देने की। प्रधानमंत्री के साथ बाकायदा एक छोटी बच्ची है, 21 तारीख को बाकायदा बीजेपी का मफलर लगाए हुए इलेक्शन के टाइम में। अगर आप उसके गुजराती में शब्द सुनें, तो वो प्रॉपरली रटकरआई है और बता रही है कि बीजेपी की क्या-क्या अचीवमेंट है। मुझे लगता है कि ये बहुत ही गंभीर मुद्दा है, चाइल्ड प्रोटेक्शन केलिए भी कि क्या प्रधानमंत्री एक उदाहरण बन रहे है।
तो इलेक्शन कमीशन को इसमें बहुत ही गंभीरता से नोटिस लेना चाहिए और इस पर अगर प्रधानमंत्री एक बच्चे का इस तरह इलेक्शन में फायदा उठा रहे हैं और इसका अगर नोटिस नहीं लिया जाता है, तो मुझे नहीं लगता कि पूरे देश में हम एक तरफ चाइल्ड के प्रोटेक्शन की बात करते हैं, बच्चों को फ्रीडम और हंसने खेलने की बात करते हैं, दूसरी तरफ प्रधानमंत्री ये उदाहरण दे रहे हैं कि इलेक्शन में आप छोटे-छोटे बच्चों को भी यूज करो, तो ये बहुत गंभीर मुद्दा है। अब ये देखना है कि इलेक्शन कमीशन के अलावा हमारा जो नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स है, क्या नोटिस लेता है और इस पर क्या प्रक्रिया होती है और इस पर क्या एक्शन लिया जाता है। ये सिर्फकांग्रेस का नहीं, ये हमारे छोटे-छोटे बच्चों के प्रोटेक्शन की बात है और दूसरी तरफ, उस प्रोटेक्शन और उस कानून के साथ खिलवाड़ कौन कर रहा है- वो हमारे प्रधानमंत्री हैं। ये बहुत ज्यादा अनफॉर्चुनेट है।