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दिल्ली राजनीतिक राष्ट्रीय वीडियो

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने आज आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में क्या कहा, सुने इस लाइव वीडियो में।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि कल आप लोगों ने, कईयों ने काफी कोशिश की थी ये जानने की कि क्‍या अविश्‍वास प्रस्‍ताव हम लोग लेकर आएंगे या नहीं? नियम और कायदा ये कहता है कि जब तक अविश्‍वास प्रस्‍ताव या किसी भी प्रस्‍ताव का अधिकृत तौर के ऊपर नोटिस न दे दिया जाए, तो उसके बारे में चर्चा करना उचित नहीं रहता और इसीलिए कल हमारे हाथ बंधे हुए थे। ये जो अविश्‍वास प्रस्‍ताव आज नियम 198 के तहत लाया गया है, ये महज कांग्रेस का अविश्‍वास प्रस्‍ताव नहीं है। ये इंडिया के जितने घटक दल हैं और मैं इस बात को दोबारा से दोहराना चाहता हूं कि इंडिया के जितने घटक दल हैं, उन सबकी तरफ से सामूहिक तौर के ऊपर ये प्रस्‍ताव लाया गया। This no-confidence motion has not been brought by the Indian National Congress alone, it is a collective motion of the entire INDIA alliance. All the constituent parties of the INDIA alliance are a party to this no-confidence motion. I think there is a reason to make this explicit.

इस अविश्‍वास प्रस्‍ताव को लाने के पीछे हमारी मंशा क्‍या थी? या ऐसी जरूरत क्‍यों आन पड़ी कि सामूहिक विपक्ष को ये अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाना पड़ा और उसका कारण बड़ा साफ है, उसका उल्‍लेख मैंने कल भी बहुत विस्‍तृत तौर पर किया था कि पिछले 83-84 दिन से, जिस तरह की मणिपुर में परिस्थिति बनी हुई है कि वहां पर जो कानून व्‍यवस्‍था है, वो पूरी तरह से चरमरा चुकी है। वहां पर कौमों के बीच विभाजन हो गया है, वहां पर सरकार नाम की कोई चीज नहीं रह गई है, वहां पर जो राज्‍यपाल है, उनका जो उत्तरदायित्‍व बनता है कि इस परिस्थिति को लेकर जो संविधान में धाराएं हैं, उनका इस्‍तेमाल किया जाना चाहिए… ये जो सारे तथ्‍य हैं, इन तथ्‍यों ने हमको मजबू‍र किया कि हम केन्‍द्र सरकार के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव लेकर आएं।हम ये क्‍यों मांग कर रहे थे, निरंतर और लगतार हम ये क्‍यों मांग कर रहे थे कि प्रधानमंत्री जी को दोनों सदनों के समक्ष आकर एक विस्‍तृत ब्‍यौरा देना चाहिए कि मणिपुर में जो परिस्थिति है, वो इस मकाम पर क्‍यों पहुंची? उसका सीधा-सीधा कारण ये है कि ऐसे बहुत सारे सवाल हैं, जिन सवालों का जवाब सिर्फ सरकार का शीर्ष नेतृत्‍व दे सकता है।
गृह मंत्री ने, जो सदन में, राज्‍यसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं और कांग्रेस पार्टी के अध्‍यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे जी हैं, उनको खत लिखा, जो सार्वजनिक हुआ। लोकसभा में जो विपक्ष के नेता हैं अधीर रंजन चौधरी, उनको खत लिखा, जो भी सार्वजनिक किया गया और सरकार ने ये कहा कि हम चर्चा करने के लिए तैयार हैं। तो हम सरकार से निरंतर और लगातार ये पूछते रहे कि अगर आप चर्चा के लिए तैयार हैं और प्रधानमंत्री इस बात को सदन के बाहर कह चुके हैं कि मणिपुर की जो घटनाएं हैं, वो शर्मनाक हैं, उससे सभी 140 करोड़ देशवासियों का जो सिर है, वो शर्म से झुकता है। तो उनको सदन में आकर बयान देने में क्‍या हिचकिचाहट है, क्‍या संकोच है? और यही कारण है कि भारत के उत्तर-पूर्व की जो बहुत ही संवेदनशील परिस्थिति है, सरहद के राज्‍य हैं,पड़ोसी देश लगते हैं उन राज्‍यों के साथ, वहां पर अस्थिरता अगर फैलती है तो उसके दूरगामी राष्‍ट्रीय सुरक्षा के ऊपर नकारात्‍मक प्रभाव पड़ते हैं और ये कारण है कि हम लोग चाहते थे और अभी भी चाहते हैं कि प्रधानमंत्री को इस अविश्‍वास प्रस्‍ताव का विस्‍तृत जवाब देना चाहिए।
आज हमारी आपके माध्‍यम से मांग क्‍या है – आपके माध्‍यम से हमारी ये मांग है कि नियमावली के अनुसार लोकसभा अध्‍यक्ष के अधिकार क्षेत्र में ये बात है कि जब अविश्‍वास प्रस्‍ताव को मंजूर कर लिया जाता है, उसके 10 दिन में सदन में उसके ऊपर चर्चा हो सकती है, पर लोकसभा की मर्यादा और परंपरा ये रही है कि जब भी ऐसा अविश्‍वास प्रस्‍ताव आता है और विपक्ष की तरफ से ये कहा जाता है कि सरकार में या सरकार इस सदन का विश्‍वास खो बैठी है, तो बाकी सारे कामों को शिथि‍ल करते हुए, बाकी सारे काम-काज को शिथि‍ल करते हुए लोकसभा अध्‍यक्ष को प्राथमिकता के ऊपर कल ही इस अविश्‍वास प्रस्‍ताव के ऊपर चर्चा आरंभ करनी चाहिए, ये हमारी मांग है, क्‍योंकि जब सदन के समक्ष ये बात रखी जाती है और 100 से अधिक सांसद उठकर उसका अनुमोदन करते हैं कि हमारा सरकार में विश्‍वास नहीं है, तो और कोई काम-काज चले और कोई जो विधेयक है, वो पारित हो या और कोई सदन की कार्रवाई हो, वो हमारे लिहाज से पूरी तरह से अनुचित है और इसलिए हमारी दो टूक, घटक दल हैं इंडिया के, उनकी सामूहिक मांग है कि बाकी सारे काम-काज को एक तरफ रखते हुए, कल ही इस अविश्‍वास प्रस्‍ताव के ऊपर, प्राथमिकता के ऊपर चर्चा होनी चाहिए।मुझे लगता है कि हमने ये कोशिश की है कि हमारी जो मंशा थी, जो हमारी मजबूरी थी कि हमको क्‍यों ये अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाना पड़ा, उसका पूरा ब्‍यौरा हमने आपके समक्ष रखा है।

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