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लाइव वीडियो सुने: भारत में पिछले 8 साल से डर का माहौल, नफरत और हिंसा फैलाई जा रही है-राहुल गांधी

अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
जयराम रमेश ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सबका इस प्रेसवार्ता में स्वागत है। ये राहुल जी की छठी प्रेसवार्ता है पिछले 71 दिनों में। मैं इसको दोहरा रहा हूं, आप जानते हैं क्यों दोहरा रहा हूं। छठी प्रेसवार्ता 71 दिनों में। तो आज प्राथमिकता मराठी मीडिया को दी जाएगी, उसके बाद हिंदी मीडिया से सवाल लिए जाएंगे और अंत में अंग्रेजी से भी सवाल लिया जाएगा।

भाजपा द्वारा भारत जोड़ो यात्रा की जरुरत पर उठाए एक प्रश्न के उत्तर में राहुल गांधी ने कहा कि तो आपने कहा कि भारत जोड़ो की क्या जरुरत अगर भारत टूटा ही नहीं। देखिए , भारत में पिछले 8 साल से डर का माहौल, नफरत और हिंसा फैलाई जा रही है। शायद बीजेपी के नेता हिंदुस्तान के किसान से बात नहीं करते हैं। हिंदुस्तान के युवाओं से बात नहीं करते हैं, क्योंकि अगर वो उनसे बात करते तो उनको पता लगता कि हिंदुस्तान के किसान को, हिंदुस्तान के युवा को सामने का रास्ता नहीं दिख रहा है। बेरोजगारी फैल रही है, महंगाई फैल रही है, किसान को सही दाम नहीं मिल रहा है, तो इस माहौल के खिलाफ खड़े होने के लिए हमने ये भारत जोड़ो यात्रा शुरु की है। ये भारत जोड़ो यात्रा कन्या कुमारी से श्रीनगर तक जाएगी और अगर लोगों को नहीं लगता कि इस यात्रा की जरुरत है, तो इस प्रकार लाखों लोग बाहर नहीं निकलते।

एक अन्य प्रश्न पर कि इस यात्रा के बाद कांग्रेस पार्टी का क्या एजेंडा रहेगा? राहुल गांधी ने कहा कि ये आपको कांग्रेस प्रेसिडेंट खरगे जी से पूछना पड़ेगा। He is now the President of the Congress Party and he is the person who is going to give direction. मेरा लक्ष्य भारत जोड़ो यात्रा पर है। अब ये इसमें दो-तीन महीने और लगेंगे, तो मेरा पूरा का पूरा फोकस इस यात्रा पर है और बहुत अच्छा लग रहा है मुझे। क्योंकि बहुत सीखने को मिल रहा है, बहुत लोगों से समझने को मिल रहा है और बहुत प्यार मिल रहा है। वर्ष 1933 में अकोला में ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आने के 89 साल बाद उसी दिन राहुल गांधी के अकोला में आने में क्या कोई प्लानिंग है, के बारे में पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में राहुल गांधी ने कहा कि नहीं कोई प्लानिंग नहीं। ये पॉजिटिव बात है, प्लान तो नहीं है, मगर महात्मा गांधी से हमारी तुलना करना ठीक नहीं है। ये कंपेरिजन मत कीजिए, मतलब ये गलत कंपेरिजन है। He is Mahatma Gandhi, उन्होंने ने देश को रास्ता दिखाया, महात्मा गांधी ने अपनी पूरी जिंदगी देश के लिए लड़ने में लगा दी, तो कोई कंपेरिजन नहीं है।

विपक्ष द्वारा भाजपा का पूरी तरह से मुकाबला न किए जाने के दावे को लेकर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में राहुल गांधी ने कहा कि नहीं, देखिए ये जो लड़ाई है, इसको सबसे पहले ठीक तरीके से समझना है। आम तौर से क्या होता है, लोकतंत्र में एक पॉलिटिकल पार्टी दूसरी पॉलिटिकल पार्टी से लड़ती है और जो युद्ध का मैदान होता है, उसको जो देश के इंस्टिट्यूशन होते हैं, वो उस युद्ध के मैदान में फेयरनेस क्रिएट करते हैं। आज क्या है कि ये एक राजनीतिक पार्टी और दूसरी राजनीतिक पार्टी के बीच में लड़ाई नहीं है और सिर्फ कांग्रेस की बात नहीं कर रहा हूं। एक तरफ हिंदुस्तान के सारे इंस्टीट्यूशन्स खड़े हैं। बोलना नहीं चाहिए, मगर विपक्ष का प्रेस पर तो कंट्रोल नहीं है, प्रेस पर तो कंट्रोल नहीं है। तो बीजेपी का प्रेस पर कंट्रोल है, इंस्टीट्यूशनल स्ट्रक्चर पर कंट्रोल है, ज्यूडिशियरी पर प्रेशर डालते हैं। तो यह परसेप्शन सच परसेप्शन नहीं है। ये परसेप्शन सुपर फिशियल, ऊपर का परसेप्शन है, मगर अगर आप नीचे जाएं और जनता से पूछें, तो आपको बहुत एकदम दिख जाता है कि जनता क्या कह रही है और ऊपर परसेप्शन क्या बन रहा है, उसमें फर्क है। देखिए, हमने ये सब एवेन्यू ट्राई किए, प्रेस की एवेन्यू ट्राई की। हमने पार्लियामेंट में अपनी बात रखने की कोशिश की, सिर्फ मैंने नहीं, सिर्फ कांग्रेस पार्टी ने नहीं, विपक्ष की सब पार्टियों ने। जब हम वहाँ कुछ बोलने की कोशिश करते हैं, चाहे वो नोटबंदी की बात हो, चाहे वो जीएसटी की बात हो, चाहे वो चीन की बात हो, वो माइक ऑफ हो जाता है। तो यात्रा हमने इसलिए चालू की के हमें और विपक्ष को कोई और रास्ता ही नहीं बचा है।

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री राहुल गांधी ने कहा कि सबसे बड़े मुझे दो प्रॉब्लम दिख रहे हैं। एक प्रॉब्लम है कि युवा को ये भरोसा नहीं है कि उसे रोजगार मिल सकता है, चाहे वो कुछ भी पढ़ ले, किसी भी यूनिवर्सिटी में चला जाए, सर्टिफिकेट मिल जाए, मगर वो आपको गारंटी करके ये नहीं कह सकता कि अगर मैंने इंजीनियरिंग की ट्रेनिंग की है, तो मैं इंजीनियर बनूंगा या मजदूरी करुंगा और ये यूनिवर्सल है, मतलब मुझे जो पढ़ाई कर रहे हैं, उनमें से मुझे एक युवा नहीं मिला जिसने कहा कि हां, मुझमें कॉन्फिडेंस है कि मुझे रोजगार मिल जाएगा। तो ये पहला बड़ा मुद्दा है। उसको अगर आप गहराई से देखें, तो उस युवा के माता-पिता ने मेहनत करके उसकी शिक्षा के लिए पैसा मोस्टली प्राइवेट प्लेयर्स को दिया है, प्राइवेट इंस्टिट्यूशन को दिया है। एक तरफ वो दिनभर काम करते हैं, दूसरी तरफ महंगाई बढ़ती जा रही है और तीसरी तरफ उनका भविष्य है, उनका जो बेटा हो, उनकी बेटी हो उसका रास्ता बंद है, तो पहली प्रॉब्लम है। दूसरी प्रॉब्लम किसानों की प्रॉब्लम है। जो देश को भोजन देता है, जो प्रोडक्टिव एलिमेंट हैं हिंदुस्तान के, उसको कोई सपोर्ट नहीं, उसको कोई मदद नहीं है, उसको सही दाम नहीं मिलता। वो बीमा भरता है, उसको जब आंधी आती है, तूफान आता है, उसको मतलब पैसा नहीं मिलता है, कर्जा माफ उसका कभी नहीं होता, तो ये दो बड़े मुद्दे, बड़े प्रॉब्लम दिख रहे हैं और तीसरा जो है जुड़ा हुआ है कि सब लोग ये कहते हैं कि अगर शिक्षा से, शिक्षा में हमें पैसा देना पड़ रहा है, अस्पतालों के लिए हमें पैसा देना पड़ रहा है, सरकारी अस्पताल नहीं बचे, सरकारी स्कूल-कॉलेज नहीं बचे। महाराष्ट्र में तो स्कूलों को बंद किय़ा जा रहा है। 20 बच्चों से अगर कम हैं, तो उनको बंद ही किया जा रहा है। तो वो कह रहे हैं भईया अगर हम ये पैसा डाल रहे हैं, तो ये जा कहाँ रहा है, किसके हाथ जा रहा है, तो वो इनइक्वेलिटी की बात है और सबको मालूम है। मैं किसानों से पूछता हूं भईया एक बात बताओ, आपका ये गैस सिलेंडर महंगा हुआ, पेट्रोल का दाम बढ़ा, आपकी जेब में से पैसा जा रहा है, ये जा कहाँ रहा है? इमिजेटली अंसर मिलता है, सब जानते हैं।वीडी सावरकर के संदर्भ में पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में राहुल गांधी ने एक कागज दिखाते हुए कहा कि ये मेरे लिए सबसे जरुरी डॉक्यूमेंट है, ये देखा आपने और इसमें आप देख लीजिए ये सावरकर जी की चिट्ठी है, जिसमें उन्होंने अंग्रेजों को लिखा है और पूरी चिट्ठी आपको पढ़नी होगी, देख लीजिए, मैंने हाईलाइट भी कर रखी है। मगर मैं सिर्फ आखिरी लाइन पढ़ना चाहता हूं। अंग्रेजी में लिखी है तो मैं अंग्रेजी में बोल देता हूं – I beg to remain, Sir; your most obedient servant, VD Savarkar. हिंदी में ट्रांसलेशन कर देता हूं, सर मैं आपका नौकर बनकर रहना चाहता हूं। ये मैंने नहीं लिखा, ये सावरकर जी ने लिखा है। ये आप पढ़ लीजिए, देख लीजिए। अगर फडणवीस जी देखना चाहते हैं इसको वो भी देख लें। तो मैं तो इसमें बहुत क्लीयर हूं। तो सावरकर जी ने अंग्रेजों की बहुत मदद की। एक अन्य प्रश्न पर कि बीजेपी की तरफ से कहा जा रहा है कि भारत जोड़ो यात्रा को रोकना चाहिए,राहुल गांधी ने कहा कि रोक दीजिए। कोई प्रॉब्लम नहीं है, रोक दीजिए। देखिए, किसी का कोई विचार हो, उसको रखना चाहिए और अगर सरकार को लगे कि भारत जोड़ो यात्रा को रोक देना चाहिए, तो रोकने की कोशिश कीजिए, करिए। क्या राहुल गांधी कांग्रेस की ओर से वर्ष 2024 में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे, एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री राहुल गांधी ने कहा कि ये आपका डिस्ट्रैक्टशन करने का बहुत अच्छा तरीका है। हमारा काम भारत जोड़ो यात्रा का काम है, हमें भारत को जोड़ना है। इस सवाल के बारे में हम सोच ही नहीं रहे हैं। हमने ये कन्याकुमारी से शुरु किया है, हम श्रीनगर तक जाएंगे और वहाँ पर हम तिरगें को लहराएंगे। ये हम कर रहे हैं और ये हमारी तपस्या है और किसी चीज के बारे में हम नहीं सोच रहे हैं।एक अन्य प्रश्न पर इस बार के विधानसभा चुनाव में आपकी एक-दो ही रैली हैं गुजरात में, ऐसा क्यों? श्री राहुल गांधी ने कहा कि जैसे मैंने अभी बोला, हमने सितंबर में भारत जोड़ो यात्रा शुरु की। हम इस यात्रा को श्रीनगर तक ले जाएंगे और किसी भी कीमत पर इस यात्रा को हम पूरा करना चाहते हैं। मगर अगर कांग्रेस प्रेजिडेंट कहेंगे कि हमें गुजरात जाना है, तो हम जाएंगे। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री राहुल गांधी ने कहा कि यात्रा एक सोच है। एक काम करने का तरीका है, एक कह लो कि इमेजीनेशन है, तो मुझे और हम सबको लगा था कि जो बीजेपी की अप्रोच है, नफरत से भरी, डरी हुई, हिंसा फैलाने वाली अप्रोच। उन्होंने हिंदुस्तान को एक इमेजिनेशन दिया है कि देखो ये रास्ता है। देश में नफरत फैलाओ, लोगों को डराओ, गरीबों को कुचलो, उन्होंने ये रास्ता दिया है। यात्रा की कोशिश है और ये यात्रा इसमें सफल हो गई है। यात्रा की कोशिश है कि देश को बताना कि देखिए, सिर्फ ये तरीका नहीं है, एक और तरीका है। जयराम रमेश जी ने कहा कि हमने प्रेस से 6-7 बार कहा, आपने अभी कहा कि बीजेपी के किसी नेता ने कहा कि यात्रा को रोक देना चाहिए। मैंने यहाँ ये तो नहीं कहा कि बिल्कुल वो गलत बोल रहा है, उसको चुप कीजिए, उसको मारिए, उसने कैसे बोल दिया, नहीं। मैं कह रहा हूं देखिए ये उसकी राय है। अगर वो सोचता है उसको रखें और अगर सरकार सोचती है कि इस यात्रा से देश को नुकसान हो रहा है तो रोक दो, कोई प्रॉब्लम नहीं है। ये काम करने का एक बिल्कुल अलग तरीका है। प्यार का तरीका, भाईचारे का तरीका, रिस्पेक्ट का तरीका। तो ये दो हमने विजन दिखाए है। अब यात्रा जो हमने की है, इसमें से पॉलिसी निकलती हैं। अगर वो कहते हैं कि भईया किसान को कुचल दो, किसान को सही एमएसपी मत दो, किसान को बीमा का पैसा नहीं मिलना चाहिए। तो इस यात्रा की इमेजिनेशन से एक तरीका और निकलता है, किसान की बात सुनो, किसान से गले लगो, किसान की इज्जत करो। तो इससे पॉलिसी भी निकलती है, इससे एक्शन भी निकलते हैं। अब कांग्रेस के सब लोगों को लग रहा है कि हां, भईया,चलने में फायदा है। राजनीतिक फायदा है, लोगों से बातचीत होती है, सीखने को मिलता है, प्यार मिलता है, वजन भी कम हो जाता है। तो अलग- अलग फायदे हैं, जो भी चाहता है, ले सकता है। मगर मेन मैं ये बात यहाँ कहना चाहता हूं कि ये दो अलग इमेजिनेशन हैं। एक बात मैंने यहाँ पर सावरकर जी की चिट्ठी दिखाई, एक वो इमेजिनेशन है और एक आपने पहले गांधी जी की बात की, वो दूसरा इमेजिनेशन है। तो देश में इन दो इमेजिनेशन की बात है। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में राहुल गांधी ने कहा कि देखिए, आप एक बात समझिए, ये मेरी राय है। ये मेरी राय है कि जब सावरकर जी ने ये चिट्ठी साइन की। गांधी जी, नेहरु जी, पटेल जी, ये सब सालों जेल में रहे, कोई चिट्ठी साइन नहीं की। मेरी सोच है कि जब सावरकर जी ने इस कागज पर साइन किया, तो उसका कारण क्या था- उसका कारण डर था। अगर वो डरते नहीं तो वो इसको कभी साइन नहीं करते और इस सिग्नेचर में धोखा था। जब उन्होंने ये साइन किया, वो हिंदुस्तान के जो सब नेता थे, महात्मा गांधी, सरदार पटेल, उन सबको उन्होंने धोखा दिया और कहा कि तुम गलत कर रहे हो, तुम्हें भी साइन कर देना चाहिए। तो ये दो विचारधारा हैं। हमारी पार्टी में हम डिस्कशन करने के लिए तैयार हैं। अगर कोई सोचे कि भईया यात्रा को ऐसे चलाना चाहिए हम प्यार से सुनते हैं। हम डिक्टेटर नहीं हैं यहाँ पर।एक अन्य प्रश्न पर कि आप जिस विचारधारा का विरोध करते हैं, तो कांग्रेस के कुछ विधायक दूसरी पार्टी में चले जाते हैं, क्या भारत जोड़ो यात्रा से इस समस्या का हल निकलेगा? राहुल गांधी ने कहा कि अभी-अभी मेरे साथ एक शिवसेना के एमएलए चल रहे थे, वो कह रहे थे 50 करोड़ रुपए उनको ऑफर किया था, वो नहीं गए, बहुत सारे और गए। तो एक प्रकार से अपोजिशन की सफाई भी हो रही है। जो भी करप्ट लोग हैं, जो 10 करोड़ के लिए, 15 करोड़ के लिए, 50 करोड़ के लिए बिक जाते हैं, वो बीजेपी में जा रहे हैं, अच्छी बात है। हिंदुस्तान में साफ सुथरे लोगों की कमी नहीं है, वो हमारे साथ आ जाएंगे।एक अन्य प्रश्न के उत्तर में राहुल गांधी ने कहा कि ये मैं आपको गिफ्ट दे देता हूं और आप सबको कॉपी चाहिए, तो सबको भिजवा देता हूं। एक मोहन भागवत जी को भी भिजवा दीजिए। सही बात है ना, सच्चाई ये है।विदर्भ के संदर्भ में पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में राहुल गांधी ने कहा कि आपने विदर्भ बोला। तो मैं विदर्भ के बारे में थोड़ा सा बोलना चाहता हूं। जब हम विदर्भ की बाउंड्री पर थे, तो हमारे लोगों ने कहा कि हमें वहाँ पर अंदर आने से पहले एक गीत सुनना है। आप थे वहाँ पर? नहीं आप नहीं थे वहाँ पर। गीत सुनना है, तो मैं वहाँ पर गीत सुन रहा था और मेरे दिमाग में सवाल था, जब वो गीत गा रहे थे, मुझे गीत बहुत अच्छा लगा और जब वो गा रहे थे, तो मेरे दिमाग में सवाल था कि महात्मा गांधी जी थे, वो वर्धा क्यों गए? मेरे दिमाग में सवाल था। कितनी जगह है हिंदुस्तान में, कितने स्टेट हैं, वो यहाँ क्यों आए? तो मेरे दिमाग में ये सवाल था, मैं सोच रहा था और फिर गीत के बाद वहाँ पर एक बड़ा सा आपने गेट लगा रखा था और गेट के जैसे ही मैं अंदर गया, 10 मिनट नहीं हुए, मुझे बात समझ आ गई कि कांग्रेस की जो आईडियोलॉजी है, वो एक्चुअली विदर्भ में है और जो नेचुरल कांग्रेसी होता है, वो सब विदर्भ में बैठे हैं। अब आपने बोला कि विदर्भ के किसानों की बात की, विदर्भ में ज्यादा मुश्किल है, मगर ये जो आपने मुद्दा उठाया है, ये सिर्फ विदर्भ का मुद्दा नहीं है, ये सारे हिंदुस्तान का मुद्दा है। विदर्भ में पानी की समस्या है, उसके बारे में कुछ किया जा सकता है। मगर जो हमारे प्रोड्यूसर हैं, जो खेती करते हैं, उनको प्रोटेक्शन देने की जरुरत है, उनकी रक्षा करने की जरुरत है। जैसे परिवार में कोई जो ब्रेड अर्नर होता है, वो जरुरी होता है, उसकी प्रोटेक्शन करने की जरुरत होती है, वैसे ही हमारा जो किसान है, वो देश को भोजन देता है। आजकल सरकार की मेंटेलिटी है, देखिए, हां भईया खेती कर रहा है, उसको छोड़ दो, करने दो। सही रेट मिले नहीं मिले, छोड़ दो। कर्जे माफी की जरुरत है, नहीं छोड़ो। ये एटीट्यूड बदलना पड़ेगा। उसको सेंटर में लाना पड़ेगा। कहना पड़ेगा नहीं, ये सबसे जरुरी चीज है और ये देश को भोजन देते हैं, ये 24 घंटे काम करते हैं और सरकार और देश का फर्ज बनता है कि वो इनकी रक्षा करें। अब रक्षा कैसे होगी – रक्षा उसको सही दाम देने से, हम न्याय योजना लाए थे, समझा दूं या आप जानते हैं उसके बारे में। हर महीने हिंदुस्तान के सबसे गरीब लोगों को डायरेक्ट बैंक अकाउंट में पैसा। 72,000 रुपए साल के, हर साल। तो उससे गरीब किसान के नीचे फ्लोर, फर्श बन जाएगा। उसके नीचे वो गिर ही नहीं पाएगा। तो नीचे आपने उसको मिनिमम पैसा दे दिया, कम से कम पैसा और साइड से आपने उसकी रक्षा की, आपने उसको जब उसका कर्जा ज्यादा हो जाए, आप सेंसेटिविटी से सुनो। आप उसकी बात समझो। जब उस पर प्रेशर आता है, आप उस प्रेशर को रिलीज करो। तो ये सब काम बहुत आसानी से किया जा सकता है। हमने यूपीए की सरकार में ये काम किया था और आप विदर्भ के किसान से पूछो, जब विदर्भ को दर्द हो रहा था, यूपीए ने एकदम यहाँ पर पैकेज दिया था।
एक अन्य प्रश्न पर कि उत्तर प्रदेश में आपकी पार्टी बहुत कमजोर होती जा रही है, आपकी यात्रा उधर से क्यों नहीं जा रही है? श्री राहुल गांधी ने कहा कि ये जो यात्रा है, इसका लक्ष्य कन्याकुमारी से कश्मीर तक जाने का है। तो ये यात्रा कश्मीर तक जाएगी और कन्याकुमारी से ये शुरु हुई है। अब मुझे पता नहीं, ये किसने बोल दी कि ये यात्रा उत्तर प्रदेश से नहीं निकलेगी, मुझे नहीं मालूम किसने बोला है, क्योंकि दिल्ली के बाद ये यात्रा उत्तर प्रदेश से निकलेगी। उत्तर प्रदेश से हरियाणा जाएगी, हरियाणा से पंजाब जाएगी, पंजाब से जम्मू जाएगी। तो पता नहीं मिस इन्फोर्मेशन कौन फैला रहा है, मगर ये यात्रा यूपी में जाएगी। एक मेरी एक्चुअली शिकायत है कि यूपी में थोड़ा और जाना चाहिए था। परंतु अगर हम थोड़ा और जाएंगे, तो वो रास्ता फिर ज्यादा लंबा हो जाएगा। इसलिए हमने यूपी में शायद दो-तीन डिस्ट्रिक्ट में जाएंगे, तीन, चार, पांच दिन जाएंगे।एक अन्य प्रश्न पर कि महाराष्ट्र की जो स्थिति है, क्या इस पदयात्रा से उस पर असर होगा? राहुल गांधी ने कहा कि नहीं, पार्टी की स्थिति कमजोर नहीं है। महाराष्ट्र में कांग्रेस की विचारधारा और ये मैंने जयराम रमेश जी से कहा, मैं आपको बताऊं, सबसे अच्छा रिस्पांस महाराष्ट्र में मिल रहा है। नेचुरल कांग्रेसी और मुझे मतलब ये बात बहुत समझने को मिली है। यहाँ पर नेचुरल कांग्रेस है। मतलब ये डीएनए है कांग्रेस का। तो यहाँ कांग्रेस पार्टी कमजोर बिल्कुल नहीं है। देखिए, फ्यूचर तो आप प्रिडिक्ट करते हैं, मैं तो करता नहीं हूं। मगर असर जरुर पड़ेगा, पॉजिटिव असर पड़ेगा।

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