अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
दिल्ली विधानसभा में आज पर्यावरणविद् स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा को भारत सरकार द्वारा भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग को लेकर रखे गए प्रस्ताव को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। सीएम अरविंद केजरीवाल ने इस प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि स्व. सुंदरलाल बहुगुणा ने भारत ही नहीं, पूरी दुनिया को अपने जल,जंगल और जमीन बचाने का विजन दिया कि अगर हमने पर्यावरण के साथ संमन्वय कर अपने जीवन को नहीं ढाला , तो यह सृष्टि नहीं बचेगी। हालांकि दिल्ली विधानसभा यह प्रस्ताव पारित कर रही है, लेकिन पूरे देश की यही चाहत है कि स्व. बहुगुणा को भारत रत्न से सम्मानित किया जाए। इसके लिए मैने प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा है। सीएम ने कहा कि मुझे खुशी है कि पक्ष और विपक्ष की पार्टियों ने मिलकर एक आवाज में इस प्रस्ताव को पारित किया है। मैं उम्मीद करता हूं कि केंद्र सरकार भी देश के लोगों की भावना के अनुसार स्व. सुंदरलाल बहुगुणा को भारत रत्न जरूर देगी।
दिल्ली विधानसभा का आज से दो दिवसीय सत्र की शुरूआत हुई। सत्र के पहले दिन गुरुवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली सरकार की तरफ से विधायक भावना गौड़ ने पर्यावरणविद् स्वर्गीय सुंदर लाल बहुगुणा को भारत सरकार द्वारा भारत रत्न से सम्मानित करने का प्रस्ताव रखा और इस प्रस्ताव को सदन में बैठे पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। इस दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रस्ताव में एक मामूली संशोधन का सुझाव दिया, जिसे विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने स्वीकार कर लिया और संशोधन के साथ इस ऐतिहासिक प्रस्ताव को पारित कर दिया।दिल्ली विधानसभा में सदन को संबोधित करते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने इस प्रस्ताव पर कहा कि सदन में बहुत से प्रस्ताव आए, लेकिन यह एक ऐसा प्रस्ताव है, जिसके ऊपर बात करते हुए, बोलते हुए बहुत गर्व महसूस हो रहा है और बहुत अच्छा लग रहा है। आज हम एक ऐसी महान शख्सियत की बात कर रहे हैं, जो एक बहुत विजनरी लीडर थे। 1960 और 1970 के दशक में कौन पर्यावरण की बात करता था? उन दिनों में कोई पर्यावरण की बात नहीं करता था, कोई पेड़ों की बात नहीं करता था। उस वक्त स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा ने न केवल अपने देश को, बल्कि पूरी दुनिया को एक ऐसा विजन दिया कि अगर हमने अपने पर्यावरण को बचाकर नहीं रखा, अगर हमने अपने जल, जंगल और जमीन को बचाकर नहीं रखा, अपनी नदियों को बचाकर नहीं रखा, अपने पेड़ों को बचाकर नहीं रखा और अगर हमने अपने जीवन को पर्यावरण के साथ समन्वय करके नहीं ढाला, तो यह सृष्टि नहीं बचेगी। उन्होंने यह विजन उस वक्त दिया था, जब कोई इसके बारे में चर्चा भी नहीं करता था। स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा इतने बड़े विजनरी लीडर थे। मात्र 13 साल की उम्र में उन्होंने सामाजिक काम करना शुरू कर दिया था। 13 साल की उम्र में तो हम आठवीं-नौवीं क्लास में हुआ करते थे। हमें शायद कुछ ज्यादा जानकारी भी नहीं होती होगी। बचपन से ही उन्होंने जो दलितों के खिलाफ छुआछूत होती है, उसके खिलाफ उन्होंने संघर्ष शुरू किया। दलितों के लिए उन्होंने हॉस्टल बनवाए। जैसे बाबा साहब डॉ. अंबेडकर ने दलितों को मंदिर में प्रवेश दिलवाने के लिए संघर्ष किया था, वैसे ही स्व. सुंदरलाल बहुगुणा ने भी दलितों को मंदिर में प्रवेश दिलाने के लिए आजीवन संघर्ष करते रहे। नशा बंदी के खिलाफ उन्होंने संघर्ष किया। कई सारी शराब की दुकानें बंद करवाईं। इसके लिए महिलाओं को एकत्रित किया और उन्होंने नशे के खिलाफ समाज के अंदर काफी प्रचार प्रसार किया।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आजादी की लड़ाई में उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। हमारे जो आजादी के दीवाने थे, उनके साथ मिलकर उन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ी और गांधीवादी जीवन उन्होंने बिताया। जैसा कि उनकी शादी विमला से हुई थी। उन्होंने शादी से पहले अपनी होने वाली पत्नी के सामने एक शर्त रखी थी कि मैं तभी शादी करूंगा, अगर आजीवन तुम मेरे साथ ग्रामीण इलाके में रहोगी और आश्रम में रहोगी। उनके चिपको आंदोलन के बारे में हम सब लोग जानते हैं। उन्होंने गांव-गांव में 5000 किलोमीटर की यात्रा की। उनके जीवन से भी और उनके जीवन के संदेश से भी, कई पीढ़ियों को प्रेरणा मिलती है। मुझे बेहद खुशी है कि इसी विधानसभा ने अभी कुछ दिन पहले उनको और उनके परिवार को बुलाकर सम्मानित किया था और उनके चित्र (पोर्ट्रेट) को विधानसभा में स्थापित किया। शायद पूरे देश में दिल्ली विधानसभा, अकेली विधानसभा है, जब मरणोपरांत उनके चित्र को इस विधानसभा में स्थापित किया गया है। हमने उनके पूरे परिवार को बुलाकर सम्मानित किया। सीएम ने आगे कहा कि आज हालांकि दिल्ली विधान सभा यह प्रस्ताव पारित कर रही है, लेकिन मैं समझ सकता हूं कि यह भावना और यह मांग पूरे देश की है। आज यह विधानसभा जो प्रस्ताव पारित कर रही है यह मांग पूरे देश की है और यह चाहत पूरे देश की है कि स्व. सुंदरलाल बहुगुणा जैसी महान शख्सियत को भारत रत्न से सम्मानित किया जाए। वैसे मैं तो समझता हूं कि अगर उन्हें भारत रत्न दिया जाता है तो भारत रत्न सम्मानित होगा। हमारे देश में परंपरा यह हो गई है कि किसी के मरणोपरांत हम देते हैं। मरने के बाद हमें उनकी याद आती है। यह बहुत अच्छा होता अगर वह जीवित होते और जीवित रहते हुए हम उन्हें भारत रत्न देते। मैने इस सिलसिले में प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा है कि स्व. सुंदरलाल बहुगुणा को भारत रत्न से नवाजा जाए। मुझे बेहद खुशी है कि आज पूरा सदन, सभी पार्टियां मिलकर, चाहे विपक्ष हो या विपक्ष हो, सभी मिलकर एक आवाज में एकमत होकर यह प्रस्ताव पास कर रहे हैं। मैं पूरी उम्मीद करता हूं कि केंद्र सरकार देश के लोगों की इस भावना के अनुसार स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा को भारत रत्न जरूर देगी। मैं इस प्रस्ताव को तहेदिल से समर्थन करता हूं और उम्मीद करता हूं कि स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा को भारत रत्न जरूर मिलेगा।
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