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अपराध हरियाणा

परिवहन प्राधिकरण कर्मियों से मिलीभगत से फर्जी कागजात तैयार कर बेचते थे चोरी के वाहन, 3 अरेस्ट, 14 लग्जरी कारें बरामद 

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
चंडीगढ़: हरियाणा की एसटीएफ ने परिवहन प्राधिकरण कर्मियों से मिलीभगत कर फर्जी कागजातों के सहारे वाहनों को बेचने वाले एक अंतर्राज्यीय ऑटो लिफ्टर गैंग पर ब्रेक लगाते हुए इस संबंध में महम परिवहन प्राधिकरण के दो कर्मचारियों सहित तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए आरोपितों के पास से करोड़ों रूपए की 14 हाई-एंड कारें भी बरामद की गई हैं।

आज यहां यह जानकारी देते हुए, डीआईजी एसटीएफ,  सतीश बालन ने बताया कि संगठित अपराध से निपटने के लिए स्थापित की गई एसटीएफ ने अब तक छह टोयोटा फॉच्र्यूनर, चार टोयोटा इनोवा, तीन महिंद्रा स्कॉर्पियो और एक ब्रिजा कार बरामद की हैं। एक आरोपी परवीन कुमार निवासी प्रेम नगर, दादरी को दिल्ली से चोरी हुई एक कार पंजीकरण संख्या एचआर-10-1616 के साथ गिरफ्तार किया गया है, जबकि शेष 13 वाहनों को एसटीएफ टीम ने विभिन्न स्थानों से बरामद किया हैं। महम अथोरिटी से जुड़े  दो  अन्य गिरफ्तार आरोपितों  की पहचान एमआरसी अनिल कुमार व कंप्यूटर ऑपरेटर सोमबीर के रूप में की गई है।
 आरोपितों ने खुलासा किया कि इस गिरोह के सदस्य चेसिस और इंजन नंबरों को बदल कर हरियाणा में परिवहन प्राधिकरण कर्मियों से मिलीभगत करके जाली दस्तावेजों के आधार पर वाहन पंजीकृत करवाकार बेच देते थे। बालन ने बताया कि जांच के दौरान,सोनीपत और महम प्राधिकरण के रिकॉर्ड हासिल किया गया, जिसके साथ अपराधियों  ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर विभिन्न प्राधिकरणों से 500 से अधिक वाहनों का पंजीकरण करवाना कबूल किया है। वाहन चोरी के इस संगठित गिरोह में शामिल अन्य लोगों की गिरफ्तारी के लिए छापे मारे जा रहे हैं और साथ ही चोरी के वाहनों की बरामदगी की जा रही है।अमित और रमेश जैसे कुछ मुख्य आरोपी जो चंडीगढ़ जेल में हैं, मुख्य आरोपी हैं और उन्हें 3 जुलाई को एसटीएफ द्वारा प्रोडक्शन रिमांड पर लाया जाना है। जांच के दौरान यह पता चला है कि अमित और रमेश मुख्य किंगपिन हैं जो गिरोह के साथ जुड़े हुए थे जिनसे उन्हें चोरी के वाहन मिले थे।

अभियुक्तों का विवरण

1 परवीन कुमार
चोरी के वाहनों की खरीद फरोख्त का काम करता है। जो चोरी की गाडियों के इंजन और चेसिस नंबर को बदलकर गाडी को अथोरिटी के कर्मचारियों से मिलीभगत करके खरीददार के नाम पर पंजीकृत करा देता था। उनके अन्य साथी पहले उन खाली नंबरों का पता लगाते थे जिनकी फाइलें और वाहन प्राधिकरण द्वारा नष्ट कर दिए गए हैं। उसके बाद, प्राधिकरण कर्मचारियों के साथ मिलकर वाहनों को पंजीकृत करवाकर इस काम को अंजाम देते थे।

2. अनिल कुमार (एमआरसी)
वह महम में एमआरसी क्लर्क के रूप में तैनात है और पंजीकरण प्रमाणपत्र, बैक लॉग एंट्री, डुप्लीकेट आरसी और ट्रांसफर आरसी का काम करता है। उसने नकली और जाली कागजात पर वाहनों के पंजीकरण के लिए परवीन कुमार, अमित, रमेश और अन्य के साथ अपने पद का दुरुपयोग किया, जिससे ऐसे वाहनों को ट्रेस करना लगभग असंभव हो गया था।

3. सोमबीर (कंप्यूटर ऑपरेटर)
वह महम कार्यालय में कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में तैनात है और वाहन चोरी के इस संगठित गिरोह में आरोपियों की मदद करता था। इस संबंध में एक मामला दर्ज किया गया है और इस मामले की गहन जांच की जा रही है।

4. अमित और रमेश जो चंडीगढ़ जेल में हैं

वे चुराए गए वाहनों को चोरों से प्राप्त कर रहे थे, और इंजन व चेसिस नंबर बदल कर मिलीभगत से अंजाम दे रहे थे।

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