संवाददाता, हैदराबाद : भारत ने हालांकि, स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में काफी प्रगति की है, यहां जीवन प्रत्याशा बढ़ी है लेकिन अभी भी देश को स्वास्थ्य के क्षेत्र में वैश्विक मानकों को हासिल करने के लिये लंबा रास्ता तय करना है। इनफोसिस के संस्थापक एन आर नारायण मूर्ति ने आज यह बात कही।
जैव-एशिया सम्मेलन में विश्व बैंक की रिपोर्ट का हवाला देते हुये नारायणमूर्ति ने कहा कि भारत में नवजात शिशु मृत्यू दर में हालांकि, कमी आई है लेकिन भारत ‘‘सहसत्राब्दि विकास लक्ष्यों’’ को हासिल नहीं कर पाया है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत में जीवन प्रत्याशा वर्ष 1960 में जहां मात्र 45 वर्ष थी वहीं 2010 में यह बढ़कर 67 वर्ष तक पहुंच गई। इस क्षेत्र में प्रगति हुई है लेकिन भारत अभी भी चीन और ब्राजील जैसे देशों के मुकाबले काफी पीछे है। इन देशों ने स्वास्थ्य क्षेत्र में काफी निवेश किया है।’’ मूर्ति ने कहा, ‘‘कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि भारत ने काफी प्रगति की है लेकिन अभी हमें हमारे पड़ौसी देशों और वैश्विक प्रतिस्पर्धियों के स्तर तक पहुंचने के लिये हमें लंबा रास्ता तय करना है।’’ उन्होंने कहा कि जहां तक कार्य प्रदर्शन की बात है दक्षिण भारत और उत्तर तथा उत्तर पूर्व भारत के राज्यों में इस मामले में भारी अंतर है। उन्होंने डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के बढ़ने पर भी चिंता जताई।
नारायणमूर्ति ने कहा, ‘‘जो चिंता की बात है वह यह है कि जन स्वास्थ्य जैसे मामले में हम श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे अपनी पड़ौसियों से भी पीछे रह गये हैं। विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक 1995 से 2015 के बीच भारत में नवजात शिशु मृत्यू दर में 25 अंक की कमी आई है।’’