अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
गुरुग्राम: हरियाणा रियल रेगुलेटरी (हरेरा) गुरुग्राम ने आज ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को गलत निर्माण करने के लिए 30 करोड़ 48 लाख रूपए का जुर्माना लगाया हैं। इस बिल्डर ने ढाई साल बीत जाने के बाद भी चालू परियोजना को पंजीकृत नहीं करवाया। यह वाणिज्यिक परियोजना की कीमत लगभग 300. 48 करोड़ रूपए हैं। इस बिल्डर के खिलाफ हरेरा अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई की गई हैं।
अधिकारी की माने तो चालू परियोजनाओं को पूरा करने का प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया हैं। उन्हें हरेरा अधिनियम के प्रारंभ होने की तारीख से तीन महीने के भीतर प्राधिकरण के पास पंजीकृत होना आवश्यक हैं। रियल एस्टेट (विनियमन और विकास ) अधिनियम, 2016, अपनी सम्पूर्णता में 1 मई 2017 को लागू हुआ और अपूर्ण परियोजनाओं के प्रोमोटरों को 31 जुलाई 2017 से पहले अपनी परियोजनाओं के प्रमोटरों को पंजीकृत करवाने की आवश्यकता थी। मेसर्स ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड ,सेक्टर -82 -ए ,गुरुग्राम में 9.5 एकड़ क्षेत्र में एक व्यावसायिक परियोजना को विकसित कर रहा हैं। परियोजना को विकसित करने के लिए प्रमोटर को लाइसेंस वर्ष -2008 में जारी किया गया था और 11 साल बीत जाने के वावजूद अभी तक साइट पर कुछ भी नहीं किया। वाणिज्यिक इकाइयों प्रमोटरों द्वारा बड़ी संख्या में खरीदारों को बेचा गया था और साइट पर वास्तव में कुछ भी नहीं हुआ।
script async src=”https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js”>
खरीदार अपने आपको प्रमोटरों ठगा हुआ महसूस कर रहे थे। प्रमोटर जबरन उन्हें किसी अन्य परियोजना में स्थान्तरित करने की कोशिश कर रहा हैं। जब यह मामला प्राधिकरण के संज्ञान लेते हुए प्रमोटर के खिलाफ कार्रवाई की और जब रिकॉर्ड की जांच की गई तो पाया गया कि बिल्डर कानून की पूर्ण अवहेलना कर हैं और निर्धारित समय में तथा उसके बाद भी ढाई साल बीत जाने के बाद भी चालू परियोजना को पंजीकृत नहीं करवाया गया। चुक करने वाले बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही हैं और उसी श्रृंखला में इस बिल्डर के खिलाफ जो भू -सम्पदा एक्ट के प्रावधानों को न मानने का अभ्यस्त हैं, एक अनुकरणीय दंड दिया गया हैं। इस मसले पर हरेरा के अध्यक्ष डा. के. के.खंडेलवाल ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि बिल्डर पर अधिकतम जुर्मना लगाने की जरुरत हैं। अनुमानित परियोजना लागत लगभग 300. 48 लाख रूपए हैं। और प्राधिकरण ने इस परियोजना की लागत का 10 प्रतिशत यानी 30. 48 करोड़ का अधिकतम जुर्माना लगाने का फैसला लिया हैं।