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फरीदाबाद

फरीदाबाद :देश में शिक्षा पद्धति गुणात्मक, संस्कारित होनी चाहिए, नैतिकता, देशभक्ति, समाज निर्माण जैसे गुण शामिल हों, सीएम


अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद:मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि देश में शिक्षा पद्धति गुणात्मक व संस्कारित होनी चाहिए, जिसमें नैतिकता, देशभक्ति, समाज निर्माण व जीवन मूल्यों जैसे गुण शामिल हों। बदलते दौड़ में शिक्षा पद्धति में भी बदलाव की काफी जरूरत महसूस होने लगी है। भारतीय शिक्षण मंडल भविष्य में शिक्षा व्यवस्था को स्वावलम्बी शिक्षा बनाने के उद्देश्य से लगातार प्रयासरत है।
मुख्यमंत्री शुक्रवार को एक्लोन इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्रोलॉजी, कबूलपुर के प्रांगण में भारतीय शिक्षण मंडल की ओर से आयोजित पूर्ण मंडल से स्वर्ण जयंती राष्टीय अधिवेशन में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए शिक्षाविद्धों को संबोधित कर रहे थे। यह तीन दिवसीय राष्टीय अधिवेशन 25 नवंबर तक आयोजित होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन बहुत ही पवित्र है, जिसे हम गुरूनानक पूर्णिमा के रूप में मना रहे हैं। इस वर्ष गुरूनानक जी का 550वां जयंती वर्ष भी पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय शिक्षा मंडल के सदस्य तीन दिन तक शिक्षा व्यवस्था के मुद्दे पर विचार विमर्श के लिए जिस स्थान पर एकत्रित हुए हैं, वह स्थान पवित्र यमुना नदी के किनारे स्थित है। उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यवस्था पर विचार-विमर्श होना जरूरी है। शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए हम इंफ्रास्ट्रक्चर तो बढ़ा देते हैं,परन्तु साथ ही जरूरत होती है वातावरण सुधारने की भी।
शिक्षा क्षेत्र में बड़े बदलाव के लिए समाज का योगदान भी अपेक्षित है। उन्होंने कहा कि आज जनता ने मौका दिया है तो उनका प्रयास है कि शिक्षा व्यवस्था को गुणात्मक बनाने की दिशा में अधिक से अधिक काम किया जाए । भौतिक विकास के साथ-साथ सामाजिक विकास भी जरूरी है। समाज में समय-समय पर अनेक परिवर्तन होते हैं, जिसमें शिक्षा की बड़ी भूमिका रहती है। राष्टीय स्वयं सेवक संघ भी समाज निर्माण व समाज उत्थान के क्षेत्र में अद्वितीय भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थान अब ज्ञान देने तक सीमित हो गए हैं,परन्तु जरूरत है कि ज्ञान के साथ-साथ गुणों से भरपूर शिक्षा दी जाए । गुणात्मक शिक्षा के बल पर ही समाज से अच्छे नागरिक निकलेंगे, जिससे समाज में भी स्वच्छता आएगी । ऐसी शिक्षा के बल पर गलत व्यक्ति की आंतरिक भावना भी जागेगी और वह भी गलत कार्य करने से हिचकिचायेगा। नैतिक व संस्कारित शिक्षा के बल पर ही भारत एक बार फिर विश्व गुरू बनने की राह की ओर अग्रसर है।

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