
अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद : पलवली हत्याकांड में नीमका जेल में बंद रहे आरोपी नन्द किशोर हुई मौत के दो दिनों के बाद आज आखिरकार गांव के ही अपने खेत में दाह संस्कार कर दिया गया। अदालत के आदेश पर नीमका जेल से पहुंचे दोनों बेटों में से बड़े बेटे धर्मेंद्र ने उनकी चिता में आग लगाईं।इस दौरान निकाली गई शव यात्रा में शहर के अलग -अलग हिस्सों से काफी तादाद में लोग शामिल हुए और उनके परिजनों को सांत्वना दी। इस दौरान थाना खेड़ीपुल के एसएचओ राकेश मलिक के नेतृत्व में कड़ी सुरक्षा ब्यवस्था किए गए थे।
मरने वाले नंद किशोर के दोनों बेटे धर्मेंद्र व प्रमोद को अदालत ने सिर्फ अपने पिता नन्द किशोर की चिता को आग लगाने की इजाजत दी थी और आग लगाने के बाद दोनों भाई धर्मेंद्र व प्रमोद आज ही शाम को जेल चले गए जबकि मौजीराम उम्र 80 साल व मृतक नन्द किशोर की पत्नी ओमवती 15 दिनों के जमानत पर पहुंचे हैं। इस गांव के पांच -सात घरो के लोगों को छोड़ कर तक़रीबन सभी घरों के लोग इस दुःख की घडी में शामिल हुए। जानकारी हेतु आपको बतादें कि गांव पलवली में पांच लोगों की सामूहिक हत्याकांड के आरोप में पूर्व सरपंच बिल्लू सहित कुल 27 लोग नीमका जेल में पिछले छह महीनों से बंद हैं जिनमें से एक शख्स नन्द किशोर थे जिनकी उम्र तक़रीबन 60 साल हैं।
परिजनों ने बताया कि बीते 16 मार्च को नन्द किशोर की नीमका जेल में अचानक तबियत खराब हो गई और वहां के डिस्पेंसरी में ईलाज के दौरान वहां के डॉक्टर ने एक इंजेक्शन लगा दिया ताकि उसकी तबियत ठीक हो जाए पर ऐसा नहीं हुआ बल्कि उनकी तबियत और जाएदा ख़राब हो गई और उन्हें जेल प्रशासन ने बी. के. अस्पताल में ईलाज के लिए भेज दिया जहां पर दो दिनों तक उनका ईलाज चला पर उनकी तबियत वहां पर और कहीं जाएदा ख़राब हो गई जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल में रैफर कर दिया और जहां पर उनकी ईलाज के दौरान मौत हो गई। खबर हैं कि उनके शव का पोस्टमार्टम दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को करवा दिया था पर कानूनी पछड़े के कारण उनकी डेड बॉडी को नहीं लाया जा सका था जिसके कारण आज दूसरे दिन गांव पलवली में अपने घर उनके डेड बॉडी को लाया गया । इसके बाद करीब आधे घंटे के बाद ही दाह संस्कार के लिए उनको ले जाया गया और वही के खेत में बड़े बेटे धर्मेंद्र ने उनकी चिता को आग के हवाले कर दिया।




