अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: गुरुकुल इन्द्रप्रस्थ मैनेजिंग कमेटी के महामंत्री एवं वरिष्ठ अधिवक्ता पं. ओ.पी. शर्मा ने आर्य प्रतिनिधि सभा के पदाधिकारियों द्वारा गुरुकुल की जमीन कब्जा करवाकर की जा रही अवैध वसूली के खिलाफ प्रदेशव्यापी आंदोलन छेड़ने का ऐलान किया है। प्रदेशव्यापी आंदोलन के तहत गांव-गांव, शहर-शहर जाकर आर्य प्रतिनिधि सभा के पदाधिकारियों द्वारा की जा रही लूट से आम जन को अवगत करवाया जाएगा। इस संदर्भ में वरिष्ठ अधिवक्ता ओ.पी. शर्मा ने गुरुकुल में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान जानकारी दी। इस अवसर पर उनके साथ गुरुकुल इन्द्रप्रस्थ प्रबंध समिति के सचिव जगदीश व सदस्य ऋषिपाल भी विशेष रूप से मौजूद थे।
पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए पं.ओ.पी. शर्मा ने कहा कि आर्य श्रेष्ठ स्वामी श्रद्धानंद ने व्यवस्था परिवर्तन व देश में आर्य पद्धति की अलख जगाने के उद्देश्य से इस पावन धरा पर गुरुकुल की स्थापना की थी। बाद में इस गुरुकुल में आजादी के दीवाने नेताजी सुभाष चंद्र बोस, शहीद-ए-आजम भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद के अलावा अन्य कई देश भक्तों ने भी शरण लेकर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका। करीब 215 एकड़ भूखंड पर स्थित इस पवित्र गुरुकुल पर कुछ भ्रष्ट किस्म के लोगों की नजर पड़ गई और वह इस गुरुकुल की जमीन को कब्जा करवाकर व किराये पर देकर अवैध वसूली करने के काम में लग गए।
अवैध वसूली कर रहे इन लोगों को एक गवर्नर का भी साथ मिला हुआ है। उनका कहना था कि अदालत द्वारा बनाई गई कमेटी ही किराये की वसूली कर सकती है, किन्तु यह लोग अवैध रूप से किराये की वसूली कर अपनी जेबें भरने में लगे हुए है। इतना ही नहीं अवैध तौर पर पट्टा देने के बाद ट्रांसफर फीस के नाम पर बमानी ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड से यह लोग करोड़ों रुपए चंदे के रूप में वसूल रहे है। उनका कहना था कि आर्य प्रतिनिधि सभा के कुछ पदाधिकारियों द्वारा की जा रही अवैध वसूली के खिलाफ प्रदेश स्तर पर आंदोलन चलाया जाएगा। गुरुकुल इन्द्रप्रस्थ मैनेजिंग कमेटी के पदाधिकारी उनके नेतृत्व में प्रदेशभर का भ्रमण करेगें और अवैध वसूली कर्ताओं का काला चिट्ठा आम प्रदेश वासियों के सामने खोलेगें। उनका कहना था कि उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ स्वामी श्रद्धानंद द्वारा स्थापित किए गए इस पावन गुरुकुल की धरोहर को बचाए रखने का है। साथ ही उन्होंने कहा कि गुरुकुल फाटक पर बनने वाले रेलवे ऊपरगामी पुल का नामकरण भी स्वामी श्रद्धानंद के नाम पर कराया गया है। जबकि आर्य प्रतिनिधि सभा के कुछ पदाधिकारी इस पुल के उपयोग में आने वाली जमीन की भी करोड़ों रुपए वसूलना चाह रहे थे।
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