अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान अपने 30 मिनट के बेहद प्रभावशाली भाषण में प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। वायनाड से सांसद निर्वाचित हुईं प्रियंका गांधी का संसद में यह पहला भाषण था। संसद की सुरक्षा में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि हमारे देश में संवाद और चर्चा की परंपरा हजारों साल से रही है। ये परंपरा हर धर्म, दर्शन ग्रंथों, वेदों और उपनिषदों में दिखती है। इसी परंपरा से हमारा स्वतंत्रता संग्राम निकला, जो अहिंसा और सत्य पर आधारित था। उसी आजादी की लड़ाई से एक आवाज उभरी, वह आवाज ही हमारे देश का संविधान है।
प्रियंका गांधी ने कहा, इस संविधान के निर्माण में कई नेता वर्षों तक जुटे रहे। हमारा संविधान इंसाफ, उम्मीद, अभिव्यक्ति और आकांक्षा की वो ज्योत है, जो हर हिंदुस्तानी के दिल में जल रही है। संविधान ने हर नागरिक को अधिकार दिया कि वो सरकार बना भी सकता है और सरकार बदल भी सकता है।संविधान न्याय, एकता और अभिव्यक्ति की आजादी का कवच है। दुःख की बात है कि सत्ता पक्ष ने बीते दस वर्षों में यह सुरक्षा कवच तोड़ने का प्रयास किया। संविधान में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का वादा है, इसे तोड़ने का काम शुरू हो चुका है।
लेटरल एंट्री और निजीकरण के जरिए आरक्षण को कमजोर करने का काम किया जा रहा है। अगर लोकसभा चुनाव के नतीजे ऐसे न आए होते तो संविधान को बदलने का काम शुरू कर दिया जाता। लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा को पता चल गया कि संविधान बदलने की बात देश में नहीं चलेगी। अपने जोरदार भाषण में प्रियंका गांधी ने उन्नाव रेप केस, आगरा में सफाई कर्मी अरुण वाल्मीकि की पुलिस द्वारा पीट-पीटकर हत्या करने जैसे मामलों का जिक्र करते हुए कहा कि संविधान ने ही पीड़ित परिवारों को न्याय के लिए लड़ने की हिम्मत दी है। उन्होंने कहा, संभल दंगे में मृतक दर्ज़ी के बेटे ने उनसे कहा कि वह डाक्टर बनकर अपने पिता को सपने को पूरा करेगा। यह आशा भी संविधान ने दी है। जातिगत जनगणना के मुद्दे पर सरकार की गंभीरता पर सवाल उठाते हुए प्रियंका गांधी ने कहा, जब चुनाव में पूरे विपक्ष ने जातीय जनगणना की आवाज उठाई, तब नरेंद्र मोदी जी कह रहे थे कि ये आपकी भैंस चुरा लेंगे, मंगलसूत्र चुरा लेंगे। उन्होंने कहा कि आज जनता की मांग है कि जाति जनगणना हो। इससे पता चलेगा कि किसकी क्या स्थिति है और फिर नीतियां उस हिसाब से बनेंगी।पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के योगदान को गिनाते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि जिनका नाम लेने से मोदी सरकार झिझकती है, उन्होंने ही एचएएल, ओएनजीसी, आईआईटी, आईआईएम और तमाम पीएसयू बनाए। उनका नाम पुस्तकों और भाषणों से मिटाया जा सकता है, लेकिन देश निर्माण में उनकी जो भूमिका रही, उसे कभी नहीं मिटाया जा सकता। उन्होंने आगे कहा कि इंदिरा गांधी जी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण कराया। कांग्रेस सरकारों में शिक्षा और भोजन का अधिकार मिला। आदिवासियों को जल-जंगल-जमीन का अधिकार मिला।उन्होंने आगे कहा कि सत्ता पक्ष के साथी पूछते हैं कि अतीत में क्या हुआ। सरकार वर्तमान की बात करे, देश को बताए कि वह क्या कर रही है। उन्होंने पूछा कि महिला आरक्षण का अधिनियम लागू क्यों नहीं किया जा रहा।
मोदी सरकार और उद्योगपति गौतम अडानी के बीच सांठगांठ को उजागर करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि सरकार सिर्फ अडानी के मुनाफे के लिए चल रही है। एक व्यक्ति को बचाने के लिए 142 करोड़ देश की जनता को नकारा जा रहा है। सभी व्यवसाय, संसाधन, पूरी दौलत, मौके एक ही व्यक्ति को सौंपे जा रहे हैं। इस सरकार ने संविधान द्वारा दिया गया आर्थिक न्याय का सुरक्षा कवच तोड़ दिया है। उन्होंने पूछा कि सरकार बेरोजगारी और महंगाई से जूझ रही जनता को क्या राहत दे रही है। उन्होंने कहा कि कृषि कानून बड़े-बड़े उद्योगपतियों के लिए बन रहे हैं। आज देश का किसान रो रहा है। सत्ता पक्ष की टोका टोकी पर पलटवार करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा, बैलेट पर चुनाव करवा लीजिए, बैलेट पेपर पर चुनाव होने से दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। आज सरकारों को पैसे के बल पर गिराया जा रहा है। भाजपा के पास वाशिंग मशीन है। जो भाजपा में जाता है, वो धुल जाता है। मोदी सरकार के विभाजन कारी एजेंडे पर हमला बोलते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि आज शक और घृणा के बीज बोए जा रहे हैं। एकता का सुरक्षा का कवच तोडा जा रहा है।प्रधानमंत्री सदन में संविधान की किताब को माथे से लगाते हैं। लेकिन जब मणिपुर, हाथरस और संभल में न्याय की गुहार उठती है, तो उनके माथे पर शिकन तक नहीं आती। वह समझ नहीं पाए हैं कि भारत का संविधान,संघ का विधान नहीं है। उन्होंने आगे कहा, पहले देश की जनता ने खुलकर सरकारों की आलोचना की, निडर होकर प्रदर्शन किए। लेकिन आज जनता को सच बोलने पर डराया और धमकाया जाता है। जांच एजेंसियों से छापेमारी करवाई जाती है,विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया जाता है। ऐसा डर का माहौल देश में अंग्रेजों के राज में था। जब गांधी की विचारधारा वाले लोग आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे और संघ की विचारधारा वाले लोग भय में रहकर अंग्रेजों के साथ सांठगांठ कर रहे थे। लेकिन भय फैलाने वाले हमेशा खुद भय का शिकार बन जाते हैं। आज मोदी सरकार चर्चा से डरती है, आलोचना से घबराती है। प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि पहले राजा भेष बदलकर लोगों के बीच आलोचना सुनने जाया करते थे। आज के राजा को भी भेष बदलने का बहुत शौक है। लेकिन उनमें न जनता के बीच जाने की हिम्मत है और न आलोचना सुनने की। उन्होंने आखिर में कहा कि ये देश भय से नहीं, साहस से ही चलेगा। ये देश कायरों के हाथों में ज्यादा देर तक कभी नहीं रहा, ये देश उठेगा, लड़ेगा और सत्य मांगेगा।
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