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कांग्रेस बोली- मोदी सरकार द्वारा लाया गया श्वेत पत्र फर्जी

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
नई दिल्ली:कांग्रेस ने मोदी सरकार द्वारा लाए गए श्वेत पत्र को फर्जी बताया है। सोमवार को आंकड़ों के साथ मोदी सरकार को घेरते हुए कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा अपनी जीडीपी ग्रोथ बढ़ी हुई दिखाने के लिए सीरीज बदली गई, पैमाना बदला गया। साजिश रचकर बनाए गए इन आंकड़ों के बावजूद भी मोदी सरकार की जीडीपी ग्रोथ रेट कांग्रेस सरकार के मुकाबले कम है। मोदी सरकार द्वारा खुद बनाए गए आंकड़े भी कांग्रेस सरकार का मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं। नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि मोदी सरकार अपना रिपोर्ट कार्ड नहीं दिखा रही, बल्कि दस साल पहले की सरकार का लेखा-जोखा लेकर आई है। मोदी सरकार अपने बनाए मानक पर कांग्रेस और भाजपा सरकार के दस साल के आंकड़े रखकर देख ले, इससे सच्चाई सामने आ जाएगी। लेकिन मोदी सरकार में ऐसा करने की हैसियत और हिम्मत नहीं है।

मोदी सरकार के श्वेत पत्र पर वित्त मंत्रालय से साजिशन वैधता ली गई। जिसमें वित्त मंत्रालय के अफसरों को खुद के किए गए कामों को नकारना पड़ा। तमाम साजिशों के बावजूद कांग्रेस सरकार के दस वर्षों की जीडीपी ग्रोथ रेट, भाजपा सरकार के दस वर्षों से कहीं अधिक थी। कांग्रेस सरकार में दस वर्ष की औसतन जीडीपी ग्रोथ 6.7 प्रतिशत थी और यह मोदी सरकार में 5.9 प्रतिशत है। श्रीनेत ने कहा कि मोदी सरकार में लोगों की आय घटी, उपभोग घटा, बेरोजगारी बढ़ गई, निवेश घटा, महंगाई बढ़ी और बचत खत्म हो गई। देश पर कर्ज बढ़ा, रुपया घटा, पेट्रोल और डीजल महंगा हुआ। आज बेरोजगारी सबसे बड़ी त्रासदी बन गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग गरीबी और कम आय से जूझ रहे हैं और इसलिए साबुन, तेल, मंजन इस तरह की चीजें नहीं खरीद पा रहे हैं। उत्पादन और सर्विसेज में रोजगार घटे हैं और मनरेगा पर ज्यादा खर्च करना पड़ा है। शिक्षा और स्वास्थ्य में कम पैसा खर्च हुआ। इसके साथ ही प्राइवेट निवेश भी गिरा। तीन साल से निरंतर एफडीआई गिर रहा है। कांग्रेस सरकार में पेट्रोल की कीमत 71 रुपये प्रति लीटर थी, वहीं मोदी सरकार में पेट्रोल की कीमत 96 रुपये प्रति लीटर के पार है। कांग्रेस सरकार में डीजल की कीमत 57 रुपये प्रति लीटर थी, वह आज 90 रुपये पर पहुंच गई है। कांग्रेस सरकार में एलपीजी सिलेंडर की कीमत 400 रुपये थी आज सिलेंडर की कीमत एक हजार रूपये के पास है। श्रीनेत ने कहा कि कोरोना आने से पहले हमारे देश की जीडीपी ग्रोथ आधी हो गई थी, जिसका कारण नोटबंदी और गलत जीएसटी थे। वर्ष 2016 के बाद 2019 में जीडीपी ग्रोथ 3.9 प्रतिशत पर आकर गिर गई थी, कोरोना का तब एक भी केस नहीं आया था, 45 वर्ष में सबसे ज्यादा तब बेरोजगारी थी। यह सरकार की विफल नीतियों का प्रमाण है, जिसका ठीकरा कोरोना पर नहीं फोड़ा जा सकता। आज भी हमारे देश की जीडीपी छह प्रतिशत के आसपास है, जबकि दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं कोरोना से उबरकर आगे बढ़ चुकी हैं। श्रीनेत ने आगे कहा कि कृषि क्षेत्र में नौकरियों का बढ़ना और मैन्युफैक्चरिंग व सर्विसेज में नौकरियां घटना, किसी भी बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं है। आज ज्यादा से ज्यादा लोग अब खेतिहर मजदूरी करने को मजबूर हैं। मोदी सरकार में मैन्यु फैक्चरिंग की औसतन ग्रोथ रेट छह प्रतिशत से कम रही है। कांग्रेस सरकार के समय इसकी जीडीपी में 17 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, जो अब 14 प्रतिशत रह गई है। इस सरकार में ग्रामीण श्रमिकों की आय सिर्फ एक प्रतिशत बढ़ी है। आज किसान दिन में सिर्फ 27 रुपये कमा रहा है। पिछले चार साल में 33 हजार छोटे-लघु-मध्यम उद्योग बंद हो गए हैं। आज जन्म ले रहे हर बच्चे के ऊपर एक लाख 13 हजार रुपये से ज्यादा का कर्ज चढ़ा दिया गया है। जो कर्ज कांग्रेस सरकार के दौरान केवल 58 लाख करोड़ रुपये का था, वह मोदी सरकार के दस सालों में 173 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का हो गया है। श्रीनेत ने कहा कि कांग्रेस सरकार में देश में लोगों की बचत जीडीपी की 23 प्रतिशत थी, वह मोदी सरकार में 19 प्रतिशत हो गई है। क्योंकि मोदी सरकार में लोगों की नौकरियां चली गई, महंगाई बढ़ी है और आय कम हुई है। लोग अपनी बचत से खर्च करने को मजबूर हैं। वर्ष 2004 से 2014 के बीच पब्लिक सेक्टर बैंक के एनपीए आठ लाख करोड़ थे, वह मोदी सरकार में 2014 से 2023 के बीच 55.5 लाख करोड़ हो गए हैं। वर्ल्ड बैंक का आंकड़ा कहता है कि वर्ष 2004 से 2014 के बीच में युवा बेरोजगारी 17.8 प्रतिशत पर थी और मोदी सरकार में यह करीब 25 प्रतिशत पर है। सीएमआईई का डाटा 44 प्रतिशत युवा बेरोजगारी बता रहा है। देश में 30 लाख सरकारी पद खाली पड़े हुए हैं। आईटी कंपनियों ने साल 2023 में दो लाख 60 हजार नौकरियां घटा दीं। श्रीनेत ने कहा कि मोदी सरकार की गारंटी मतलब जुमला है। भाजपा ने चुनाव से पहले गारंटी दी थी कि हर साल दो करोड़ रोजगार दिए जाएंगे, 15 लाख सबके खाते में आएंगे, 100 दिन में काला धन वापस आएगा, पेट्रोल-डीजल 35 रुपये लीटर मिलेगा। 2022 तक किसानों की आय दोगुनी होगी, 2022 तक पांच ट्रिलियन इकोनॉमी होगी, 2022 तक सभी के सिर पर छत होगी, 2022 तक 100 स्मार्ट सिटी बनेंगी। यह सब गारंटी जुमला साबित हुईं। मोदी सरकार कहती है कि 25 करोड़ लोगों को गरीबी सीमा से बाहर निकाला गया, ये सच है तो 80 करोड़ लोगों को मुफ्त में राशन क्यों दिया जा रहा है, देश भुखमरी इंडेक्स में 111वें स्थान पर क्यों है।

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