अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:कांग्रेस ने कहा कि भाजपा-आरएसएस के दबाव में ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने से रोका जा रहा है और यह वर्ग संघर्ष पैदा कराने की सोची-समझी साजिश है। नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय इंदिरा भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में पार्टी के मध्य प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, विधानसभा में विपक्ष के नेता उमंग सिंघार, विधायक फूल सिंह बरैया ने भाजपा-आरएसएस को दलित, बाबा साहेब अंबेडकर, आरक्षण और संविधान विरोधी बताते हुए कहा कि बिना देरी किए बाबा साहेब की प्रतिमा स्थापित होनी चाहिए।
मध्य प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी ने इस मुद्दे पर कांग्रेस के अधिकृत रुख को दोहराते हुए कहा कि प्रशासनिक स्वीकृति मिलने के बावजूद ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में मूर्ति न लगने देना आरएसएस की सोची समझी रणनीति है, जिसका उद्देश्य विवाद और वर्ग संघर्ष पैदा करना है। यह घटनाक्रम दर्शाता है कि भाजपा -आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के दलितों,बाबा साहेब अंबेडकर जी, आरक्षण और संविधान के खिलाफ हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि बाबा साहेब किसी एक वर्ग के नहीं हैं। जो अधिकार लोगों को मिले हैं, वह बाबा साहेब की देन हैं।प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने बताया कि बाबा साहेब की प्रतिमा स्थापित करने के लिए हाईकोर्ट की अनुमति ले ली गई थी। उसके बावजूद भाजपा-आरएसएस के दबाव में आकर यह प्रक्रिया रोकी गई, जो काफी चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि जो लोग प्रतिमा की स्थापना में रुकावट पैदा कर रहे हैं, उन्हें अपनी गलती के लिए माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी अंबेडकर जी की प्रतिमा की स्थापना के लिए कानूनी तथा राजनीतिक दोनों स्तरों पर लड़ाई लड़ेगी। वहीं उमंग सिंघार ने आरएसएस की सोच पर सवाल उठाते हुए कहा कि आज तक सरसंघचालक पद पर कोई दलित या आदिवासी नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा-आरएसएस राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले महान लोगों के विचारों को खत्म करना चाहते हैं। भाजपा देश में फूट डालो – राज करो नीति का पालन करते हुए सोची-समझी रणनीति के तहत देश का इतिहास बदलना चाहते हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी की सोच उन सभी नेताओं के विचारों से प्रेरित है, जिन्होंने देश बनाया। कांग्रेस नेताओं ने भोपाल में पत्रकार के साथ पुलिस द्वारा मारपीट और फिर पत्रकारों के थाने में धरना देने की घटना का भी उल्लेख किया और कहा कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला होना चिंतनीय व दुर्भाग्यपूर्ण है।
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