अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:उपराज्यपाल द्वारा सरकारी स्कूलों के शिक्षकों का मजाक उड़ाने पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कड़ी प्रतिक्रिया के साथ उनको जवाबी पत्र लिखा है और अपील करते कहा है कि आप दिल्ली के शिक्षकों के काम का माखौल न उड़ाएं। दिल्ली के शिक्षकों ने कमाल करके दिखाया है। वहीं, सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा है कि दिल्ली के टीचर्स, स्टूडेंट्स और पेरेंट्स ने पिछले सात सालों में कड़ी मेहनत कर शिक्षा व्यवस्था को सुधारा है। एलजी साहब को उनका अपमान करने की बजाय उनका हौसला बढ़ाना चाहिए।
अपने पत्र में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा है कि आपने गलत आंकड़ा दिया है कि सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या 16 लाख से घटकर 15 लाख रह गई है, जबकि 2015 से पहले 14.66 लाख बच्चे थे जो बढ़कर 18 लाख हो गए हैं। 2015 से पहले सरकारी स्कूल टेंट वाले स्कूल के नाम से मशहूर थे। पहले 75-80 फीसद बच्चे ही 50-60 फीसद नंबर के साथ पास होते थे, हमारी सरकार आने के बाद 99.6 फीसद तक बच्चे 95 से 100 फीसद नंबर के साथ पास हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र व एलजी के तमाम अड़चनों के बाद भी पिछले सात साल में दिल्ली की शिक्षा में ये सारे काम हुए हैं। अगर ये अड़चनें न लगाई जाती तो और अच्छा काम होता।
सरकारी स्कूलों में आए सुधारों की बदौलत आज शिक्षा में देश का नाम आगे बढ़ रहा है। दिल्ली के सरकारी स्कूल आज देश की शान हैं। इन्हें बदनाम करने के लिए आप जब झूठे तथ्यों का सहारा लेते हैं तो आपको यह शोभा नहीं देता। संविधान में एलजी की ज़िम्मेदारी क़ानून व्यवस्था ठीक करना है। आप क़ानून व्यवस्था ठीक कीजिए और हमें शिक्षा व्यवस्था ठीक करने दीजिए।डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने एलजी विनय सक्सेना द्वारा सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था में कई खामियां गिनाने का कड़ा विरोध करते हुए उनके सारे आरोपों को निराधार बताया है। डिप्टी सीएम ने शनिवार को पत्र के जरिए ही एलजी को जवान देते हुए कहा है कि आपके द्वारा शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नाम एक पत्र लिखा गया है। आप ने दिल्ली के शिक्षा विभाग के कामकाज की आलोचना करते हुए जो आँकड़े दिए हैं, वो झूठे हैं। दिल्ली के 60 हजार शिक्षक, 18 लाख बच्चे और उनके 36 लाख पैरेंट्स, जिन्होंने अपनी मेहनत से दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाया है. वे सभी आहत और अपमानित महसूस कर रहे हैं। आपको असत्य तथ्यों का सहारा लेकर इस तरह पूरी शिक्षा व्यवस्था को बदनाम नहीं करना चाहिए था। जैसे आप ने एक बहुत ही गलत तथ्य लिखा है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या सोलह लाख से घटकर पंद्रह लाख रह गई है। जबकि हकीकत यह है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में वर्ष 2015-16 (हमारी सरकार बनने के पहले वर्ष में छात्रों की संख्या 14 लाख 66 हजार थी जो अब बढ़कर 18 लाख हो चुकी है।
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