अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सिविल जज भर्ती 2022 में SC-ST अभ्यर्थियों के साथ हुए अन्याय पर सख़्त रुख अपनाते हुए नई संशोधित मेरिट सूची तैयार करने का बड़ा आदेश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि 191 पदों में से 121 ST पद खाली रह जाना ‘अत्यंत गंभीर’ मामला है, और चयन प्रक्रिया में गंभीर गड़ बड़ी हुई है। आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं विधायक डॉ. विक्रांत भूरिया ने इस फैसले को आदिवासी समाज की ऐतिहासिक जीत बताया।
उन्होंने कहा:
“121 में ZERO चयन के जिस अन्याय को हम पिछले कई दिनों से उठा रहे थे,
आज हाई कोर्ट ने भी उसी पर उंगली रख दी।
कोर्ट का यह आदेश हमारी लड़ाई की बड़ी जीत है—
और सिस्टम में बैठे भेदभाव पर करारा जवाब है।”
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कोर्ट ने क्या आदेश दिया?
• SC अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम 45% अंक मानकर नई सूची बने
• ST अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम 40% अंक मानें
• साक्षात्कार (इंटरव्यू) में न्यूनतम 20 अंकों तक छूट
• संशोधित मेरिट सूची अगली सुनवाई में कोर्ट में प्रस्तुत की जाए
• कोर्ट ने माना कि ST का एक भी उम्मीदवार चयनित न होना और 121 सीटें खाली रहना गंभीर है
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“हमारी लड़ाई सही थी—सिस्टम में गड़बड़ी थी” – डॉ. भूरिया
डॉ. भूरिया ने कहा कि कांग्रेस और आदिवासी समाज लगातार मांग कर रहे थे कि:
• Screening और Cut-off नियम आदिवासी युवाओं को बाहर रखने के लिए बनाए गए थे
• चार साल से एक भी ST युवा Mains तक नहीं पहुँच पाया
• Selection प्रक्रिया में संरचनात्मक भेदभाव साफ दिख रहा था
आज कोर्ट ने इन आशंकाओं को सही ठहराया है।
उन्होंने कहा:
“यह सिर्फ़ कानूनी जीत नहीं—यह न्याय, समानता और संवैधानिक अधिकारों की जीत है।
आदिवासी समाज की आवाज़ आखिरकार न्यायालय तक पहुँची है।”

