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जहां मानवता के कल्याण की बात होगी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानव दर्शन का सिद्धांत सदैव प्रासंगिक रहेगा-पीएम

अजीत सिन्हा / नई दिल्ली 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज, गुरुवार को नई दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में महान देशभक्त, बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी, उत्कृष्ट संगठन कर्ता व एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि ‘समर्पण दिवस पर पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और उनसे पंडित दीनदयाल उपाध्याय के आदर्शों एवं उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने का आह्वान किया। मोदी ने कहा कि हम जैसे-जैसे दीनदयाल जी के बारे में सोचते हैं, बोलते हैं, सुनते हैं, हर बार उनके विचारों में हमें एक नवीनता का अनुभव होता है। ‘एकात्म मानव दर्शन’ का उनका विचार मानव मात्र के लिए था। इसलिए जहां भी मानवता की सेवा का प्रश्न होगा, मानवता के कल्याण की बात होगी,पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के एकात्म मानव दर्शन का सिद्धांत सदैव प्रासंगिक रहेगा। हमारे यहाँ कहा जाता है कि “स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्यते”अर्थात, सत्ता की ताकत से आपको सीमित सम्मान ही मिल सकता है।

जहां सत्ता की ताकत प्रभावी होगी वहीं सम्मान मिलेगा लेकिन विद्वान का सम्मान हर जगह होता है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी इस विचार के साक्षात उदाहरण हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक ओर पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारतीय राजनीति में एक नए विचार को लेकर आगे बढ़ रहे थे, वहीं दूसरी ओर, वे हर एक पार्टी, हर एक विचारधारा के नेताओं के साथ भी उतने ही सहज रहते थे। हर किसी से उनके आत्मीय संबंध थे। सामाजिक जीवन में एक नेता को कैसा होना चाहिए, भारत के लोकतंत्र और मूल्यों को कैसे जीना चाहिए, पंडित दीनदयाल जी इसके भी बहुत बड़े उदाहरण हैं। हमारे शास्त्रों में कहा गया है- “स्वदेशो भुवनम् त्रयम्” अर्थात, अपना देश ही हमारे लिए सब कुछ है, तीनों लोकों के बराबर है। जब हमारा देश समर्थ
होगा, तभी तो हम दुनिया की सेवा कर पाएंगे। एकात्म मानव दर्शन को सार्थक कर पाएंगे। पंडित दीनदयाल जी भी यही कहते थे। उन्होंने लिखा है – “एक सबल राष्ट्र ही विश्व को योगदान दे सकता है।” यही संकल्प आज आत्मनिर्भर भारत की मूल अवधारणा है। इसी आदर्श को लेकर ही देश आत्म निर्भरता के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है।

मोदी ने कहा कि कोरोनाकाल में देश ने अंत्योदय की भावना को सामने रखा और अंतिम पायदान पर खड़े हर गरीब की चिंता की। आत्मनिर्भरता की शक्ति से देश ने एकात्म मानव दर्शन को भी सिद्ध किया, पूरी दुनिया को दवाएं पहुंचाई और आज हम वैक्सीन पहुंचा रहे हैं। पंडित दीनदयाल जी के इस विज़न को लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए भारत आगे बढ़ रहा है। आज भारत में डिफेंस कॉरिडॉर बन रहे हैं, स्वदेशी हथियार बन रहे हैं और तेजस जैसे फाइटर जेट्स भी बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि 1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान भारत को विदेशों से हथियारों पर निर्भर होना पड़ा था। पंडित दीनदयाल जी कहते थे कि हमें सिर्फ खाद्यान्न में ही नहीं बल्कि हथियार और विचार के क्षेत्र में भी भारत को आत्मनिर्भर बनाना होगा। हथियार के क्षेत्र में आत्म निर्भरता से अगर भारत की ताकत और भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है तो विचार की आत्मनिर्भरता से भारत आज दुनिया के कई क्षेत्रों में नेतृत्व दे रहा है।

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