अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि नमस्कार साथियों! अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की इस विशेष पत्रकार वार्ता में आप सबका स्वागत है। भारतीय जनता पार्टी पंजाब, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में हार का मुँह सामने देखकर अब ऐसे हथकंडे अपनाने लगी है, जिससे ना तो प्रधानमंत्री जी के पद की शोभा बढ़ती और ना ही हमारे प्रजातंत्र की। आज जब पंजाब में भीड़ जमा नहीं हुई, कुर्सियां खाली पड़ी थी, तो प्रधानमंत्री जी ने आखिर में इंतजार कर अपनी रैली कैंसिल कर दी। अब अगर भारतीय जनता पार्टी के लोग राजस्थान से, हरियाणा से, पंजाब से भीड़ नहीं जुटा पाए, क्योंकि भारी विरोध किसान वर्ग में, आम जनमानस में, महंगाई और किसानों के साथ जो सौतेला व्यवहार किया जा रहा है, उसको लेकर है भाजपा के विरुद्ध, तो अब ऊल-जुलूल बातें की जा रही हैं।
आज जेपी नड्डा जी ने, एक और सम्मानित केन्द्रीय मंत्री ने बहुत सारी बेतुकी और बचकाना बातें कह दी। कुछ तथ्य इसलिए हम आपके समक्ष रखना चाहेंगे।
प्रधानमंत्री जी को आज फिरोजपुर में, पंजाब में रैली करनी थी। बाकायदा 10,000 के करीब पुलिस पर्सोनेल, आप सोच सकते हैं, 10,000 पुलिस पर्सोनेल प्रधानमंत्री की इस रैली के लिए लगाए गए। इसके अलावा पूरा रुट जो था प्रधानमंत्री जी का, वो एसपीजी, केन्द्रीय सिक्योरिटी एजेंसी, पंजाब पुलिस और यहाँ तक कि हरियाणा पुलिस तक को भी डिप्लॉय किया गया था। प्रधानमंत्री जी को बठिंडा से फिरोजपुर तक हेलीकॉप्टर से जाना था। उनका कभी भी सड़क मार्ग से जाने का कोई रुट निश्चित नहीं था। जब प्रधानमंत्री जी बठिंडा आए, तो उन्होंने देखा कि रैली में भीड़ नहीं है। शायद भाजपा और मोदी जी ये स्वीकार नहीं कर सकते कि लोग उन्हें सुनने ना आएं और इसलिए उन्होंने हुसैनीवाला, जो हमारा शहीद स्मारक है और उसके बाद रैली स्थल तक सड़क मार्ग से आखिरी मिनट पर, लास्ट मिनट पर जाने का निर्णय किया। प्रधानमंत्री निर्णय कर लें, तो उसमें कोई व्यक्ति If or but कर ही नहीं सकता। अब प्रधानमंत्री जब सड़क मार्ग से जा रहे थे, तो आनन-फानन में रुट लगाया गया, क्योंकि सारे सिक्योरिटी पर्सोनेल तो प्रधानमंत्री की रैली के लिए लगाए थे। वहाँ रास्ते में कुछ किसान साथियों ने विरोध किया। जो किसान मजदूर संघर्ष समिति है और किसान लोग हैं, हमारे भाई-बहन, उन्होंने बहुत दिनों से प्रधानमंत्री की रैली के बहिष्कार और विरोध का निर्णय कर रखा था। बाकायदा गजेन्द्र शेखावत जी, जो पंजाब के प्रभारी भी हैं और केन्द्रीय मंत्री है, दो राउंड की वार्ता उन किसान भाईयों से कर चुके थे।
किसानों की चार स्पष्ट मांगे हैं, जिनके प्रति शायद भारतीय जनता पार्टी को जानकारी होते हुए भी अनजान बने बैठे हैं।
उनका ये कहना है, नंबर एक कि जो होम मिनिस्टर हैं, अजय मिश्रा टेनी, जिनके बेटे के खिलाफ मुख्य अभियुक्त के आरोप पर लखीमपुर खीरी कांड के अंदर चार्जशीट दायर की है, सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट मॉनीटर्ड इन्वेस्टिगेशन के बाद, उन्हें बर्खास्त किया जाए, पर मोदी जी उन्हें साथ लेकर घूमते हैं।
दूसरी उन्होंने ये मांग रखी है कि 700 किसान जो शहीद हुए, उनके परिवारजनों को मुआवजा दिया जाए।
तीसरी किसानों की ये मांग है कि सभी जो झूठे मुकदमे दर्ज किए हैं दिल्ली में, उत्तर प्रदेश में, हरियाणा में, ये सब वापस लिए जाएं।
और चौथी उनकी मांग, जो उस समय मानी भी थी, जब फार्मर एजिटेशन वापस हुआ कि एमएसपी पर एक कमेटी बनेगी और वो कमेटी जल्द से जल्द एमएसपी किसान को कैसे मिलेगा, इस पर निर्णय करेगी। पर जिस दिन से किसान आंदोलन खत्म हुआ, इस पर कोई चर्चा ही नहीं हुई। इसे लेकर किसान संघर्ष कमेटी और दूसरे लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
जब प्रधानमंत्री जी का कार्केड बाय रोड़ गुजरना था, तो कुछ किसानों के लोग सड़क पर आ गए, इसलिए प्रधानमंत्री जी को 15 मिनट तक रुकना पड़ा। आप मुझे बताइए कि क्या उन किसानों को पुलिस द्वारा गोली मार देनी चाहिए थी? क्या उनकी खोपड़ियां उड़ा देनी चाहिए थी या फिर उन किसानों को वहाँ से हटाने का प्रयास करना चाहिए था? मुश्किल से 15 मिनट प्रधानमंत्री जी रुके होंगे। उनको बहाना मिल गया कि अब क्योंकि रैली में तो एक आदमी है नहीं, वहाँ तो अमरिंदर सिंह जी बैठे हैं, जो 10,000 के करीब सिक्योरिटी पर्सोनेल हैं, वो बैठे हैं और 2-4-5,000 बीजेपी के लोग बैठे हैं, इसलिए रैली में अब कोई है नहीं, इसलिए वापस चले गए। हमारा ये अनुरोध है हाथ जोड़कर प्रधानमंत्री जी से भी, भाजपा के नेताओं से भी, पंजाब में आपका भी उतना हिस्सा है, जितना हमारा है, ये देश हम सबका है, आईए रैली करिए, परंतु जब भीड़ ना जुटा पाएं रैली में, तो बहाना बनाकर वहाँ की कांग्रेस की सरकार पर दोष मत मढ़ें। ये अनुचित है, प्रजातंत्र में ये सही नहीं है और इस रैली का इस्तेमाल यूपी के हारे हुए चुनाव में इस्तेमाल करने की कोशिश मत करिए। प्रधानमंत्री सबके हैं, प्रधानमंत्री जी की सुरक्षा जो है, वो हमारे लिए भी महत्वपूर्ण है। हमने दो-दो प्रधानमंत्री इस देश पर कुर्बान किए हैं – श्रीमती इंदिरा गांधी और श्री राजीव गांधी। हमें मालूम है कि सुरक्षा क्या होती है और हमारे प्रधानमंत्रियों ने, कांग्रेस पार्टी ने हमेशा ये सुनिश्चित किया है कि उनके लिए देश सबसे बड़ा है। प्रधानमंत्री का पद इतना बड़ा है कि उसके सामने राजनीति आ ही नहीं सकती। जिस प्रकार की आपत्तिजनक शब्दावली का इस्तेमाल भाजपा के केन्द्रीय मंत्री कर रहे हैं और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कर रहे हैं, इसकी हम भर्त्सना करते हैं, इसे हम कंडेम करते हैं। राजनीति, राजनीति की जगह होनी चाहिए। प्रधानमंत्री के पद को राजनीति के अंदर घसीटना अनुचित है। प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी पूरी तरह से पंजाब सरकार ने ली। 10,000 सिक्योरिटी पर्सोनेल लगाए गए। अगर प्रधानमंत्री अपनी मनमर्जी से रुट बदलते हैं, तो उसके लिए भी तैयार हैं, पर अगर कुछ 100, 200, 500, 1,000 किसान सड़क पर आ जाएं और उन्हें हटाने में 15 मिनट की देरी हो गई, तो पुलिस पर या सरकार पर या श्री चरणजीत सिंह चन्नी पर इल्जाम लगाना अनुचित है.कांग्रेस पार्टी जब भी प्रधानमंत्री आएंगे, हमारी सरकारें उन्हें पूरा सहयोग देंगी। इस प्रकार की हारी हुई भारतीय जनता पार्टी, जिसका जीरो जनाधार है, पंजाब के अंदर और जो शायद एक सीट भी ना ला पाएं, इस प्रकार की ऊल-जुलूल बातें करके वो जानबूझ कर प्रधानमंत्री के पद की गरिमा को भी दूषित कर रहे हैं। रैली में आदमी आप नहीं ला पा रहें, जनादेश आपके पास नहीं है, भीड़ आप जुटा नहीं पा रहे, लोग आपके विरोधी हैं, किसान आपसे उत्तेजित हैं, किसान की मांग आप मान नहीं रहे और इल्जाम आप कांग्रेस पर लगा रहे हैं। इसलिए अपनी कमियों का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ना बंद करिए।