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वीडियो: ‘वन रैंक, वन पेंशन’ ना देना सीधे-सीधे देश के इन 30 लाख सैनिकों, पूर्व सैनिकों से विश्वासघात है, धोखा है-कांग्रेस

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि लोकसभा और राज्यसभा में कांग्रेस पार्टी के दोनों नेता इस समय व्यस्त हैं, क्योंकि संसद की कार्यवाही अभी चल ही रही है। हमें अनुमान था कि वो फ्री हो जाएंगे, इसलिए साढ़े चार बजे का समय रखा था। उन दोनों का टेलीफोन आया है कि वो आ नहीं पाएंगे, क्योंकि कार्यवाही अभी समाप्त नहीं हुई। तो मैंने कहा कि आपको और देर करवाना या इंतजार करवाना उचित नहीं था, हम अपनी बात शुरु कर लें।

साथियों, आज 30 लाख से अधिक देश के पूर्व सैनिकों, देश के रणबांकुरों, देश की सीमाओं की सुरक्षा करने वालों, देश की तीनों सेनाओं में सेवा करने वाले हमारे सैनिकों के लिए आज एक पहाड़ उन पर टूटा है, एक त्रासदी का पहाड़ उनके सिर पर आज टूट पड़ा है, क्योंकि ‘वन रैंक, वन पेंशन’ की हमारे सैनिकों की मांग को जो इंडियन एक्स सर्विसमैन मूवमेंट ने याचिका दायर की थी, आज उसे सुप्रीम कोर्ट में खारिज कर दिया गया और मोदी सरकार ने उसका पुरजोर विरोध किया। इस बारे में आज इस पत्रकार वार्ता में हम कुछ तथ्य आपके समक्ष रखेंगे। देश के पूर्व सैनिकों और तीनों सेना के जवानों और अधिकारियों को ‘वन रैंक, वन पेंशन’ ना देना सीधे-सीधे देश के इन 30 लाख सैनिकों, पूर्व सैनिकों से विश्वासघात है, धोखा है। भाजपा और मोदी सरकार सैनिकों की वीरता और बलिदान के नाम पर वोट तो बटोरती है, पर उन्हें ‘वन रैंक, वन पेंशन’ दिए जाने का विरोध करती है। यही नहीं, अब तो ‘वन रैंक, वन पेंशन’ के इस अधिकार को सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार द्वारा ये दलील देकर खारिज करवाया गया कि ये नीतिगत निर्णय है, आर्थिक निर्णय है और नीतिगत निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट को कोई अधिकार नहीं, इसलिए वह सैनिकों के इस मामले में निर्णय नहीं कर सकती। ये सैनिकों का अधिकार ही नहीं।

अब इस बारे में कुछ तथ्य कृपया देख लें, क्योंकि मैं आज इस मंच से बड़ी जिम्मेदारी से आपको ये कहूंगा कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी सरकार द्वारा सारे तथ्य नहीं रखे गए। व्यक्तिगत तौर से मेरा ये मानना है कि शायद ये सब जानबूझकर किया गया।साल 2004 से 2012 के बीच यूपीए-कांग्रेस सरकार ने 3 बार एक्स सर्विसमैन की पेंशन बढ़ाई और 7,000 करोड़ का फायदा उन्हें दिया। 17 फरवरी, 2014 को देश की संसद में बजट पेश करते हुए तत्कालीन वित्त मंत्री, पी. चिदंबरम जी ने सरदार मनमोहन सिंह जी की सरकार की ओर से, यूपीए की ओर से ये घोषणा की कि ‘वन रैंक, वन पेंशन’ लागू कर दिया जाएगा, ‘कोशियारी कमेटी’ की सिफारिशों के अनुरुप।

26 फरवरी, 2014 को उस समय के रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी द्वारा तीनों सेनाओं के मुखिया और उनके साथ-साथ डिफेंस सेक्रेटरी और डिफेंस मंत्रालय के अधिकारियों की एक बैठक की गई, उस बैठक की प्रतिलिपि मैं आपको भेज रहा हूं और वो ये है और इसमें साफ तौर से निर्णय लिया गया कि एक रैंक में काम कर एक जैसी सेवा से, एक समय बराबर की सेवा से रिटायर होने वाले सभी अधिकारियों को एक समान पेंशन दी जाएगी, उनकी रियाटरमेंट की तारीख अलग-अलग चाहे क्यों ना हो और बढ़ी हुई पेंशन का फैसला और निर्णय भी, लाभ भी सभी पूर्व सैनिकों को मिलेगा। ये स्पष्ट आदेश है और ये मैं पढ़कर सुनाना चाहूंगा, जो सरकार ने किया

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