अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
पंचकूला: केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ.जितेंद्र सिंह ने आज पंचकूला में चार दिवसीय इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल के 11वें संस्करण का उद्घाटन किया। उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम तीन “C” — सेलिब्रेशन, कम्युनिकेशन और करियर — के आधार पर तैयार किया गया है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भारत की वैज्ञानिक प्रगति केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित न रहे, बल्कि नागरिकों, छात्रों और युवा पेशेवरों की सक्रिय भागीदारी भी सुनिश्चित करे। इस अवसर पर हरियाणा के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री कृष्ण बेदी भी उपस्थित रहे।उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (IISF) को एक नियमित अकादमिक सभा की तरह नहीं, बल्कि एक खुले, सार्वजनिक मंच के रूप में विकसित किया गया है, जिसका उद्देश्य विज्ञान को लोगों के और करीब लाना है। उन्होंने बताया कि यह फेस्टिवल वैज्ञानिकों और वैज्ञानिक अनुसंधान से जुड़े लाभार्थियों के बीच सार्थक संवाद को बढ़ावा देता है, जो विभिन्न विज्ञान मंत्रालयों और विभागों के बीच बेहतर तालमेल और सहयोग की सरकारी प्राथमिकता को दर्शाता है।
तीन “C” का उल्लेख करते हुए, मंत्री ने स्पष्ट किया कि IISF भारत की वैज्ञानिक यात्रा और विभिन्न क्षेत्रों की उपलब्धियों का जश्न मनाता है, वैज्ञानिक ज्ञान का संचार केवल अकादमिया तक सीमित न रखते हुए आम जनता तक पहुँचाता है, और युवा प्रतिभागियों के लिए नए करियर अवसरों को तलाशने का मंच प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि छात्र, शोधकर्ता और पहली बार सीखने वाले प्रतिभागी, संरचित सत्रों के साथ-साथ अनौपचारिक नेटवर्किंग के ज़रिए अनुसंधान, स्टार्टअप और उद्योग में उभरते अवसरों से परिचित होते हैं।IISF को विकसित भारत @ 2047 के व्यापक राष्ट्रीय विज़न से जोड़ते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी देश के आर्थिक विकास और सामाजिक परिवर्तन की आधारशिला हैं। पिछले एक दशक में भारत ने विज्ञान के लिए मिशन मोड में कार्य किया है, जिसे सुधारों, मजबूत बुनियादी ढाँचे और प्रतिभा विकास पर बढ़ते ज़ोर ने गति दी है। उन्होंने बताया कि आज वैज्ञानिक प्रगति शासन और सार्वजनिक सेवा वितरण में सीधे योगदान दे रही है, चाहे वह बेहतर मौसम पूर्वानुमान और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली हो, ध्रुवीय अनुसंधान हो या डिजिटल नवाचार।IISF 2025 की थीम “विज्ञान से समृद्धि: आत्मनिर्भर भारत की ओर” का उल्लेख करते हुए मंत्री ने कहा कि विज्ञान में आत्मनिर्भरता तेज़ी से आकार ले रही है। उन्होंने स्वदेशी वैज्ञानिक क्षमताओं के निर्माण की महत्वाकांक्षी पहलों का विवरण देते हुए बताया कि भारत का बहुउद्देश्यीय सर्व-मौसम अनुसंधान पोत 2028 तक तैयार होने की उम्मीद है, और देश का मानव पनडुब्बी कार्यक्रम भी निरंतर प्रगति पर है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय संस्थान ऐसे जलवायु डेटा और मॉडल उपलब्ध करा रहे हैं जिनका उपयोग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है।डॉ. जितेंद्र सिंह ने इनोवेशन, रिसर्च आउटपुट और एंटरप्रेन्योरशिप में भारत की सुधरती वैश्विक रैंकिंग पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्टार्टअप इकोसिस्टम की तेज वृद्धि, भारतीयों द्वारा बढ़ती पेटेंट फाइलिंग, और साइंस–टेक्नोलॉजी के नए क्षेत्रों में देश की बढ़ती पहचान का उल्लेख किया। चंद्रयान-3 मिशन, कोविड-19 के दौरान स्वदेशी वैक्सीन निर्माण तथा बायोटेक्नोलॉजी में हुई प्रगति को उन्होंने भारत के वैज्ञानिक अनुसंधान की ठोस उपलब्धियों के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया।
युवाओं तक पहुंच बनाने पर ज़ोर देते हुए मंत्री ने कहा कि IISF की गतिविधियों का बड़ा हिस्सा स्कूली बच्चों, कॉलेज छात्रों और युवा शोधकर्ताओं के लिए तैयार किया गया है। उन्होंने विज्ञान को करियर विकल्प के रूप में व्यापक दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि आज अवसर पारंपरिक सरकारी नौकरियों से कहीं आगे बढ़ चुके हैं—जिनमें स्टार्टअप, उद्योग-नेतृत्व वाली रिसर्च और एप्लाइड इनोवेशन जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इस वर्ष के कार्यक्रम में क्वांटम टेक्नोलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी, ब्लू इकोनॉमी और डीप-टेक एंटरप्रेन्योरशिप पर विशेष सत्र आयोजित किए जा रहे हैं।डॉ. जितेंद्र सिंह ने सार्वजनिक शोध संस्थानों और निजी उद्योग के बीच मजबूत सहयोग की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि इनोवेशन तभी फलता-फूलता है जब नीति समर्थन, फंडिंग और उद्यम—तीनों मिलकर काम करें। उन्होंने बताया कि स्पेस, हेल्थ टेक्नोलॉजी और एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में निजी भागीदारी बढ़ाने के लिए हाल ही में किए गए नीतिगत उपायों का उद्देश्य एक सुदृढ़ इनोवेशन इकोसिस्टम का निर्माण करना है।

उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान मंत्री ने साइंस–टेक्नोलॉजी–डिफेंस–स्पेस प्रदर्शनी और “साइंस ऑन ए स्फीयर” इंस्टॉलेशन का शुभारंभ किया, जो इंटरैक्टिव डिस्प्ले के माध्यम से भारत की वैज्ञानिक क्षमताओं और चल रहे शोध कार्यों को प्रदर्शित करते हैं। उन्होंने अंटार्कटिका स्थित भारत के शोध स्टेशन ‘भारती’ के वैज्ञानिकों से लाइव इंटरफेस के माध्यम से संवाद भी किया और अत्यधिक ध्रुवीय परिस्थितियों में हो रहे शोध कार्यों की समीक्षा की, जिससे भारत के बढ़ते ध्रुवीय अनुसंधान प्रयासों और स्वदेशी क्षमताओं पर प्रकाश डाला गया।अगले चार दिनों में आयोजित होने वाली प्रदर्शनी, व्याख्यान और इंटरैक्टिव सत्रों के माध्यम से इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल का उद्देश्य विज्ञान के प्रति जनभागीदारी को गहराना है, साथ ही शोध, नवाचार और मानव संसाधन विकास से जुड़े दीर्घकालिक राष्ट्रीय लक्ष्यों में योगदान देना है।
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