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अपराध दिल्ली नई दिल्ली

एक मंत्रालय की फर्जी वेबसाइट बनवाकर सरकारी नौकरी देने,15 लाख मैसेज भेज, 27000 लोगों से करोड़ों ठगने वाले 5 ठग अरेस्ट 

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस साइबर सेल (CyPAD) ने अब तक की सबसे बड़ी नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया। यह गिरोह प्रत्येक शख्स से वेबसाइट के जरिए रजिस्टेशन के नाम 500 रूपए लेता था। अब तक ये गिरोह 27000 लोगों से रजिस्टेशन के नाम पर एक करोड़ 9 लाख रूपए वसूल चूका हैं। इस प्रकरण में अभी तक दिल्ली पुलिस की साइबर सेल पांच आरोपितों को गिरफ्तार किया हैं। इन आरोपितों के कब्जे से पुलिस ने 3 लेपटॉप,7 मोबाइल फोन और बैंक अकाउंट में 49 लाख रूपए सीज किए हैं। इस केस की जांच अभी जारी हैं। यह खुलासा आज डीसीपी ,साइबर, स्पेशल सेल अन्येष रॉय ने आज आयोजित प्रेस कॉंफ्रेंस में दिए हैं। गिरफ्तार किए गए आरोपितों के नाम अमनदीप खटकड़ी, उम्र 27 वर्ष, निवासी  जींद, हरियाणा, सुरेंद्र सिंह, उम्र 50 वर्ष,भिवानी, हरियाणा, संदीप,उम्र 32 साल, निवासी हिसार,रामधारी, उम्र 50 वर्ष निवासी हिसार, जोगिंदर सिंह, उम्र 35 वर्ष निवासी  हिसार, हरियाणा हैं। 

डीसीपी अन्येष रॉय ने पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि  साइबर सेल (CyPAD यूनिट) में एक नौकरी के आकांक्षी से एक शिकायत प्राप्त हुई थी जिसमें यह सूचित किया गया था कि उसे स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के नाम से एक फर्जी वेबसाइट के द्वारा धोखा दिया गया हैं,जिस पर उन्होंने  नौकरी के लिए आवेदन किया था और उसे सरकारी नौकरी देने वाली एक वास्तविक वेबसाइट के रूप में विश्वास करते हुए ऑनलाइन शुल्क का भुगतान किया था ।शुरुआती पूछताछ के बाद ठगी और जालसाजी का मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई। उनका कहना हैं कि एसएचओ की देखरेख में एसआई मंजीत (जांच अधिकारी),एसआई सुनिल सिद्धू, एसआई अशोक व अन्य स्टाफ की टीम गठित की गई। जांच के लिए रमन लांबा, एसीपी साइपैड टीम ने फर्जी और फर्जी वेबसाइट द्वारा संचालित धोखाधड़ी गतिविधियों के डिजिटल पैरों के निशान और मनी ट्रेल सहित तकनीकी विवरण एकत्र किए। जालसाज अपने अवैध कृत्यों को कवर करने के लिए कई फर्जी खातों और डिजिटल पहचान का इस्ते माल कर रहे थे ।


कराई की गई तो तकनीकी जांच के आधार पर फर्जी वेबसाइट का संचालन करने वाले मास्टर माइंड की पहचान कर हरियाणा के हिसार में स्थित होने की बात सामने आई। जांच के दौरान पता चला कि वेबसाइट ने अब तक 27000 लोगों अपना शिकार बनाया हैं जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि इस  गिरोह के सदस्य हरियाणा के हिसार में एटीएम से पैसे निकाल रहे हैं। इसी के चलते गिरोह के एक सदस्य अमन खटकड़ को वेबसाइट से जुड़े बैंक खाते से एटीएम से पैसे निकालते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया, जिसमें वेबसाइट के पेमेंट गेटवे से पैसे ट्रांसफर किए जा रहे थे। गिरोह के अन्य सदस्यों को भी हरियाणा और दिल्ली के विभिन्न हिस्सों से यथासमय पकड़ा गया। पूछताछ करने पर अमनदीप ने खुलासा किया कि वह एक विष्णु शर्मा और राम धारी के नेतृत्व में एक संगठित गिरोह का हिस्सा है, जो फर्जी स्वास्थ्य मंत्रालय ईवीएम जन कल्याण संस्थान, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में नौकरी दिलाने के नाम पर बड़ी संख्या में भोले-भाले लोगों को नौकरी देने वालों को ठगने में शामिल है। अमनदीप के अनुसार उसने अपने साथियों विष्णु, संदीप, रामधारी व सुरेंद्र व जोगेंद्र के साथ मिलकर अगस्त 2020 में हिसार में भोला को नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने की साजिश रची थी।


सरकारी नौकरी,  दोनों सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल्स जोगेंदर और संदीप ने वेबसाइट्स डिजाइन किए । इसी उद्देश्य से सुरेंद्र के मलकीयत के तहत स्वास्थ्य संस्थान के नाम से बैंक खाता खोला गया। सरकारी भर्ती परीक्षा कराने के लिए आउटसोर्स किए गए, ऑनलाइन परीक्षा केंद्र चलाने वाले मास्टरमाइंड विष्णु और रामधारी ने अपने ऑनलाइन परीक्षा केंद्र पर बैठने वाले नौकरी के उम्मीदवारों के आंकड़ों का दुरुपयोग किया । परीक्षा केंद्र पर बैठने वाले अभ्यर्थियों का व्यक्तिगत विवरण भेजने के लिए इस्तेमाल किया गया। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान (एसएसएजीएस) में नौकरी के ऑफर के लक्षित संदेश भोले-भाले पीड़ितों को दिए। एसएमएस ने अपनी वेबसाइटों www.sajks.org और www.sajks.com से लिंक किया था । जब कोई व्यक्ति इस स्थल का दौरा करता है, तो उसने स्वस्थ एवीएम जन कल्याण संस्थान (SAJKS) के तहत विभिन्न प्रकार की नौकरियों की पेशकश की और पीड़ित को निर्धारित शुल्क के साथ अपना बायोडाटा प्रस्तुत करने के लिए कहा गया ।13,000 से अधिक नौकरियां अकाउंटेंट, यूडीसी, एलडीसी, एएनएम, लैब अटेंडेंट, एंबुलेंस चालक आदि पदों के लिए । यह गिरोह अब तक 15 लाख से ज्यादा एसएमएस भेज चुका है, जिसकी वजह से 27 हजार से ज्यादा पीड़ित इनका  शिकार हो चुके हैं। उन्होंने 1 अक्तूबर, 2020 से अब तक कुल 109 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का भुगतान किया था।
गिरोह के एक सदस्य अमन को विभिन्न एटीएम से नकदी निकालने का जिम्मा सौंपा गया था जिसे गिरोह के सदस्यों के बीच बांट दिया गया था।दैनिक आधार पर दो प्रमुख षड्यंत्रकारियों रामधारी और विष्णु ने बड़े पैमाने पर लोगों को धोखा देने के लिए पूरी योजना को फंड दिया था। वे दिल्ली में एक ऑनलाइन परीक्षा केंद्र भी चलाता हैं । विष्णु और रामधारी द्वारा संचालित परीक्षा केंद्र में विभिन्न ऑनलाइन परीक्षा में बैठने वाले उम्मीदवारों के संपर्क विवरण का इस्तेमाल उन्हें एसएमएस भेजने के लिए किया जाता था, इस तरह उन्हें इस फर्जी वेबसाइट पर नौकरी के लिए आवेदन करने का लालच दिया जाता था ।पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। विष्णु का अभी पता नहीं चल सका है।उसकी आगे की भूमिका का सत्यापन किया जा रहा है और उसका पता लगाने के प्रयास चल रहे हैं ।


सलाहकार:- यह सलाह दी जाती है कि लोगों को ऑनलाइन पोर्टल और फ़ोरम जैसे सोशल मीडिया , इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप्स, ईमेल आदि के माध्यम से नौकरियों के लिए आवेदन करते समय उचित सावधानी बरतनी चाहिए। वेबसाइट-कंपनी और उसके प्रतिनिधियों की वास्तविकता को नौकरी के लिए आवेदन करने से पहले विश्वसनीय स्रोतों से या साक्षात्कार के लिए आमंत्रित स्वीकार करने से पहले आदि की जांच की जानी चाहिए ।पंजीकरण आदि के लिए धन का अंतरण और निजी-गोपनीय विवरण भेजने जैसे अन्य कार्य वेबसाइट-कंपनी के परिचय पत्रों की गहन जांच के बाद ही किया जाना चाहिए ।

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